अपने तन की खबर नहीं, सजन की खबर ले आवे कौन
ना मैं माटी ना मैं अग्नि ना पानी ना पवन
भावार्थ: सूफी संत बुल्लेशाह समझाते हुए कहते हैं जब तुम खुद को ही नहीं समझ पाए तो सद्गुरु को क्या जानपाओगे?सद्गुरु के पास जाने से पहले अपने आप को जान लेने की आवश्यकता है कि हम आत्मा हैं हम शरीर नहीं हैं. मिटटी , आग, पानी अथवा वायु से तो यह भौतिक शरीर बना है जोनश्वर है. मेरे तो घट-घट मैं सद्गुरु के नाम का वास उसी प्रकार हैं जैसे आटे में नमक समाया हुआ है.
[१]सूफी संत बुल्लेशाह की वाणी
[२]प्रस्तुति राकेश खुराना
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