Ad

Tag: Govt.Advertisements

Supreme Court Hammered Panel to Frame Guidelines On Govt Advertisements

[New Delhi]Supreme Court Hammered Panel to Frame Guidelines on Govt Advertisements This Order Is Passed on a P I L
Supreme Court on Wednesday set up a committee for framing guidelines to prevent misuse of public funds by the government and its authorities in giving advertisements in newspapers and television to get political mileage.
A Bench headed by Chief Justice P. Sathasivam said that substantive guidelines are needed to regulate such advertisements at the cost of public exchequer and constituted a four-member committee comprising former Director of National Judicial Academy, Bhopal, N. R. Madhava Menon, former Lok Sabha Secretary T. K. Viswanathan, senior advocate Ranjit Kumar and the Secretary of Information and Broadcasting Ministry.
The apex court asked the committee to submit its report within three months.The court passed the order on a PIL filed by NGOs, Common Cause and Centre for Public Interest Litigation (CPIL) pleading with it to frame guildelines.
The petition has sought issuance of guidelines for curbing ruling parties from taking political mileage by projecting their leaders in official advertisements.
The counsel appearing for Common Cause had earlier said that the glorification of politicians linked to the ruling establishment, in order to attain political mileage at the cost of public exchequer, was violative of Article 14 of the Constitution.

दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित से ग्यारह करोड़ रुपये वसूले जाएँ :लोकायुक्त मन मोहन सरीन की टेडी नज़र

निजी छवि को सुधारने के लिए छपवाए जा रहे विज्ञापनों में सरकारी धन के दुरूपयोग पर लोकायुक्त ने टेडी नज़र करते हुए दिल्ली कीमुख्य मंत्री शीला दीक्षित से ग्यारह करोड़ की रिकवरी की सिफारिश की है| लोकायुक्त जस्टिस मनमोहन सरीन ने बुधवार को विज्ञापनों में सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में राष्ट्रपति डा . प्रणव मुखर्जी से सिफारिश की है के दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भविष्य में ऐसा न करने की ‘चेतावनी’ दी जाए और विज्ञापनों पर खर्च सरकारी 11 करोड़ रुपए वसूले जाएँ|आदेश में कहा गया है कि पूरे साल छपे विज्ञापनों में पूरा तारतम्य नजर आता है। लोकायुक्त ने अपने आदेश में कहा कि शीला दीक्षित ने न तो अपने ऊपर लगाए आरोपों को झूठा साबित करने की कोशिश की और न ही अभियान से संबंधित लेख के संबंध में यह सबूत पेश किए कि वह उनकी अनुमति के बगैर लिखा गया।
पिछले विधानसभा चुनाव वर्ष में विज्ञापनों पर 22 करोड़ 56 लाख रुपए खर्च किये गए थे इसका करीब 50 % रिकवर किये जाने की संतुति की गई है| इसे राजनीतिक फायदे के लिए खर्च किया बाते गया है| यह भी सुझाव दिया गया है कि यदि इस राशि को पर्याप्त न समझें तो राष्ट्रपति ज्यादा वसूलने का आदेश दें।
लोकायुक्त ने विज्ञापनों में सरकारी धन के इस्तेमाल को लेकर दिशानिर्देश बनाए जाने की भी सिफारिश की है
।’बदल रही है दिल्ली’,+ ‘परिवर्तन की डोर टूटे ना’,+ ‘डोन्ट स्टॉप क्लीन दिल्ली,+ ग्रीन दिल्ली’, आदि दर्जनों स्लोगन युक्त विज्ञापनों से शहर पटा हुआ दिखाई दे रहा था। इससे दिल्ली सरकार ने जनता के समक्ष सिर्फ अपनी पार्टी की बेहतर छवि बनाने के रूप में प्रयोग किया।77 पेज की मामले की सुनवाई व आदेश में उदय सहाय द्वारा लिखे गए लेख का उल्लेख करते बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने एंटी इन्कम्बंसी फेक्टर को कम करने के लिए रणनीति तैयार की थी और उसके असर को कम करने के लिए इसे प्रचार अभियान में तब्दील किया।
भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता की याचिका पर कराई जांच के आधार पर लोकायुक्त ने ७७ पेज के अपने आदेश में यह सिफारिश की है। गुप्ता ने आरोप लगाया था कि नवंबर २००८ के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक फायदा पाने के लिए विज्ञापन अभियान में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अपने पद और सरकारी धन का दुरूपयोग किया। चुनाव के बाद जून, २००९ में एक अखबार में सूचना एवं प्रचार निदेशालय के निदेशक उदय सहाय के एक लेख को इस मामले का आधार बनाया गया, जिसमें यह बताया गया कि किस तरह सरकारी विज्ञापनों को रणनीति के तहत अभियान की तरह चलाया गया।