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कांग्रेस की मान्यता रद्द करवाने के लिए सुब्रामनियम स्वामी अब सुप्रीम कोर्ट जायेंगे

मुख्य चुनाव आयोग ने नेशनल हेराल्ड समाचारपत्र की कंपनी को कर्ज देने के मामले में कांग्रेस की मान्यता खत्म करने के लिए जनता पार्टी प्रमुख सुब्रमण्यम स्वामी की अर्जी को नामंजूर कर दिया है। स्वामी ने आयोग से कांग्रेस पार्टी की मान्यता रद्द करने की अपील की थी। आयोग ने आयकर से सम्बन्धित होने के कारण स्वामी के पत्र को उपयुक्त [मैन्टेनेबल]नहीं माना। अब स्वामी मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की तैयारी में लग गए हैं|
मालूम हो कि स्वामी ने शनिवार को चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि एक राजनीतिक दल के रूप में कांग्रेस की मान्यता रद्द कर दी जाए। इसकी वजह उन्होंने यह बताई थी कि कांग्रेस ने 90 करोड़ रुपए का लोन नैशनल हेराल्ड के प्रकाशक असो.जर्नल्स को दिया था। स्वामी ने इस लोन को गैरकानूनी बताते हुए दावा किया था कि राजनीतिक दल के रूप में कांग्रेस को इसका अधिकार नहीं है|
मगर, स्वामी को भेजे गए जवाब में आयोग ने कहा है कि स्वामी का पत्र ‘मेनटेनेबल’ नहीं है। आयोग ने कहा है, ‘अगर पार्टी ने आयकर नियमों की किसी धारा का उल्लंघन किया है, जैसा कि आरोप है, तो यह मामला चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस पर जनता पार्टी अध्‍यक्ष सुब्रह्मण्‍यम स्‍वामी ने दिशा निर्देशों के कथित उल्लंघन के लिए कांग्रेस के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार करने पर चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट में घसीटने की बात कही है. स्‍वामी ने चुनाव आयोग की निष्‍पक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं. गांधी परिवार का नाम लगातार कई जमीन विवादों में आ रहा है और उन पर कार्रवाई का दबाव भी है. इस बीच कांग्रेस के खिलाफ कार्यवाई नहीं करने पर स्‍वामी ने चुनाव आयोग को ही आड़े हाथ ले लिया

Janta Party V/S CONGRESS

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चुनाव आयोग पर आरोप

जनता पार्टी अध्‍यक्ष ने संविधान में तय दिशा निर्देशों के उल्‍लंघन के लिए चुनाव आयोग में कांग्रेस की मान्‍यता रद्द करने की याचिका दायर की थी. स्‍वामी ने चुनाव आयोग पर देश की सबसे बड़ी सत्ताधारी पार्टी की तरफ पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है.
स्वामी ने शनिवार को चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाते हुए कांग्रेस की मान्यता समाप्त करने की मांग की थी और आरोप लगाया था कि पार्टी ने बंद हो चुके अखबार नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी को 90 करोड़ रुपये का ऋण देकर कानून का उल्लंघन किया है.
स्‍वामी ने मुख्य चुनाव आयुक्त वी.एस. संपत को पत्र भी भेजा है. इस पत्र में स्वामी ने कहा, ‘उनकी याचिका के बारे में मीडिया में खबरें लीक होने से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं और यह भी सवाल उठता है कि क्या चुनाव आयोग मनमाने ढंग से और अव्यवहार्य तरीके से काम कर रहा है.’
उन्होंने कहा कि सुनवाई से पहले ही ऐसी सूचना का लीक होना बताता है कि इस बारे में पहले से ही एक तय फैसला कर लिया गया है, जो सत्तारूढ पार्टी के पक्ष में है. उन्होंने कहा, ‘इसे रोकने की जरूरत है क्योंकि इस तरह सूचना का लीक होना मेरे अधिकार का उल्लंघन है. मुझे चुनाव आयोग से न्याय पाने और अपने मामले पर निष्पक्ष सुनवाई चाहने का अधिकार है.