पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने आज श्री शाक्तिधाम मंदिर लालकुर्ती मेरठ में प्रवचन किया उन्होंने
जीवन को सफल बनाने के लिए माँ भगवती की साधना में लीन होने का उपदेश दिया|
मनुष्य जीवन तभी सफल है जब भगवती प्रेम से हमारा मन ओत प्रोत होकर , परमेश्वर रुपी माँ को पाने के
लिए उसकी साधना में लीन हो जाये। साधक हर समय यही यतन करता रहे की मेरा प्रीतम , मेरा प्यारा,
मेरा प्राणनाथ, मेरा देवाधिदेव मुझे कैसे प्राप्त हो। जब कोई साधक इस यतन में लग जाता है, तो संतजन
कहते हैं कि जो चलेगा वह पहुंचेगा। जब किसी सच्चे संत द्वारा दिया शब्द क्रिया करता है तो घट भीतर भक्ति रुपी
प्रकाश पैदा होता है। और बार-बार सत्संगों में आने से तथा संतों के श्रीमुख से सुवचनों को सुनने से , चिंतन करने से
हमारे मन की चंचलता एवं चपलता शांत हो जाती है। धीरे-धीरे हमारे अन्दर परमात्मा से प्रेम पैदा होने लगता हैं हमारे
अन्दर परमात्मा से मिलने को आतुरता एवं व्याकुलता बढती हैं । हमारा मन जब भगवान् के पावन रस का पान
करके उसके आनंद में डूबता है । यह आनंद इतना मधुरीला होता है कि चित्त वहां से हटना ही नहीं चाहता ।
पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी के श्रीमुख से सुवचनों
श्री शाक्तिधाम मंदिर लालकुर्ती मेरठ
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