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कम नवजात मृत्‍यु दर वाले राज्‍यों को कोई प्रोत्साहन नही :ग्रामीण गर्भवती महिलाओं में एचआर्इवी की मौजूदगी 0.37 %

भारत सरकार ने देश में नवजात शिशु मृत्‍यु दर घटाने के लिए बनाये जा रहे कार्यक्रमों की जानकरी राज्य सभा में देते हुए बाते कि सरकार द्वारा अनेको कार्यक्रम चलाये जा रहे है और जिन राज्‍यों ने नवजात शिशुओं की मृत्‍यु दर विभिन्‍न उपायों के जरिए कम रखी है, उन्‍हें प्रोत्‍साहन देने का कोई प्रस्‍ताव नहीं है।
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने राज्‍यसभा में एक लिखित उत्‍तर में बताया कि राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन के अंतर्गत बनाये जा रहे कार्यक्रमों से नवजात शिशु परिचर्या सुविधाओं को मजबूत बनाया जाएगा और इसके लिए जि़ला स्‍तर पर नवजात स्थिरता इकाइयां तथा नवजात परिचर्या केन्‍द्र खोले जाएंगे। जहां भी प्रसव की सुविधा है, वहां नवजात परिचर्या केन्‍द्र भी खोले जाएंगे। इस समय देश भर में 448 नवजात शिशु परिचर्या केन्‍द्र, 1574 नवजात स्थिरता इकाइयां और 13219 नवजात परिचर्या केन्‍द्र काम कर रहे हैं। इसके अलावा जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम आदि भी चल रहे हैं।
इसके आलावा

एचआईवी पॉजिटिव म‍रीजों के लिए चिकित्‍सा बीमा पॉलिसी

की जानकारी भी दी गई |स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्याण राज्‍य मंत्री श्री अबु हासिम खां चौधरी ने राज्‍यसभा में एक लिखित उत्‍तर में बताया कि वर्ष 2012 में एचआईवी के बारे में लगाए गए अनुमानों के अनुसार 2010-11 के दौरान भारत में एचआईवी /एड्स (पीएल एचआईवी) ग्रस्‍त जीवित मरीजों की संख्‍या 20.89 लाख थी। ग्रामीण इलाकों में भी गर्भवती महिलाओं में एचआर्इवी की मौजूदगी 0.37 % पाई गई|
2012 के एचआईवी अनुमानों के अनुसार पीएल एचआईवी के 86.34 प्रतिशत मरीज वर्ष 2011 में 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग में थे। गर्भवती महिलाओं में एचआईवी फैलने को प्रॉक्‍सी माना जाता है। 2010-11 के एचआईवी सेन्‍टीनल सर्विलांस के अनुसार ग्रामीण इलाकों में गर्भवती महिलाओं में एचआर्इवी की मौजूदगी 0.37 प्रतिशत थी, जबकि शहरी इलाकों में ऐसे मरीजों की संख्‍या 0.44 प्रतिशत थी।