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Tag: Taliban in Afganistan

पाकिस्तान को तालिबान का एक और घर बनने से अब ख़ुदा ही बचा सकता है

                                                      झल्लीगल्लां

चिंतक

ओए झल्लेया! हसाडी नाक के नीचे पड़ोस में ये क्या खिचड़ी पक रही है ?पाकिस्तान के सफल रहे क्रिकेटर परंतु असफल प्रधानमंत्री इमरानखान  अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान के प्रति हमदर्दी जता रहा है और उधर तालिबान सीना ठोक कर इमरान के पाकिस्तान को अपना दूसरा घर बता रहा है

ओये  ये दोनों तो आपस मे मिल गए अब हसाडे  कश्मीर का क्या होगा ???

झल्ला

भापा जी!हसाडा कश्मीर तो डोभाल जी  ,राजनाथ जी और नरेंद्रमोदी जी के सुरक्षित हाथों में है लेकिन अब अफगानिस्तान के पश्चात  पाकिस्तान को तालिबान के घर बनने से ख़ुदा ही बचा सकता है।

 

 

अफगान नागरिकों को वीजा देते समय शरणार्थी और घुंसपैठियो में बारीकी से जांच जरूरी

(नई दिल्ली) अफगान नागरिकों को वीजा देते समय शरणार्थी और घुंसपैठियो में बारीकी से जांच जरूरी
भारत ने अफगानिस्तान में मौजूदा तख्तापलट को देखते हुए मंगलवार को घोषणा की है कि वहां से आने की इच्छा रखने वाले अफगान नागरिकों के लिए एक आपातकालीन ‘ई-वीजा’ जारी करेगा।किसी भी धर्म के सभी अफगान नागरिक ‘ई-आपातकालीन एवं अन्य वीजा’ के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और नयी दिल्ली में उनकी अर्जियों पर कार्रवाई होगी। यह छह महीने के लिए वैद्ध रहेगा
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता के अनुसार  ‘‘गृह मंत्रालय ने अफगानिस्तान में मौजूदा हालात को देखते हुए वीजा प्रावधानों की समीक्षा की है। भारत में प्रवेश के लिए वीजा अर्जियों पर जल्द फैसला लेने के लिए ‘ई-आपातकालीन एवं अन्य वीजा’ की नयी श्रेणी बनायी गयी है।’’ अफगानिस्तान में भारत के मिशनों के बंद होने के कारण वीजा के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है और नयी दिल्ली में अर्जियों की जांच की जायेगी।अर्जियों पर कार्रवाई करते और अफगान नागरिकों को वीजा देते हुए सुरक्षा मुद्दों पर गौर किया जाएगा। सभी धर्मों के अफगान नागरिक वीजा के लिए आवेदन दे सकते हैं।
शरणागत को शरण देने की भारत मे परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है इसके लिए सदियों तक खामियाजा भी भुगतना पड़ा है। राजा पोरस से लेकर दलाईलामा तक अनेकों उदहारण प्राचीन से लेकर आधुनिक इतिहास में दर्ज है।
इस सब के बावजूद अगर वर्तमान सरकार ने ऐतिहासिक परम्परा को निभाने का साहसिक निर्णय लिया है तो,आने वालों में शरणार्थी और घुंसपैठियो में प्राथमिकता से अंतर ढूंढना होगा ।अफगानिस्तान से जब पहले तालिबान गए थे तब उनके सहयोगी वही अफगानिस्तान में ही रच बस गए थे।जिसके परिणाम अब अमेरिका समर्थित सरकार को झेलना पड़ा है