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Tag: दिल बहलाने जाते हैं

बिरही तीरथ में अपना ही दिल बहलाते हैं||

मोहब्बत के दिन हवा हुए ,विरहा के मायने बदल गए |
सिक्कों की उम्र बीत गई,नोटों का चलन भी छूट गया||
कहने को तीर्थ तो जाते हैं ,विरहा के गीत भी गाते हैं|
लेकिन अब बिरही तीरथ में अपना ही दिल बहलाते हैं||
यहाँ से वहां और कहाँ से कहाँ घूमघाम के आते हैं|
खोटे दिल के सिक्के दिल खोल के चड़ाते जाते हैं ||
इसीलिए काश्मीर हो या फिर हो कन्या कुमारी |
सभी जगह द्रष्टि गोचर हो रही यही महा बीमारी|