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Archive for: May 2013

इंटरनेट से सूचना तंत्र में आई क्रांति का भविष्य क्या होगा ;सीधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृष्ण अडवाणी ने अपने ब्लॉग के माध्यम से इंटरनेट(अंतरताना)के उपयोग दुरूपयोग और इसके दमन के विषय में रोचक तथ्य दिए हैं| आतंक वादियों द्वारा इसके दुरूपयोग और विक्लिक्स के अनेकों राजनितिक रहस्योद्घाटन और फिर उसके दमन का उल्लेख करके भविष के प्रति चिंता प्रकट की है| प्रस्तुत है सधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से;
गत् सप्ताह एक मित्र ने मुझे ‘इंटरनेट‘ (अंतरताना) से सम्बन्धित एक उत्कृष्ट पुस्तक भेजी, सत्य यह है कि हाल ही के वर्षों में जिन उत्तम पुस्तकों को पढ़ने का मौका मिला, यह उनमें से एक है। पुस्तक का शीर्षक है

”दि न्यू डिजिटल एज”

इस पुस्तक पर की गई टिप्पणियों में

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की टिप्पणी

भी समाहित है, जिसमें वह कहते हैं:
यह पुस्तक इंटरनेट द्वारा सृजित की जा रही नई दुनिया की प्रकृति और इसकी चुनौतियों-दोनों को परिभाषित करती है। यह जन्म ले रही एक प्रौद्योगिक क्रांति का वर्णन करती है। हम इसे कैसे माप पाते हैं, यह देशों, समुदायों और नागरिकों के लिए चुनौती है। एरिक चमस्मिट (Eric schmidt½ और जारेड कोहेन (Jared Cohen½ – इन दोनों से ज्यादा और कौन इसके तात्पर्य को अच्छी तरह से जान सकता है।
इरिक सचमिड्ट, गूगल के इग्जेक्यटिव चेयरमैन हैं और जारेड कोहेन इस पुस्तक के सहयोगी लेखक होने के साथ-साथ गूगल आईडियाज़ के निदेशक हैं।
लेखक द्वारा लिखी गई प्रस्तावना का शुरुआती वाक्य है: ”इंटरनेट उन कुछ चीजों में से है जिसे मनुष्यों ने बनाया लेकिन वे इसे वास्तव में समझते नहीं हैं।”
प्रस्तावना के अंतिम पैराग्राफ में लिखा है:
”यह पुस्तक गजेट्स, स्माल फोन एप्पस या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में नहीं है, यद्यपि इन प्रत्येक विषयों के बारे में चर्चा की जाएगी….
सर्वाधिक, यह पुस्तक नए डिजिटल युग में मार्गदर्शक मानवीय हाथ के महत्व के बारे में है। संचार प्रौद्योगिकी जिन सभी संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करती है, उनका अच्छे या बुरे उपयोग का सारा दारोमदार लोगों पर निर्भर करता है। भूल जाइए उन सभी बातों को जो मशीनों के प्रभावी होने से उठती हैं। हमारे लिए मुख्य है कि भविष्य में क्या होगा।”
मार्च, 2011 में चेन्नई से प्रकाशित हिन्दू ने भारत की विदेश नीति और घरेलू मामलों से सम्बंधित रिपोर्टों की श्रृंखला प्रकाशित करना शुरु किया था, जिनके चलते भारतीय पाठकों को विकीलीक्स नाम के संगठन से घनिष्ठ परिचय हुआ। 15 मार्च, 2011 को हिन्दू के तत्कालीन मुख्य सम्पादक एन. राम ने लिखा:
आज से हिन्दू अपने पाठकों को लिए ऐसी श्रृंखला शुरु कर रहा है जो इसके पाठकों को भारत की विदेश नीति और घरेलू मामलों, कूटनीति, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और बौध्दिक पक्ष की अप्रत्याशित अंतरंग जानकारी देगी जिसे अमेरिकी राजनायिकों ने वाशिंगटन डीसी में विदेश विभाग को भेजे गए केबलों में प्राप्त, प्रत्यक्षदर्शी, जुटाई गई, परिभाषित, टिप्पणियों सहित संजोया गया था।
विषयों, मुद्दों और इण्डिया केबल्स में वर्णित व्यक्तियों का दायरा अद्भुत है। जबकि दक्ष राजनयिकों की दृष्टि बहुधा सदैव अपने लक्ष्य पर थी-विकसित होते भारत-अमेरिकी सामरिक रिश्ते और इसमें सहायक या रोड़ा अटकाने वाली हर चीज-इस दायरे में शामिल है। भारत के अपने पड़ोसियों से रिश्ते, रुस, यूरोपियन यूनियन, ईस्ट एशिया, इस्राइल, फिलस्तीन, इरान और समूचा पश्चिम एशिया, अफ्रीका, क्यूबा और संयुक्त राष्ट्र। गुप्तचर सूचनाओं का आदान-प्रदान, निर्यात नियंत्रण, मानवाधिकार, भारतीय नौकरशाही, पर्यावरण, अफगान-पाक और बहुत कुछ। 26/11 पर विशेष फोकस है, कश्मीर, पाकिस्तान श्रीलंका, नेपाल, बंगलादेश और म्यनमार के प्रति भारत की नीति और भारतीय नीति किधर जा रही है। सभी दलों के राजनीतिक, कूटनीतिज्ञ, और सभी अधिकारी, जासूस, व्यवसायी, पत्रकार, व्यस्ततम लोग, बड़े-बड़े और छोटे-छोटे लोग विकीलीक्स के भारत सम्बन्धी केबल्स में हैं-जो अमेरिकी दूतावास और कान्सुलेट के 5100 केबल्स हैं जो भारत के संदर्भ में प्रासंगिक हैं (सभी भारत से नहीं भेजे गए हैं) और विस्मयकारी 6 मिलियन शब्दों में फैले हैं।”
समाचारपत्र के बहुत से पाठकों की भांति मैं भी विकीलीक्स के मुख्य सम्पादक द्वारा गुप्त दस्तावेजों में सेंध लगाकर रहस्योद्धाटित की गई जानकारियों से काफी प्रभावित हुआ। इसलिए, ब्रिटेन में एसांजे के नजरबंद किए जाने से मैं काफी दु:खी हुआ।
चमस्मिट और कोहेन ने नजरबंदी के दौरान एसांजे से साक्षात्कार किया:
पुस्तक में लिखा है:
साक्षात्कार के दौरान,

एसांजे ने इस विषय पर अपने दो मूल तर्कों को साझा किया। जोकि सम्बंधित हैं: पहला, हमारी मानव सभ्यता हमारे सम्पूर्ण बौध्दिक जीवन इतिहास (रिकार्ड) पर बनी है; अत: रिकार्ड जितना सम्भव हो उतना बड़ा होना चाहिए जो हमारे अपने समय को आकार दे सके तथा भावी पीढ़ियों को सूचित कर सके। दूसरा, क्योंकि विभिन्न पात्र सदैव अपने इतिहास को आत्मसम्मान की खातिर नष्ट करने या संवारने का प्रयास करते हैं, तो अत: सबका जहां तक संभव हो सक,े जो सत्य चाहते हैं और उसे महत्व देते हैं को रिकार्ड को नकारने से बचाने, और फिर इस रिकार्ड को जहां तक सम्भव हो सभी लोगों को सभी जगह सुलभ और शोधयोग्य बनाना चाहिए।

एसांजे के इस अवतार ने स्वाभाविक रुप से मुझे सत्तर के दशक में हमारे आपातकाल के प्रकरण का स्मरण करा दिया जब एक लाख से ज्यादा विपक्षी कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानकर जेलों में ठूंस दिया गया, इस पृष्ठभूमि में, इसलिए मैं इस मत का समर्थन करता हूं कि इंटरनेट इत्यादि पर सभी नियंत्रण अवांछनीय हैं और इसलिए एसांजे के उपरोक्त तर्कों से सहमत हूं तथा उनके विचार को समर्थन देता हूं कि व्यापक पारदर्शिता एक ज्यादा न्यायसंगत, सुरक्षित और स्वतंत्र विश्व बनाएगी।
मैं अवश्य ही यह मानता हूं कि इस पुस्तक ने मेरे लिए एक चेतावनी दी है कि इंटरनेट और अन्य आधुनिक संचार उपकरणों द्वारा लाई गई क्रांति ने राष्ट्रों और वैयक्तिक नागरिकों की सुरक्षा के लिए बहुत गंभीर परिणाम पैदा कर दिए हैं।
जब मैंने ‘चेतावनी‘ शब्द का प्रयोग जोर देकर किया कि कैसे यह पुस्तक इंटरनेट जैसे आधुनिक संचार उपकरणों के प्रति मेरे सहज मोह को प्रभावित करती है, तो मुख्य रूप से मेरे दिमाग में इस पुस्तक का पांचवां अध्याय है, जिसका शीर्षक है ”

दि फ्यूचर ऑफ टेरोरिज्म”।

अध्याय की शुरूआत में ही लिखा है:
”जैसाकि हमने स्पष्ट किया कि तकनीक एक समान अवसर हेतु सक्षम बनाने, लोगों को अपने लक्ष्यों के लिए प्रयोग करने हेतु शक्तिशाली औजार प्रदान करती है, कभी अद्भुत रूप से रचनात्मक लक्ष्यों लेकिन कभी-कभी अकल्पनीय विनाशकारी लक्ष्यों के लिए। अपरिहार्य सत्य यह है कि कनेक्टिविटी आतंकवादियों और हिंसक चरमपंथियों को भी फायदा देती है; जैसे यह फैलती है वैसे ही जोखिम भी। भविष्यगत आतंकवादी गतिविधियों में भर्ती से लेकर क्रियान्वयन जैसे भौतिक और वास्तविक पहलू शामिल रहेंगे। आतंकवादी समूह बम या अन्य माध्यमों से वार्षिक तौर पर हजारों लोगों को मारते रहेंगे। यह व्यापक लोगों, उन देशों के लिए बहुत बुरा समाचार है जो पहले से ही भौतिक विश्व में अपनी मातृभूमि को बचाने में काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और कम्पनियां निरंतर उनकी मार के दायरे में आएंगी। और निस्संदेह यह भयावह संभावना बनी रहेगी कि इनमें से कोई एक समूह परमाणु, रसायनिक या जैविक हथियार से युक्त हो जाए।
इस पुस्तक के लेखकद्वय ने परिचय में उल्लेख किया है कि इस पुस्तक का विचार उन्हें सन् 2009 में बगदाद में मिलने पर सूझा। दोनों इराक में इस महत्वपूर्ण सवाल से जूझ रहे थे कि एक समाज को फिर से बनाने में कैसे तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।
आतंकवाद सम्बन्धी अध्याय में वे कहते हैं ”सन् 2009 में जब वे यात्रा कर रहे थे तब उन्हें यह ख्याल आया कि एक ”आतंकवादी बनना कितना सरल” हो गया है। वे लिखते हैं कि आई ई डी (उन्नत विस्फोटक उपकरण) पहले महंगे थे। सन् 2009 तक वे काफी सस्ते हो गए और ”एक बम जिसका ट्रीगर मोबाईल फोन सेट के कम्पायमान (वाईब्रेट) से दूर से ही नम्बर मिलाकर विस्फोट किया जा सकता है।”
एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन प्रकरण का संदर्भ देते हुए पुस्तक कहती है:
”भविष्य में आतंकवादी पाएंगे कि तकनीक आवश्यक है लेकिन ज्यादा जोखिम वाली है। सन् 2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत प्रभावी रूप से आधुनिक प्रौद्योगिकी पर्यावरण से अलग-थलग रहकर गुफा के ठिकाने वाले आतंकवादी युग को समाप्त करती है। कम से कम पांच वर्ष तक बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद के अपने ठिकाने में इंटरनेट या मोबाइल फोन के बगैर छुपा रहा।
और भले ही ‘ऑफ लाइन‘ रहकर बिन लादेन पकड़े जाने से बचा रहा, लेकिन वह फलैश ड्राइव्स, हार्ड ड्राइव्स और डीवीडी का प्रयोग अपनी जानकारी तरोजाता बनाए रखने के लिए किया करता था। इन उपकरणों ने उसे अल-कायदा के दुनियाभर में चल रहे ऑपरेशनों पर नजर रखने में सबल बनाया और उसके गुर्गों को उसके तथा सर्वत्र विभिन्न आतंकी गुटों के बीच बड़ी मात्रा में डाटा प्रदान करने में सहायता की। जब तक वह आजाद रहा, इन उपकरणों पर उपलब्ध सूचनाएं सुरक्षित थीं और पहुंच से बाहर। लेकिन जब नेवी सील टीम सिक्स ने उसके घर पर धावा किया, उन्होंने उसके उपकरणों को कब्जे में लिया, और न केवल उन्हें वांछित व्यक्ति पकड़ने में सफलता मिली अपितु उन सभी के बारे में भी महत्वपूर्ण सूचनाएं मिलीं जिनके सम्पर्क में वह था।”
इसी संदर्भ में एक और उदाहरण दिया गया है कि कैसे नए उपकरणों ने एक आतंकवादी ऑपरेशन करने में सफलता प्राप्त की लेकिन अपने पीछे सन् 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले जिसमें दस नकाबधारी लोगों ने शहर को तीन दिन तक बंधक बना कर रखा और अनेक विदेशियों सहित 174 व्यक्ति मारे गए, को फंसाने वाला वर्णन भी छोड़ा।
”बंदूकधारी पाकिस्तान में बैठे अपने सूत्रधारों से सामंजस्य बैठाने और हमला करने हेतु, तथा बुनियादी उपभोक्ता प्रौद्योगिकी – ब्लैकबेरी, गूगल अर्थ और वीओआईपी – पर निर्भर थे, जो इस घटना का ताजा प्रसारण्ा सेटेलाइट टेलीविजन पर देख रहे थे और समाचारों की मॉनिटरिंग कर सचमुच में सामरिक निर्देश दे रहे थे। प्रौद्योगिकी ने इन हमलों को अन्य स्थिति की तुलना में ज्यादा घातक बना दिया लेकिन एक बार जब (अंतिम और एकमात्र जीवित) बंदूकधारी पकड़ा गया, उसके पास जो सूचना थी और महत्वपूर्ण यह कि उसके साथियों के छोड़े गए उपकरणों ने जांचकर्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक जांच करते हुए पाकिस्तान में बैठे महत्वपूर्ण लोगों और स्थानों तक पहुंचाया जोकि दूसरी स्थिति में अनेक महीनों तक पता ही नहीं चलते, कभी नहीं भी।”
टेलपीस (पश्च्य लेख)
सी आई ए के पूर्व डारेक्टर जनरल मिशेल हायडेन ‘दि न्यू डिजिटल एज‘ ‘उन सभी को पढ़ने के लिए अनिवार्य मानते हैं जो डिजिटल क्रांति की गहराई को समझना चाहते हैं।‘
यह पुस्तक कहती है कि दुनियाभर के अधिकांश इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को किसी रूप में सेंसरशिप – जिसे कोमल भाषा में ‘फिल्टरिंग‘ के नाम से जाना जाता है – का सामना करना पड़ता है। लेकिन देशों में फिल्टरिंग के तीन मॉडल प्रचलित हैं : खुले तौर पर, संकोची और राजनीतिक तथा सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य।
खुले तौर पर : चीन दुनिया में सूचनाओं का सर्वाधिक उत्साही फिल्टर करने वाला देश है। दुनियाभर में प्रर्याप्त लोकप्रिय समूचे प्लेटफार्म – फेसबुक, टि्वटर, टुमबलर – पर चीनी सरकार ने रोक लगाई हुई है। इसी प्रकार राजनीतिक रूप से नाजुक तियनामेन स्कवेयर विरोध, दलाई लामा, तिब्बती अधिकार आंदोलन, 2011 में गूगल के चेयरमैन की बीजिंग यात्रा इत्यादि भी।
संकोची- हालांकि तुर्की में चीन जैसी खुले तौर पर फिल्टरिंग नहीं है परन्तु तुर्की सरकार का खुले इंटरनेट से सम्बन्ध सहज नहीं है। फिर भी लगभग 8000 वेबसाइट्स बगैर सार्वजनिक नोटिस या अधिकारिक सरकारी स्वीकृति के तुर्की मे ‘ब्लॉक‘ कर दी गईं।
राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य: पुस्तक इस श्रेणी में दक्षिण कोरिया, जर्मनी और मलेशिया जैसे देशों को रेखांकित करती है। यह फिल्टरिंग चुनींदा है और कानून आधारित अत्यन्त विशेषीकृत सामग्री को सेंसरशिप से रोकने का न तो प्रयास करती है न ही औचित्य का।
पुस्तक की इच्छा है कि यह तीसरा मॉडल समूचे विश्व का नियम बनना चाहिए।

माओ वादियों के एटैक के जवाब में सुरक्षा फोर्सेस की प्रति हिंसा के बजाय राजनीतिक संवाद स्थापित किया जाना चाहिए

छत्तीस गढ़ में माओ वादियों के खुनी लाल सलाम की आम आदमी पार्टी[आप] ने निंदा की और इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को राष्ट्र के लिए वेक अप काल[wake up call to the nation ] बताया और नक्सल समस्या को हल करने के लिए सुरक्षा फोर्सेस द्वारा प्रतिहिंसा के बजाय संवाद स्थापित किये जाने का सुझाव दिया है|आप पार्टी ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के कारवां पर एटैक को दुर्भाग्य पूर्ण और निंदनीय बताया है|और एटैक में मारे गएऔर घायल हुए लोगों के परिवारजनों के प्रति शोक संवेदनाएं प्रकटकी हैं|
पार्टी का कहना है कि इससे पूर्व भी माओ वादियों के एटैक छत्तीस गढ़ को दहला चुके हैं और राज्य तथा केंद्र सरकारेंइसे रोक पाने में असफल साबित हुई है
अब समय आ गया ही जब इस ज्वलंत +आत्मघाती समस्या को सुलझाने के लिए एक अलग मार्ग का अनुसरण करना होगा| केवल कुछ सुरक्षा फोर्सेस भेज कर कुछ माओ वादियों या आदिवासियों को क़त्ल करवा देने के बजाये उनसे संवाद स्थापित किये जाने चाहिए इसके लिए राजनितिक इच्छा शक्ति का सर्वथा अभाव दिख रहा है|

माओ वादियों के खूनी लाल सलाम ने कांग्रेस के छेत्रिय और केन्द्रीय नेताओं को छलनी किया:प्रदेश अध्यक्ष शहीद औरपूर्व केन्द्रीय मंत्री शुक्ल गंभीर घायल

माओ वादियों के लाल सलाम ने कांग्रेस के छेत्रिय और केन्द्रीय नेताओं को छलनी कर दिया| छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों के एक बड़े हमले में राज्य में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल,+ वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा समेत 16 लोगों की मौत हो गई है.|पूर्व केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत कई लोग बुरी तरह जख्मी हो गए हैं.|श्री शुक्ल को इलाज के लिए हवाई जहाज से दिल्ली /गुड गाँव लाया गया है|
पूर्व विधायक उदय मुदलियार और गोपी माधवानी भी मारे गए हैं,
राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए जानकारी दी है कि इस घटना में 16 लोग मारे गए हैं जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.
गौरतलब है कि रमन सिंह की विकास यात्रा के जवाब में कांग्रेस छत्तीसगढ़ में परिवर्तन यात्रा निकाल रही है।
इसी यात्रा के दौरान जगदलपुर से 40 किमी दूर दरबाघाटी में नक्सलियों ने कांग्रेसियों को अपना निशाना बनाया।
बस्तर से एसेम्बली के लिए कुल 12 सीटें हैं और इनमें से कांग्रेस के पास एक केवल एक सीट है।
इसीलिए आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की साख दांव पर है सम्भवत इसलिए सारे दिग्गज कांग्रेसी इस यात्रा में जुटे हुए थे।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश गुप्ता के मुताबिक, करीब दो सौ से ढाई सौ की संख्या में हथियारों से लैस नक्सलियों ने इस यात्रा पर हमला बोल कर बारूदी सुरंग से विस्फोट किया और गोलीबारी शुरू कर दी.
नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को लेकर पहले ही धमकी दी थी. खासकर माओवादियों के खिलाफ सलवा जुड़ूम अभियान का समर्थन करने वाले कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा को लेकर माओवादिओं का गुस्सा पुराना था.श्री कर्मा को सलवा जुडूम के जन्म दाता कहा जाता है|
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस घटना के बाद राज्य में तीन दिन के राजकीय शोक का एलान किया है.
हमले में घायल हुए लोगों का हाल जानने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी रायपुर पहुंच गए हैं.उन्होंने इस हमले को राष्ट्र की एकता और अखण्डता पर हमला बताया है|

आई पी एल क्रिकेट की बिसात पर घिरे बादशाह श्रीनिवासन को बचाने के लिए वजीर एम् गुरुनाथ की बलि


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

बी सी सी आई का एक चीयर लीडर

ओये झल्लेया हसाडी बी सी सी आई की निष्पक्षता देखी ?ओये जिसे देखो बी सी सी आई के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन पर पत्थर उछालने पर तुला हुआ है| बेचारे गुरुनाथ को बेटिंग के लिए बदनाम किया जा रहा है लेकिन उसी बी सी सी आई ने अपने अध्यक्ष के दामाद एम् गुरुनाथ तक को एक झटके में जांच पूरी होने तक क्रिकेट से अलग कर दिया है|ओये दोषी किसी भी कीमत पर बक्शे नही जायेंगे|यह हमारा संकल्प है|

झल्ला

बाऊ जी पुराणी रिवायत है कि शतरंज की बिसात पर घिरे बादशाह को सुरक्षित निकालने के लिए अपने पियादों और कभी कभी तो अपने वजीर को भी बलिदान करना पड़ता है|अब श्रीनिवासन को बचाने के लिए गुरुनाथ की बलि काम नहीं आने वाली क्योंकि बेशक आपजी के गुरुनाथ ने एक करोड़ रुपये हारने की बात उछाली है लेकिन पोलिस का यह भी कहना है कि अनेको बेटिंग में हारने वाले इसी गुरुनाथ ने सी एस के टीम के मैच में बेटिंग करके भविष्य बनाया है| ऐसे में टीम और खेल के साथ जुड़े दामाद के साथ ससुर भी दोषी हैं|

आई पी एल के दोषियों को बचाने के लिए फिक्सिंग और बेटिंग में लाईन खींची जाने लगी है

आई पी एल में स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में चल रही जांच में बी सी सी आई सुप्रीमो के दामाद एम् गुरुनाथ को २९ मई तक के लिए मुम्बई पोलिस ने रिमांड पर लिया है |अब गुरुनाथ और बिंदू दारा सिंह को आमने सामने बैठा कर पूछ ताछ करने के यौजना बनाई जा रही है| इस प्रकरण से श्रीनिवासन के बी सी सी आई से निर्वासन /निष्काशन की आवाज को बल मिलना शुरू हो गया है लेकिन श्रीनिवासन ने किसी दबाब में आकर अपना पद छोड़ने से मना कर दिया है|
अब गुरु नाथ कैम्प से कहा जा रहा है कि गुरुनाथ ने स्वयम बेटिंग में एक करोड़ रुपयों का नुक्सान करा लिया है अर्थार्त सहानुभूति प्राप्त करने की मुहीम शुरू हो गई है| अब प्रश्न उठाया जा सकता है कि घोड़ों की दौड़ में बेटिंग कानून सही है|ऐसे में गुरुनाथ जैसे शक्तिशाली+प्रभावशाली का एक करोड़ का नुक्सान हो गया तो वोह स्पॉट या मैच फिक्सिंग में कैसे लिप्त हो सकता है|यदि दामाद गुरु नाथ की संलिप्ता साबित कर ली जाती है तब ससुर सुप्रीमो श्रीनिवासन खुद बा खुद ही फिक्सिंग+मिस मेनेजमेंट के आरोपों से बाहर हो सकते हैं |
स्पॉट+मैच फिक्सिंग और इल्लीगल बेटिंग में खींची जा रही इस बारीक लाईन के पीछे ध्यान से देखने पर कुछ कुछ इस प्रकार देखा जा सकता है|
[१] क्रिकेट में बेटिंग अनाधिकृत है|
[२] यह अनाधिकृत कार्य क्रिकेट के वर्तमान सुप्रीमो और एक टीम के फ़्रेञ्चाईसी के मालिक ने किया है
[३]बेशक हॉर्स रेस में बेटिंग लीगल हैं मगर वहां पर स्तुवर्ड्स या बुकी या उनके परिवार जनो को भी बेटिंग की परमिशन नही है|
[४] कहा जा रहा है कि विदेशों से संचालित देश द्रोहियों की तिजोरियों में बेटिंग का पैसा जा रहा है
अब यह तो सामान्य ज्ञान का प्रश्न है कि जब गुरुनाथ जैसे एक प्रभावी +शक्तिशाली व्यक्तित्व की संलिप्तता बेटिंग में साबित हो जाती है तब यह तय करना लगभग नामुमकिन होगा कि किसी भी प्रकार की फिक्सिंग नही हुई वैसे भी बेटिंग का पैसा इल्लीगल तरीके से विदेशों में बैठे देश द्रोहियों को शक्तिशाली कर रहा हो तब किसी भी तरह की माफी के लिए किसी भी स्कोप को तलाशना आने आप में जेंटल मैन गेम और देश के हित में नहीं होगा|

सलमान खुर्शीद के अश्व मेघ यज्ञ घोड़े के साउदी अरब में आगमन से २५ लाख भारतीयों की निकासी रुकेगी ?


झल्ले दी झल्लियाँ गल्ला

एक कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया हसाड़े विदेश मंत्री जनाब सलमान खुर्शीद साहब ने अपने अश्व मेघ यज्ञ का रथ साउदी अरब की तरफ मौड़ दिया है|ओये अब वहां काम कर रहे लगभग २५ लाख भारतीयों की आवाज दबाई नही जा सकेगी उन्हें भी लगेगा कि उन्हें भी सुनने वाला कोई है| इसके अलावा ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद निरोधी सहयोग पर भी रास्ता निकाला जाएगा|

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजाण जी आप जी के ही डा प्रणव मुखर्जी साहब ने भी २००८ में ऐसे ही तेवर दिखाए थे लेकिन उसके बाद वहां नई श्रम नीति[निताकत१९९४ ] के नाम पर निकासी की तलवार के नीचे आये भारतीयों की संख्या २७००० तक पहुँच गई है|और अगर ऐसा ही चलता रहा तो यह संख्या तीन लाख [ स्किल +अन स्किल] तक पहुँच सकती है|और स्थिति बिगड़ने पर यह संख्या २५००००० तक पहुँच सकती है|ये अधिकतर साउथ के ही हैं | बेशक आप अपना राजनितिक प्रभाव साउथ में बढाना चाहते हो लेकिन अब इतनी नौकरियां खुले आम केवल इन्ही के लिए तो भारत में क्रियेट करने से रहे |

आई पी एल के सर्वोच्च दोषियों को बचाने के लिए नेताओं ने भी शब्दों की वाइड बालिंग शुरू कर दी है

जेंटल मैन के गेम क्रिकेट में सुधार के नाम पर राजनीतिज्ञों में राजनीति का आई पी एल शुरू हो गया है| जबसे बी सी सी आई के सुप्रीमो एन श्रीनिवासन के दामाद एम् गुरुनाथ का नाम बेटिंग या फिक्सिंग में आया है तब से नेताओं पर भी सवाल उठने लगे हैं दिल्ली पोलिस द्वारा अपनी जांच को सिमित किये जाने के बावजूद अब कमान मुम्बई पोलिस ने संभाल ली है और गुरुनाथ को पूछ ताछ के लिए हिरासत में ले लिया है इसीलिए फेस सेविंग के लिए अब दलों ने शब्दों की/बयानों की बालिंग शुरू कर दी है लेकिन अधिकाँश बालिंग वाईड ही जा रही है| अर्थार्त वर्तमान समस्यायों को हल करने के लिए भविष्य में यौजनाएं बनाए जाने पर बल दिया जा रहा है| उदहारण देखिये
[१] सबसे पहले कांग्रेस के केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने क्रिकेट को लेकर एक नए कानून की आवश्यकता पर बल दिया|
[२]स्पोर्ट्स मिनिस्टर जीतेन्द्र सिंह ने आई पी एल को लेकर हो रहे खुलासों पर शर्मिंदगी दिखाई|
[३] संसद में विरोधी मगर क्रिकेट में साथ साथ भाजपा के राज्य सभा में नेता और बी सी सी आई के उपाध्यक्ष अरुण जेटली तथा कांग्रेस के संसदीय कार्य मंत्री और आई पी एल के चेयर मैन राजीव शुक्ला ने कानून मंत्री कपिल सिब्बल के यहाँ जा कर क्रिकेट में एक सशक्त कानून की मांग करके अपना विरोध जताने के ओपचारिकता पूरी कर दी है|गौरतलब है की कपिल सिब्बल पहले ही इसके लिए आदेश दे चुके हैं|वास्तव में राजीव शुक्ल शुरू से ही श्रीनिवासन के बचाव में रवि वसानी कमिटी की रिपोर्ट की प्रतीक्षा करने की बात कहते रहे हैं|जेटली शुरू से ही मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं|
[४]क्रिकेट जगत के एक और महायौद्धा शरद पवार की राजनितिक पार्टी एन सी पी के प्रवक्ता डी पी त्रिपाठी ने और उत्तर प्रदेश में सत्ता रुड समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने श्रीनिवासन के तत्काल इस्तीफे की मांग कर डाली है| इसके अलावा कांग्रेस के ही एक अन्य सहयोगी लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने बड़े हलके स्वभाव में आई पी एल की आलोचना करके पल्ला झाड लिया है|
[५]सहारा श्री सुब्रोतो रॉय ने पुणे वारियर से अपनी फ़्रेञ्चाईसी को समाप्त कर दिया है और अपनी सिक्यूरिटी जब्त किये जाने से क्षुब्ध होकर रॉय ने श्रीनिवासन के अवगुण गिनाते हुए तत्काल हटाये जाने की मांग करने शुरू कर दी है| टाइम्स नॉव के एंकर अरनव गोस्वामी को दिए इंटर व्यू में रॉय ने श्रीनिवासन को नकारा साबित किया है|
जेंटल मैन गेम क्रिकेट में स्पॉट +मैच फिक्सिंग और बेटिंग के माध्यम से राष्ट्र विरोधियो के हाथ मजबूत किये जा रहे हैं ऐसे में बी सी सी आई के कर्णधार अपने सुप्रीमो को बचाने के लिए दुनिया भर की दलीलें देते फिर रहे हैं| दिल्ल्ली और मुम्बई पोलिस में भी फुटबाल शुरू हो गया है यहाँ तक के नेताओं ने वाईड बालिंग शुरू करके समय लिया जा रहा है ऐसे में यह कहना अनुचित नही होगा के जेंटल मैन का यह गेम अब असभ्य लोगों का खेल बन चुका है|

“आप “के मनीष सिशोदिया ने दिल्ली की राजनीती में भाग्य आजमाने के लिए पटपडगंज को चुना

आम आदमी पार्टी[आप]ने दिल्ली की १२ विधान सभाओं के लिए अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है|मनीष सिशोदिया ने पटपडगंज क्षेत्र से नामांकन भरा है|
· ७० सदस्यों वाली विधायकी के लिए शेष नामो की घोषणा बाद में की जायेगी | पार्टी ने दावा किया है के इस पहली शॉर्टलिस्ट में IIT इंजीनियर से लेकर वकील, पत्रकार, पूर्व सैनिक अधिकारी, आर.डब्ल्यू.ए. पदाधिकारी, नौकरी छोड़कर देश सेवा के लिए पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता शामिल है|
· कुल 106 आवेदन प्राप्त हुए। शेष ५८ विधान सभाओं के लिए आवेदन स्वीकार किये जा रहे हैं|

पी आई ऐ के यात्री विमान को ब्रिटिश एयर फाॅर्स के लड़ाकुओं ने सुरक्षा कारणों से नीचे उतारा

हवा में परवाज कर रहे पाकिस्तान एयर लाइन्स के यात्री विमान को ब्रिटिश एयर फाॅर्स के जहाज़ों ने सुरक्षा की द्रष्टि से गंतव्य स्थल से पहले ही उतार लिया | बताया जा रहा है कि पी आई ऐ की उड़ान में कुछ गड़बड़ी के संकेत मिलने पर उसे लंदन के एक विशेष आतंकवाद-निरोधक हवाई अड्डे में उतरने को विवश कर दिया गया | इस विमान में लगभग तीन सौ यात्री सवार बताये गए हैं|
प्राप्त जानकारी के अनुसार लाहौर हवाई अड्डे से उड़े इस विमान को मैनचेस्टर में उतरना था। लैंडिंग से कुछ पहले विमान से इमरजेंसी सिग्नल्स भेजे गए जिस पर तत्काल एक्शन लेते हुए ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स के दो टायफून विमानों को भेज कर ब्रिटिश हवाई क्षेत्र में उड़ रहे पी आई ऐ के यात्री विमान को अपनी निगरानी में आतंकरोधी हवाई अड्डे स्टैंस्टेड पर उतार लिया गया।
गौरतलब है कि बीते दिनों एक युवा सैनिक को कट्टर पंथियों ने निर्दयता से क़त्ल कर दिया गया था उसके पश्चात ब्रिटेन में सतर्कता बड़ा दी गई है इसी कवायद में पी आई ऐ के प्लेन से इमरजेंसी सिग्नल्स मिलते ही तत्काल सुरक्षात्मक कार्यवाही की गई| पी आई ऐ या ब्रिटिश एजेंसियों द्वारा अभी तक किसी अप्रिय मुठभेड़ +विमान में गडबडी या किसी आतंकवादी घटना की पुष्ठी नही की गई है|

आई ओ ऐ के चुनाव पहली सितम्बर तक कराये जा सकते हैं : एक्टिंग प्रेजिडेंट प्रो. वी के मल्हौत्रा

भारतीय खिलाड़ियों के लिए एक अच्छी खबर है| भारत के झंडे तले खिलाड़ियों द्वारा ओलिंपिक में भाग लेने की संभावनाएं फिर से बनने लगी हैं| भारतीय ओलिंपिक एसोसियेशन [ IOA ]के चुनाव पहली सितम्बर तक कराये जा सकते हैं|इसके पश्चात आई ओ सी द्वारा आई ओ ऐ पर थोपे गए प्रतिबन्ध को हटाया जा सकेगा|
इंटरनेशल ओलिंपिक कमेटी का पत्र आई ओ ऐ के पदाधिकारियों को प्राप्त हो गया है|इस पत्र में कमिटी की लुसाने [ LAUSANNE ]में १५ मई को हुई मीटिंग की जानकारी दी गई है और निलंबित आई ओ ऐ के चुनाव पहली सितम्बर २०१३ तक करा लेने को कहा गया है|आई ओ ऐ के एक्टिंग प्रेजिडेंट और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो.विजय कुमार मल्हौत्रा ने इसकी पुष्ठि करते हुए बताया कि अन्तराष्ट्रीय संस्था आई ओ सी से पत्र प्राप्त हो गया है जिसके अंतर्गत १५ जुलाई तक चुनाव प्रक्रिया पूरी करने और पहली सितम्बर तक चुनाव करने को कहा गया है|इस पत्र की प्रतिलिपि भारत सरकार के खेल मंत्री जीतेन्द्र सिंह+एक्टिंग सेक्रेट्री को भी भेजी गई है| आई ओ सी के महा निदेशक क्रिस्टोफर दी केप्पेर[ ChristopherDeKepper ] द्वार लिखित इस पत्र में यह आश्वासन दिया गया है कि आई ओ सी के निर्देश और सुपरविजन में आवश्यक प्रक्रिया के पूर्ण होते ही आई ओ ऐ पर लगाए गए बैन को हटाने की कार्यवाही शुरू कर दी जायेगी|
श्री मल्हौत्रा ने बताया कि आई ओ ऐ के दोबारा से चुनाव करने पर उन्हें कोई आपत्ति नही है|इस विषय में जल्द ही एक मीटिंग बुलाई जायेगी और इस पर उचित और सकारात्मक निर्णय ले लिया जाएगा|इससे पूर्व निलंबित अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला भी चुनाव करने पर सहमती दे चुके हैं|
इस विषय में सरकारी पक्ष जानने के लिए खेल मंत्री जीतेन्द्र सिंह से संपर्क नहीं हो पाया |