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आगरा में मुशर्रफ को आजमाया तो अब नवाज के शपथ ग्रहण में जाकर जम्म्हुरियत को मजबूत किया जा सकता है

पाकिस्तान में दहशत गर्दी को करारा जवाब देते हुए वहां की अवाम ने [ मियाँ ] नवाज शरीफ को सत्ता की नजदीकियां दे दी हैं| पाकिस्तान में तीसरी बार प्रधान मंत्री बनने वाले नवाज शरीफ पहले नेता होंगे|देश में स्थिरता के लिए आर्थिक स्थिति को सुद्र्ड करने के लिए नवाज ने भारत से सम्बन्ध सुधारने की इच्छा जताई है इस दिशा में पहल करते हुए भारतीय समकक्ष डा. मन मोहन सिंह को एतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने के लिए टेलीफोनिक न्यौता भी दे डाला है लेकिन भारत में ही नवाज शरीफ पर भरोसा नही किया जा रहा हैं| कारगिल युद्ध और २६/११ को लेकर स्थिति स्पष्ट किये जाने तक भाजपा जल्दबाजी नही करने की बात कहने लगी है| भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चुनाव में नवाज शरीफ को मिली ‘शानदार जीत’ पर उन्हें बधाई दी.और भारत आने का न्यौता दिया इस पर नवाज ने भी कूटनीतिक ओपचारिकता का परिचय देते हुए शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने के लिए डा. सिंह को न्यौता दे दिया| अभी सरकार बनी नहीं शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने के लिए सरकारी दावतनामा नही आया है लेकिन इस विषय को मुद्दा बनाकर टी वी चैनलों पर बहस शुरू हो गई है|
विरोधियों द्वारा कहा जा रहा है की नवाज शरीफ के कार्यकाल में १९९९ में पाकिस्तान सेना ने कारगिल में घुस पैंठ की थी जिसमे सैकड़ों भारतीय जवान और आफिसर शहीद हुए थे| इसके बाद मुम्बई में २६/११ में बम्ब विस्फोट करके निर्दोषों को मार डाला गया|
यदपि भारतीय मीडिया को दिए साक्षात्कार में नवाज शरीफ ने जांच करवाने का आश्वासन दिया है इसके बावजूद यह नहीं भूलना चाहिए के कारगिल युद्ध के लिए मुख्य आरोपी जनरल मुशर्रफ [ जिसने अभी हाल ही में कारगिल पर गर्व भी जाहिर किया था ] को भजपा कार्यकाल में आगरा बुला कर संबंधों को सामान्य बनाने की कौशिश की गई थी | नवाज शरीफ ने प्रधान मंत्री काल में या उसके बाद कभी भी कारगिल में संलिप्ता स्वीकार नहीं की है और अब जांच करवाने का आश्वासन दिया है इसके अलावा यह भी कहना उचित होगा के कारगिल युद्ध में करारी हार के पश्चात जनरल मुशर्रफ ने नवाज को देश निकाला देकर सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया था|अब चूंकि आतंकवाद और सैनिक दखल का दंश झेल रहे पड़ोसी मुल्क में जम्म्हुरियत को ताकत देने का एक और मौका आया है ऐसे में उसमे रोड़ा अटकाने के बजाये सहयोग की अपेक्षा की जा सकती है| गौरतलब है के नेशनल असेंबली की 272 सीटों के लिए 4670 उम्मीदवार मैदान में थे। इसके लिए सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए थे। देश भर में 75 हजार सुरक्षाकर्मियों को चुनाव ड्यूटी में लगाया गया था। वहीं, धांधली का आरोप लगाते हुए जमात-ए-इस्लामी ने शनिवार को कराची और हैदराबाद में अपने प्रत्याशियों को चुनाव प्रक्रिया से हटाकर विरोध दर्ज कराया।पाकिस्तान की 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली के 272 सीटों के लिए शनिवार को मतदान हुआ। बाकी 70 सीटें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं, जिन पर मनोनयन किया जाएगा। 272 में साधारण बहुमत के लिए 137 सीटों की जरूरत होती है, जबकि कुल 342 सदस्यीय असेंबली में बहुमत के लिए 172 सीटों की।
विश्लेषकों के अनुसार पीएमएल के अच्छे प्रदर्शन से शरीफ को निर्दलीय उम्मीदवारों और जमीयत उलेमा ए इस्लाम जैसी छोटी दक्षिणपंथी पार्टियों के समर्थन से केंद्र में सरकार के गठन में मदद मिलेगी.|जनरल मुशर्रफ से अपना पुराना हिसाब किताब निबटने का प्रयास होगा |जनरल भारत के भी दोषी हैं|