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Tag: दिव्य चक्षु

अंधे वो हैं जिनके दिव्य चक्षु नहीं खुले

अंधे से न आखियन जिन मुख लोईण नाहि ।
अंधे से ही नानक जो खसमों कुत्थे जान ।

Rakesh Khurana

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भाव : अँधा उनको नहीं कहते जिनके चेहरे पर आँखें नहीं लगी हुई हैं ।अंधे वो हैं जिनके दिव्य चक्षु नहीं खुले| दिव्य चक्षुओं से अंतर में हम प्रभु के दर्शन कर सकते हैं । वो प्रभु जन – जन और कण – कण में समाया हुआ है , लेकिन हम उस ज्योतिर्मय प्रभु को देख नहीं रहे । वो सर्वव्यापक प्रभु सतगुरु का मानव तन धारण कर हमारी रक्षा और मार्गदर्शन के लिए इस धरा पर आता है , आकर हमें मोह निद्रा से जगाता है और हमारी अंतर की आँख खोलता है ।
गुरुवाणी
प्रस्तुती राकेश खुराना