गुरु का महत्व और महिमा का वर्णन पौराणिक काल से हमारे शास्त्रों में दिया जा रहा है जो वर्तमान में भी जारी है|अनेक गुरुं + महंतों यहाँ तक की अवतारों ने भी गुरु के आगे शीश नवाया है|इसी कड़ी में प्रस्तुतु है दो महापुरुषों [स्वामी शिवदयालसिंह जी महाराज +संत दर्शन सिंह जी महाराज ] के विचार
गुरु बिन कभी न उतरे पार ।
नाम बिन कभी न होय उधार ।
शब्द : स्वामी शिवदयालसिंह जी महाराज
भाव : स्वामीजी महाराज हमें समझाते हैं हमें काल के दायरे से बाहर निकलना है किसी गुरु के बिना
हम ऐसा नही कर सकते । हमें या ऐसे गुरु की तलाश करनी चाहिए जो स्वयं रूहानियत के रास्ते
पर चलता हो, एक ऐसा महापुरुष जो प्रभु के हुक्म से यहाँ भेजा गया हो ।ऐसा गुरु जब हमें परमात्मा
के शब्द से जोड़ता है तो हमारा उद्धार संभव है ।
संत दर्शन सिंह जी महाराज ने भी अपने एक रूहानी शेर में फ़रमाया है :-
गुरु मिले तो मुहब्बत के राज खुलते हैं ।
निजात मिलती है सारे गुनाह धुलते हैं ।।
प्रस्तुति राकेश खुराना
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