टी वी और मोबाइलके क्रांतिकारी दौर में अपना महत्व बनाये रखने वाले रेडियो के कार्यक्रमो को पुरुस्कृत किया बेशक आज के दौर में टी वी और मोबाइल के प्रति रूचि बड़ी है लेकिन संचारऔर मनोरंजन के पुराने साधन रेडियो का महत्व अभी तक बना हुआ है|वर्त्तमान में भी रेडियो के श्रोताओं की संख्या बहुत बड़ी है शायद इसीलिए वैश्विक संस्था यूनेस्को द्वारा भी १३ फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है|
इसीलिए रेडियो कार्यक्रमो को प्रात्साहित करने के लिए आज सामुदायिक रेडियो पुरस्कार दिए गए
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सचिव बिमल जुल्का ने आज तीसरे सामुदायिक रेडियो पुरस्कार का वितरण किया। 68 सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से प्राप्त कुल 131 आवेदनों में से पुरस्कार प्राप्त करने वालों की सूची इस प्रकार है:
[अ]-सर्वाधिक सृजनात्मक/नवाचारी कार्यक्रम विषय वस्तु पुरस्कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को कार्यक्रमों और उनके प्रस्तुतिकरण में नयेपन तथा समुदाय के बीच प्रभावी रूप से पारंपरिक संवाद के माध्यम से विकास के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दिया जाता है।
[१] ”फसल बुआई तथा कृषि तरीकों में पर्यावरण बदलाव के अनुसार परिवर्तन” कार्यक्रम के लिए येरला प्रोजेक्ट सोसाइटी, सांगली, महाराष्ट्र द्वारा संचालित येरलावनी सामुदायिक रेडियो।
[२] ”सुन्नो थेके सुरू-चतुर्भुज के प्रकार” कार्यक्रम के लिए जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता, पश्चिम बंगाल द्वारा संचालित जेयू सामुदायिक रेडियो।
[आ]तथ्यात्मकता पुरस्कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को समुदाय के हित और आवश्यकता के अनुरूप कार्यक्रम बनाये जाने के लिए दिया जाता है।
[१] ”पुथोली” कार्यक्रम के लिए एजुकेशनल मल्टीमीडिया रिसर्च सेन्टर, अन्ना विश्वविद्यालय, चैन्नई, तमिलनाडु द्वारा संचालित अन्ना सामुदायिक रेडियो
[२] ”बाजार लाए बोछार” कार्यक्रम के लिए द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट, उत्तराखंड द्वारा संचालित कुमाऊं वाणी।
[३] ”गृहासन से सिंहासन” कार्यक्रम के लिए प्रजा पिता ब्रह्म कुमारी र्इश्वरीय विश्वविद्यालय, राजस्थान द्वारा संचालित रेडियो मधुबन।
[इ]समुदाय भागीदारी पुरस्कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को समुदाय को कार्यक्रमों की योजना, विषय वस्तु, प्रोडक्शन तथा प्रसारण में प्रभावी रूप से शामिल करने के लिए दिया जाता है।
[१] ”खासो साशन” कार्यक्रम के लिए साईरे जो संगठन, गुजरात द्वारा संचालित साईरे जो रेडियो।
[२ ]”विजयपथम” कार्यक्रम के लिए श्री विष्णु इंजीनियरिंग कॉलेज फॉर वूमेन, आंध्र प्रदेश द्वारा संचालित रेडियो विष्णु।
[३] ”गांव की बात” कार्यक्रम के लिए कृषि एवं तकनीक जी. बी. पंत विश्वविद्यालय, उत्तराखंड द्वारा संचालित पंत नगर जनवाणी।
[ई]स्थानीय संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को स्थानीय प्रतिभा और परंपराओं को अपने कार्यक्रमों में शामिल करने के लिए दिया जाता है।
[१] ”कंधाई कथा” कार्यक्रम के लिए शिक्षा अनुसंधान विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर ओडिशा द्वारा संचालित वॉयस ऑफ एसओए समुदाय।
[२] ”अमा, कला, अमा संस्कृति” कार्यक्रम के लिए एसोसिएशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवेलपमेंट, ओडिशा द्वारा संचालित रेडियो किसान।
[३] ”डुडी नालिके (कुनिथा)” कार्यक्रम के लिए सेंट एलोयसियस कॉलेज, मंगलोर, कर्नाटक द्वारा संचालित सामुदायिक रेडियो सारंग।
[उ]टिकाऊ विकास मॉडल पुरस्कार
यह पुरस्कार सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को अपने लिए धन की व्यवस्था करने के लिए नये-नये तरीकों और मॉडल को विकसित करने के लिए दिया जाता है।
[१]सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ कम्युनिकेशन, केरल द्वारा संचालित रेडियो मीडिया विलेज।
इस वर्ष के राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार के लिए आवेदन 31 जनवरी, 2014 तक आमंत्रित थे। 68 सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से कुल 131 आवेदन प्राप्त किये गये। पुरस्कार के लिए पात्र सामुदायिक रेडियो स्टेशनों का चयन करने के लिए स्वतंत्र चयन समिति का गठन किया गया।
वर्ष 2012 में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों पर बेहतर कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कार का आरंभ किया गया। ये पुरस्कार ऊपर उल्लिखित पाँच श्रेणियों में दिये जाते हैं।
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