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Tag: मुक्ति की राह

मेरे खैरख्वाह ! मुझे उस रास्ते पर चला , जिस पर चलने से तू खुश और मेरी मुक्ति हो जाये

बर आँ दारम ऐ मस्लेहत ख्वाह मन ,
के बर मस्लेहत में शवद राह मन ।
रह पेशम आवर के अंजाम कार ,
तू खुशनूद बाशी व मन दस्तकार ।

अर्थ : ख्वाजा निज़ामी प्रार्थना करते हैं – हे मेरे खैरख्वाह ! मुझे उस रास्ते पर चला , जिस पर चलने से मेरी राह भलाई की ओर हो और मेरे सामने ऐसा रास्ता रख कि अंत में तू खुश हो जाये और मेरी मुक्ति हो जाये ।
निज़ामी साहिब
प्रस्तुती राकेश खुराना