बॉयलर निरीक्षण के क्षेत्र में स्व-प्रमाणन को गुजरात फार्मूले पर मान्यता दी जाएगी| इसका उद्देश्य औद्योगिक प्रतिष्ठानों को अनावश्यक शोषण से बचाना बताया गया है|औद्योगिक प्रतिष्ठानों में बायलर निरिक्षण को लेकर शोषण की अनेकों शिकायतें आती हैंजसकी रोकथाम के लिए पी एम नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषणों में स्व-प्रमाणन को देश भर में मान्यता दिए जाने की पुरजोर वकालत की थी|
निर्मला सीतारमन ने बॉयलर निरीक्षण पर स्व-प्रमाणन को मान्यता सम्बन्धी सभी राज्यों को चिट्ठी लिखी है |
वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती निर्मला सीतारमन ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेज कर बॉयलर और बायलर घटकों के लिए निरीक्षण एवं प्रमाणन की स्व-प्रमाणन योजना को लागू करने को कहा है।
यह आग्रह संबद्ध राज्यों में बॉयलर अधिनियम-1923 के प्रावधानों के तहत किया गया है।
श्रीमती सीतारमन ने मुख्यमंत्रियों को भेजे पत्र में देश में कारोबार को बढ़ावा देने में सुधार लाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा है’’ इस मामले में हमारा मानना है कि बॉयलर के क्षेत्र में स्व-प्रमाणन एवं तीसरे पक्ष के प्रमाणन को शुरू किए जाने की आवश्यकता है’’।
उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार ने ‘स्व-प्रमाणन-सह-समग्र वार्षिक रिटर्न योजना’ शुरू की है जिसका मकसद श्रम कानूनों की अनुपालना के लिए एक आर्थिक प्रभावी प्रणाली सुनिश्चित करना तथा औद्योगिक प्रतिष्ठानों को अनावश्यक शोषण से बचाना है।
श्रीमती सीतारमन ने कहा कि इसी तरह मध्यप्रदेश ने 1000 वर्ग मीटर तापीय क्षेत्र से कम क्षमता के बॉयलरों के निरीक्षण की प्रक्रिया को सरल बना दिया है।
बॉयलर इस समय संविधान की समवर्ती सूची में है और बॉयलर अधिनियम, 1923 एक केन्द्रीय कानून है जिसे विभिन्न राज्यों में बॉयलर निरीक्षणालय द्वारा लागू किया जा रहा है।