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सुप्रीम कोर्ट ने कहा ” दिल्‍ली अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है” महिलाओं को सुरक्षित माहौल दिया जाना जरुरी है

सुप्रीम कोर्ट ने आज १ जनवरी को दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था पर तीखी टिपण्णी करते हुए महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता जताई और लड़कियों को सुरक्षित माहौल देने की बात कही है एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने . केंद्र सरकार से लगभग एक माह के अंदर दिल्ली में कानून व्यवस्था पर जवाब तलब किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए लड़कियों को सुरक्षित माहौल देने की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि दिल्‍ली अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा काले शीशे वाले वा‌हनों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश की अवहेलना करने पर दिल्ली पुलिस अपनी पहले ‌ही किरकिरी करा चुकी है। दामिनी गैंगरेप के बाद कानून व्यवस्‍था पर सुप्रीम कोर्ट की यह तल्‍ख टिप्पणी दिल्ली सरकार, पुलिस और केंद्र सरकार की मुश्किलें बढा़ने वाली है। ऐसे में आम जनता में सुरक्षा की भावना पैदा करना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।दिल्ली पुलिस, दिल्ली की सरकार और केंद्र सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बड़ा झटका है, जब दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर लगातार सवालिया निशान उठ रहे हैं।गौरतलब है कि दिल्ली गैंगरेप पर चार्ज शीट को लेकर भी दिल्ली पुलिस साकेत कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई थी। इस मामले पर पुलिस ने अदालत से माफी भी मांगी थी|

दिल्‍ली अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है”

दिल्ली में केंद्र की पोलिस और शीला दीक्षित सरकार में आकंडा ३६ की और

गैंग रेप को लेकर भड़के आन्दोलन को अब एक नए मोड़ की और ले जाने के आरोप लगने लगे हैं|आज गैंग रेप पीड़ित के बयान को लेकर एसडीएम और पुलिस ऑफिसरों से बहस के समाचार आने शुरू हो गए हैं| इस विभत्स,घिनौने,जघन्य गैंग रेप के बाद जनाक्रोश मुख्यतः दिल्ली की मुख्य मंत्री श्रीमती शीला दीक्षित की तरफ हुआ शीला दीक्षित के खिलाफ राजनीतिक माहौल भी बनने लगा| लेकिन श्रीमती दीक्षित और उनके सांसद पुत्र ने दिल्ली में पोलिस व्यवस्था के लिए केंद्र को दोषी ठहराना शुरू किया और सीधेपोलिस कमिश्नर पर निशाना साध दिया| मुख्य मंत्री के सांसद पुत्र जब बीते दिन आन्दोलनकारियों के बीच पहुंचे तो पोलिस ने उन्हें उचित भाव नहीं दिया जिसके फलस्वरूप सांसद की कार में तोड़ फोड़ की गई और उसके साथ भी बदसलूकी की आ रही हैं|इसके बाद तो पोलिस पर दिल्ली की सरकार के हमले तेज़ होगये|अब गैंग रेप की पीडिता के बयाँ लेने गई एस डी एम् उषा चतुर्वेदी ने एक पोलिस की कार्यवाही को कटघरे में खडा करने वाला ब्यान दे दिया है| प्राप्त जानकारी के अनुसार सफदरजंग अस्पताल में गैंग रेप पीड़ित के बयान लेने पहुंचीं विवेक विहार की एसडीएम ऊषा चतुर्वेदी का आरोप है कि पुलिस ऑफसरों ने बयान लेने के दौरान दखलंदाजी की।पोलिस ने एक प्रश्नोत्तरी दे कर उसके मुताबिक़ ब्यान दर्ज़ करने को दबाब बनाया था| इस बात की लिखित शिकायत एसडीएम ने डिप्टी कमिश्नर से से की, जिन्होंने इसे गृहमंत्री और उप राज्यपाल को भेज दी है। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इस मामले में पुलिस ऑफिसरों के खिलाफ स्वतंत्र जांच की मांग केंद्रीय गृहमंत्री से दोहराई है।

दिल्ली में केंद्र की पोलिस और शीला दीक्षित सरकार में आकंडा ३६ की और


बताया जारहा है की एसडीएम शुक्रवार की रात गैंग रेप पीड़ित के बयानों की विडियोग्रफी कराना चाह रही थीं, जबकि पीड़ित के परिजनों ने विडियोग्रफी से इनकार किया था, जिसका समर्थन मौके पर मौजूद डीसीपी छाया शर्मा और दो एसीपी ने कर दिया। इसी बात को लेकर एसडीएम और पुलिस ऑफिसरों के बीच तीखी बहस हो गई।
असलियत तो जांच के बाद ही सामने आ पायेगी मगर फिलहाल पोलिस की कार्यवाही शक के घेरे में दिख रही है| पहले तो पोलिस द्वारा कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में से धटना वाले इलाके में लापरवाही के दोषी पोलिस अफसरों के नाम ही गायब कार दिए गए |कोर्ट की फटकार और जनांदोलन के के फलस्वरूप आठ पोलिस अधिकारियों के निलंबन की प्रक्रिया शुरू की गई| प्रदर्शन स्थल पर वाटर केनोन+आंसू गैस+और लाठी चार्ज के द्रश्य मीडिया और सोशल साईट्स पर में छाए हुए हैं| इसके बाद अब एस डी एम् का यह आरोप अपने आप में समस्या को टेकल करने में प्रशासनिक असमर्थता दर्शाता है| इसके बाद केन्द्रीय गृह मंत्री का ब्यान “सरकार को आन्दोलन कारियों से मिलने के कोई जरुरत नहीं है”ने आग में घी का काम किया है| नतीजे कुछ भी आयें फ़िलहाल तो शीला दीक्षित की सरकार से अरविन्द केजरीवाल सरीखे नए नए बने राजनीतिकों से दूरी बना ही ली गई है|