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के पी आई टी की प्रतिस्पर्धा में इंजीनियरिंग छात्र तलाशेंगे ऊर्जा+यातायात समस्यायों के उपाय

[नई दिल्ली]इंजीनियरिंग के छात्र अब तलाशेंगे ऊर्जा और यातायात की समस्यायों के उपाय
ऊर्जा+यातायात की दशकों से विकराल होती आ रही समस्यायों के उपाय निकालने के लिए कारोबारी जगत ने टेक्नीकल छात्रों को जोड़ने की अनूठी पहल की है|ऐसी ही एक संस्था के पी आई टी KPIT ने छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए पुणे के कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग के साथ ‘मिल कर स्पार्कल [ Sparkle 2015 ] नामक एक अनोखी प्रतिस्पर्धा [Competition ]शुरू की है | इसके आकर्षण के रूप में विजेता के लिए पुरस्कार धनराशि 20 लाख रुपये रखी गयी है |
के पी आई टी के पुनीत कुंगर के अनुसार भारत के किसी भी इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र इसमें भाग ले सकते हैं|
पुनीत ने इस आयोजन के विषय में बताया कि जहां मंगलयान की सफलता ने साइंस क्षेत्र में भारत का लोहा मनवाया है, वहीँ कारोबारी जगत भी छात्रों को प्रात्सोहित करने के लिए आगे आ रहा है ताकि उनके ज्ञान एवं विवेक के इस्तेमाल से व्यवहारिक चुनौतियों के हल ढूँढने में मदद प्राप्त की जा सके|
. ऐसी ही एक पहल में तकनीकी जगत की अग्रणी कंपनी केपीआईटी टेक्नोलॉजीज़ +पुणे के छात्रों को ऊर्जा एवं यातायात सम्बन्धी मसलों के हल ढूँढने है जिन्हें इस्तेमाल में लाया जा सके, मसलन:
क्या आप जानते हैं की दुनिया भर में आजकल की गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले कम्बस्चन इंजन का आविष्कार 125 वर्ष पहले हुआ था और तब से उसमें कोई ख़ास संशोधन नहीं हुआ है? १
25 साल बाद भी इन इंजनों की सर्वाधिक ऊर्जा परिवर्तन क्षमता अब भी 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है! हम इसे कैसे बदल सकते हैं?
जहाँ एक और हम 70% ऊर्जा व्यर्थ गंवा देते हैं, वहीँ आज भी धुआं गाड़ियों के ईंधन का पर्याय बना हुआ है और हम नाइट्रिक ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी विषैली गैसों से अपने फेफड़ों को प्रदूषित करने को मजबूर हैं. इसका क्या हल है?
पेट्रोल की बढती कीमतों के मद्देनज़र क्या हम कोई ऐसे ईंधन खोज सकते हैं जो सस्ता और पर्यावरण अनुकूल हो? क्या हम ऐसे मटेरियल बना सकते हैं जो गाड़ियों का वज़न कम करें ताकि तेल की बचत हो सके?
कम गाड़ियां होने के बावजूद भारत सड़क हादसों में अव्वल नंबर पर है – नए सुरक्षा आयामों से हम इन मूल्यवान जानों को कैसे बचा सकते हैं? सौर ऊर्जा की क्षमता को हम मौजूदा 17-23% से कैसे बढ़ा सकते हैं?
के पी आई टी के सह सस्थापक रवि पंडित +और कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग के निदेशक डॉ अनिल सहस्रबुद्धे[Dr. Anil Sahasrabudheके अनुसार इस प्रयास से छात्र अपने अनुभव+प्रतिभा+ज्ञान से गेम चेंजर का रोल निभा सकते हैं और राष्ट्र निर्माण में सही योगदान दे सकेंगे और विश्व को एक नई दिशा प्रदान कर सकेंगें