हमने कहा था कब की हमें मल्ह्म्म दीजिये|
हमें लगी है तलब कुछ जख्म और दीजिये||
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मल्हम्म हमें लगा कर मुह फिर लें जरूर|
नासूर बनने का सरूर ही कुछ और है हुज़ूर||
आइयेगा एक बार शौक जरूर फरमाईयेगा |
& एक बार आइयेगा तो वापिस ना जा पाइयेगा
हमने कहा था कब की हमें मल्ह्म्म दीजिये|
हमें लगी है तलब कुछ जख्म और दीजिये||
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