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Category: Crime

बिजली वालों ने अरविन्द केजरीवाल की बिजली कनेक्शन का बलात्कार किया

बिजली वालों ने अरविंद केजरीवाल के घर की बिजली काटी तो केजरीवाल ने खुद जोड़ लिया कटा कनेक्शन|
बिजली वालों ने आज आम आदमी पार्टी[आप] नेता अरविंद केजरीवाल के घर का बिजली कनेक्शन काट दिया जिसे बाद में केजरीवाल ने खुद जोड़ लिया. बिजली पानी आंदोलन के चलते अरविंद केजरीवाल के परिवार वालों ने भी मार्च महीने से ही गाजियाबाद स्थित अपने घर का बिजली का बिल नहीं भरा था जिसके चलते यूपी बिजली बोर्ड ने उनके कौशांबी स्थित गिरनार अपार्टमेंट के घर की बिजली काट दी.| गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से कुछ कांग्रेस के वक्ताओं ने आप पार्टी पर आरोप लगाने शुरू कर दिए थे कि आप के नेता दूसरों को तो बिजली का बिल नही देने के लिए भड़का रहे हैं और खुद बिजली पानी के बिल भर रहे हैं |अब अरविन्द केजरीवाल की बिजली काट कर उन्होंने अपने ही कथन को जुठालाया है | अरविन्द केजरीवाल और मुख्य मंत्री शीला दीक्षित में मुह जबानी बहस के पश्चात अभी तक पवन खेडा के माध्यम से ही खतोखिताबत[पत्राचार] ही चल रही थीअब फिर से लड़ाई सड़क पर आती दिख रही है और सड़क की लड़ाई में आप अपने हाथ दिखा ही चुकी है कनेक्शन की इस कटौती से बेशक दिल्ली की सरकार ने रिक्शा टेम्पो के पर लगे पोस्टर वॉर से ध्यान हटाने का प्रयास किया है लेकिन बिजली के मुद्दे को चुनावों तक ज़िंदा रखने के लिए आप को यह अवसर मिल गया है|
अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि “मैंने दिल्ली के लोगों से बिजली के बिल नहीं भरने की अपील की थी. मेरे परिवार ने तय किया कि बिल नहीं भरने से दिल्लीवासियों को जो परेशानी होगी उसे झेलने के लिए हम भी तैयार हैं इसलिए हमने मार्च से बिल भरना बंद कर दिया था. गांधीजी ने कहा था कि सरकार की गलत नीति का डटकर विरोध करना चाहिए और इस विरोध के चलते सरकार अगर सजा देती है तो उसे भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए. मैंने सत्याग्रही का फर्ज निभाया और इसके सभी परिणाम भुगतने को तैयार हूं.”
आप पार्टी ने दिल्ली में पानी और बिजली के नाजायज बिलों के खिलाफ सत्याग्रह शुरू किया था. पार्टी ने सबूतों के साथ बिजली के बढ़े दामों का सच जनता के सामने रखा था कि किस तरह शीला दीक्षित खुलेआम बिजली कंपनियों को भारी मुनाफा पहुंचा रही हैं और इसका खामियाजा आम आदमी को महंगी बिजली के रूप में चुकाना पड़ रहा है. शीला दीक्षित की इस मिलीभगत के चलते ही दिल्ली में बिजली के दाम दो साल में दोगुना से ज्यादा बढ़ा दिए गए.
इस मुद्दे पर दिल्लीवासियों को एकजुट करते हुए अरविंद केजरीवाल ने मार्च महीने में 15 दिनों का अनशन किया था. उन्होंने जनता से आह्वान किया था कि बिजली और पानी के नाजायजों बिलों के प्रति अपना विरोध जताने के लिए वह बिलों का भुगतान रोक दे. अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के कार्यकर्ता दिल्ली में उन घरों के बिजली के कटे कनेक्शन जोड़ रहे हैं जिनकी बिजली, निजी बिजली कंपनियों ने बिलों का भुगतान न कर पाने के कारण काट दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने मैरिज एक्ट के विरोधियों को सही और एक्ट की धारा ३ को गलत ठहराया :ओबामा ने बधाई दी

अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने आज मैरिज एक्ट के विरोधियों के साथ सहमती जताते हुए डिफेन्स आफ मैरिज एक्ट के सेक्शन ३ को गलत ठहराया| राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस का स्वागत किया और वैवाहिक रिश्तों के नए अर्थ स्थापित करने वाले इस आदेश को अमेरिकन्स और समलैंगिक रिश्तों के हिमायतियों की जीत बताया है|
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के तत्काल बाद राष्ट्रपति ओबामा ने फोन पर एक ब्यान जारी करके कहा के हम सभी समान हैं और प्यार के लिए भी समानता के लिए प्रतिबद्ध है| अफ्रीका जाते समय उन्होंने फोन पर समलैंगिक रिश्तों की कानूनी लड़ाई जीतने वालों[ EdieWindsor ] को बधाई देते हुए कहा के इस आदेश के पश्चात् अब प्यार करने वाले समान अधिकारों के साथ सम्मान से जी सकेंगे|
इस के पश्चात एक नई बहस छिड गई है| सदियों से चले आ रहे विवाह के नियमो की हिमायत करने वालों ने सुप्रेम कोर्ट के अधिकारों पर भी सवाल उठाया है|
Curtsy White House

उत्तराखंड के पुनर्निर्माण के लिए जे. एम्. सिंधिया का पॉवर सेक्टर २५ करोड़ का यौगदान करेगा

पॉवर मिनिस्टर ज्योत्रिदितिया एम् सिंधिया[ Jyotriditya M Scindia ] ने पॉवर सेक्टर के पी एस यूं [ POWER sector PSUs ] को विपदाग्रस्त उत्तराखंड के पुनर्निर्माण के लिए २५ करोड़ रुपयों की राशि मुहैय्या करवाने को कहा है| मंत्रालय +sii एम् डी और पब्लिक सेक्टर अंडर टेकिंग[ PSUs ] के वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ एक मीटिंग में यह ऐलान किया गया|श्री सिंधिया ने कहा कि उत्तराखंड में आई त्रासदी से सड़के+स्कूल+ पुल+और अन्य संसाधन नष्ट हो गए हैं | प्रदेश और देश के विकास के लिए उन्हें पटरी पर लाना जरुरी है |इसीलिए पॉवर सेक्टर के ९ पी एस यूं [१] एन टी पी सी==१० करोड़ [२]पी जी सी आई एल==५ करोड़ [३]एन एच पी सी==१ करोड़ [४]टी एच डी सी == १ करोड़ [५]एस जे वी एन=१ करोड़ [६] पी ऍफ़ सी ===३ करोड़ [७]आर ई सी==२ करोड़ [८] डी वी सी== १ करोड़ [९]एन ई ई पी सी ओ== [१ करोड़ ] मिल कर २५ करोड़ रुपयं का यौगदान करेंगे| स्टेट गोवरंमेंट से सलाह करके प्रोजेट्स का सलेक्शन किया जाएगा|

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भाजपा ने उत्तराखंड विपदाग्रस्तों की सहायतार्थ नए अंदाज में १०५ टन सामग्री और ५६ लाख रुपये भेजे

 भाजपा ने उत्तराखंड विपदाग्रस्तों की सहायतार्थ नए अंदाज में १०५ टन सामग्री और ५६ लाख रुपये भेजे

भाजपा ने उत्तराखंड विपदाग्रस्तों की सहायतार्थ नए अंदाज में १०५ टन सामग्री और ५६ लाख रुपये भेजे

भारतीय जनता पार्टी [भाजपा ] ने उत्तराखंड के विपदा ग्रस्तों की सहायतार्थ नए अंदाज में १०५ टन सामग्री और ५६६६९९४ रुपये भेजे | लखनऊ में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज नाथ सिंह ने राहत सामग्री ले जा रहे ट्रकों पर लगे पार्टी के झंडे उतरवा दिए और ट्रकों की कान्वई को झंडी दिखाने के बजाय हाथ जोड़ कर रवाना किया | भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ लक्ष्मी कान्त वाजपई ने बताया कि राहत राशि की यह पहली किश्त है और इसके अलावा चार ट्रक सामग्री और भेजी जानी हैइसके लिए ट्रकों कि व्यवस्था की जा रही है| उन्होंने बताया कि मात्र तीन दिनों में ही पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं ने १४ जिलों से यह राहत सामग्री एकत्रित है और अभी लगभग १० लाख रुपये और एकत्रित करके भेजे जाने हैं|
पार्टी राष्ट्राध्यक्ष राज नाथ सिंह ने एक दिशा निर्देश जारी किया है जिसके अनुसार राहत सामग्री को रवाना करते समय झंडी दिखने का समारोह नही किया जाये इससे मानवीय भावनाएं आहत होती है|एक तरह से उन्होंने कांग्रेस अध्यक्षा द्वारा झंडी दिखा कर भेजी गई राहत सामग्री के जवाब में यह कदम उठाया है |इसके साथ ही श्री सिंह ने उत्तराखंड की राष्ट्रीय आपदा को राजनीती मुद्दा नही बनाये जाने की अपील भी की है|उन्होंने सोशल साईट पर ट्विट करके कहा है के अगर कोई उकसाता भी है तो भी राष्ट्रीय आपदा पर शांत रह कर राजनीती नही करनी चाहिए The BJP appeals to party workers not to politicise uttraakhand tragedy. Even if you are instigated by others stay calm and composed.

बराक ओबामा ने पहली बार कोयले से चलने वाले बिजली घरों से हो रहे प्रदूषण पर लगाम कसने का ऐलान किया

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कार्बन उत्सर्जन के अमरीकी इतिहास में पहली बार कोयले से चलने वाले बिजली घरों से हो रहे प्रदूषण पर लगाम कसने का ऐलान किया है . और २१वी सदी में अमेरिका को इस लड़ाई का नायक बनाने के लिए सबको एकजुट होने का आह्वाहन भी किया|”ओबामा ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पर्यावरण बचाव एजेंसी को 2015 से पहले इसका खाका तैयार करने का आदेश दिया है. अमरीका में कोयले से चलनेवाले बिजलीघर लगभग ४०% ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार माने जाते हैं.
अमरीका में जलवायु परिवर्तन पर जो आम सोच है वो राजनीतिक रूप से बहुत आकर्षक नहीं मानी जाती. राष्ट्रपति ओबमा ने अपनी पहले चुनाव अभियान में मौसम परिवर्तन को एक बड़ा मुद्दा बनाया था लेकिन तब डेमोक्रेट्स के इस प्रस्ताव को विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी ने पारित नहीं होने दिया था.|
जार्जटाउन यूनिवर्सिटी [ Georgetown University, ] के तपते प्रांगण में मंगल वार को भाषण देते हुए बराक ओबामा ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने बड़े रोचक स्टाईल में छात्र श्रौताओं से सीधे संवाद स्थापित करते हुए कहा कि आज सभी अपनी जेकेट्स उतार ले |मैं [बराक] भी अपनी जेकेट उतारता हूँ क्यों कि अब ये सेक्सी नही है| उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस में रिपब्लिकन्स के विरोध के बावजूद इस दिशा में प्रयास जारी रखेंगे|उन्होंने ग्रीन गैस उत्सर्जन को हतोत्साहित करने और नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता पर बल दिया| उन्होंने कहा कि इस विषय पर बहुत चर्चा डिबेट हो चुकी अब समय कार्य करने का है|

ब्रिटेन ने भारत को भी उच्च जोखिम वाला देश करार दिया

ग्रेट ब्रिटेन को अब भारत के शांति प्रिय पर्यटकों से भी खतरा लगाने लगा है तभी भारत को भी उच्च जोखिम वाला देश करार दे कर यहां आने वाले भारतीयों को मात्र छह महीने के वीजा के लिये 3,000 पौंड[ लगभग पौने तीन लाख रुपये ] देने होंगे। ‘संडे टाइम्स’ के अनुसार ब्रिटेन के गृह विभाग ने घोषणा की है कि पायलट योजना के तहत उच्च जोखिम वाले देशों से [जिसमे भारत को भी शामिल किया गया है] आने वाले अगर निर्धारित अवधि का उल्लंघन करते हैं तो जमा राशि जब्त कर ली जायेगी|इन जोखिम वाले देशों में भारत, पाकिस्तान+घाना और नाइजीरिया समेत अफ्रो-एशियाई देश को शामिल किया गया है|भारत+ पाकिस्तान +नाइजीरिया और एशिया +अफ्रीका के कुछ देशों के १८ साल से ऊपर के नागरिकों को ब्रिटेन में संदेह की निगाह से देखा जाने लगा है | इन देशों को ब्रिटेन हाई रिस्क श्रेणी में रखता है इसीलिए ब्रिटिश गृह मंत्री थेरेसा में ने यह कदम उठाकर स्पष्ट कर दिया है कि प्रधानमंत्री डेविड केमरन की सरकार अप्रवासियों की संख्या कम करने के लिए गंभीर है।
बीते साल छह महीना का वीजा[१] भारत के 2,96,000, [२]नाइजीरिया के 1,01,000,[३] पाकिस्तान के 53,000 और [४]श्रीलंका व बांग्लादेश के 14,000 नागरिकों को दिया गया था।भारत से अधिकतर शिक्षा और रोजगार के लिए आते हैं अगर यह पायलट प्रोजेक्ट लागू हो जाता है तो ब्रिटेन में पढ़ाई और नौकरी का सपना देख रहे भारतीयों को नवम्बर से वीजा के लिए ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है।
गौरतलब है कि ब्रिटेन में पिहले कुछ समय से आतंकवाद का जोर है और इसी कि रोकथाम के लिए कुछ देशों को उच्च जोखिम वाले देशों की सूची में शामिल किया गया है और इन देशों के नागरिकों के ब्रिटेन में आगमन को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से यह नया कानून बनाया जा रहा है| अगर आंकड़े देखे जाएँ तो इंग्लैण्ड में आतंक वाद कि घटनाओं में अभी तक किसी भारतीय का हाथ साबित नही किया गया है|ऐसे में कहा जा सकता है कि ब्रिटेन भारत के विरुद्ध यह एक साजिश है क्योंकि एक तरह भारत के नागरिकों को हटत साहित किया जा रहा है मगर दूसरी तरफ उनके कैश बांड पर नज़र रखी जा रही है|शायद यह भारतीयों के मुह पर ब्रिटिश तमाचा है|

डॉ मन मोहन सिंह ने दहशतगर्दी से लोहा ले रहे काश्मीर को भरोसा दिलाया कि पूरा भारत उनके साथ मुत्तहिद खड़ा है

प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह ने दहशतगर्दी से आये दिन लोहा ले रहे जम्मू ,काश्मीर के अवाम को आज पुनः यह भरोसा दिलाया कि पूरा भारत रियासत में तेज़ रफ़्तार और हमहगीर(Sustainable) तरक्की को यक़ीनी बनाने के लिए उनके साथ खडा है| किश्‍तवाढ़ में 55 सौ करोड़ रुपए की लागत से 850 मेगावॉट की अपने किस्म कि पहली रतले पन बिजली परियोजना की आधारशिला रखने के मौके पर प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि “आज सबसे पहले मैं अपनी forces के उन जवानों को अपना ख़िराजे अक़ीदत पेश करना चाहूंगा जो मुल्क की हिफ़ाज़त के सिलसिले में दहशतगर्दों से लोहा लेते हुए शहीद हुए हैं। मैं यह भी वाज़ेह कर देना चाहता हूं कि

हमारा पूरा मुल्क दहशतगर्दों के ख़िलाफ मुत्तहिद होकर खड़ा है और दहशतगर्द अपने मक़ासिद में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे।

सभी के सहयोग से नौज़वान नस्लों के लिए एक बेहतर मुस्तक़बिल की तामीर की जा सकेगी|
850 मेगावाट के रतले Hydroelectric प्रोजेक्ट की संगेबुनियाद रख कर मुझे बड़ी खुशी हो रही है। ये प्रोजेक्ट रियासत जम्मू व कश्मीर में मौजूद जबरदस्त Hydroelectric Potential को बरू-ए-कार लाने की हमारी कोशिशों के सिलसिले में एक अहम कदम है।
मुझे बताया गया है कि ये मुल्क का पहला Hydroelectric प्रोजेक्ट है जिसको अमल में लाने के लिए International tariff based competitive bidding का जरिया अपनाया गया है।
ये बात भी काबिलेज़िक्र है कि 262 करोड़ रुपए की लागत वाले Environmental Management और Rehabilitation & Resettlement मंसूबे इस प्रोजेक्ट के साथ-साथ अमल में लाए जाएंगे। मुझे पूरा यकीन है कि रियासती हुकूमत और प्रोजेक्ट से वाबिस्ता और लोग वो तमाम कदम उठाएंगे जिनके तहत प्रोजेक्ट के इलाके में रहने वाले लोगों को उनका हक आसानी से हासिल हो सके। इसमें National Resettlement and Rehabilitation Policy के मुताबिक रोज़गार और मकामी ज़रूरियात के मुताबिक इज़ाफी फायदे शामिल हैं।
मैं रियासती हुकूमत को इस प्रोजेक्ट पर मुबारकबाद देता हूं। साथ ही मैं रियासती हुकूमत, Project Developers और Project से वाबिस्ता दीग़र एजेंसियों को अपनी नेक ख्वामहिशात पेश करता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि इस Project को उसकी तकमील की तयशुदा तारीख फरवरी 2018 तक पूरा करने की हर मुमकिन कोशिश की जाएगी। मुझे ये भी यक़ीन है कि रतले प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली बिजली जम्मू व कश्मीर के अवाम की खुशहाली बढ़ाने में अहम किरदार अदा करेगी और तामीर-ए-क़ौम की हमारी कोशिशों को और पक्का करेगी।
मुझे पूरा यक़ीन है कि कई मुश्किल भरे साल गुज़रने और हमारी इज़तेमाई कोशिशों के नतीजे में जम्मू व कश्मीर अब तेज रफ़्तार तरक्की के रास्ते पर चल निकला है। ताहम हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि दीग़र चीज़ों के अलावा बिजली की अच्छी दस्तयाबी हमारी तरक्की की कोशिशों की रफ़्तार को बनाए रखने के लिए बहुत लाज़िम है। एक तरफ जहां चिनाब, झेलम, सिंधु जैसी नदियों ने जम्मू व कश्मीर को 14,000 मेगावाट के Hydroelectric Potential से मालामाल कर रखा है, वहीं हम अब तक महज़ 2500 मेगावाट के Potential को ही बरू-ए-कार ला सके हैं। रियासती और मरकज़ी हुकूमतें बाकी Potential को भी बरू-ए-कार लाने के लिए तमामतर कोशिशें कर रही हैं और इस बारे में मैं रि‍यासत के लोगों को यकीन दि‍लाना चाहता हूँ कि‍ जो भी काम समय पर न होगा मरकजी सरकार उसमें पूरा-पूरा सहयोग और मदद देगी। इसके अलावा मरकज़ी हुकूमत जम्मू व कश्मीर की रियासत को बिजली की मौसमियाती किल्लत का सामना करने के लायक बनाने के लिए भी अपना तआव्वुन दे रही है और देती रहेगी।
एक तरफ जहां रियासत-ए-जम्मू व कश्मीर को मरकज़ी जनरेटिंग स्टेशनों से की जाने वाली बिजली की Supply बढ़कर 1664 मेगावाट हो गई है फिर भी रियासत में बिजली की किल्लत है। रियासत को इस कमी पर काबू पाने का अहल बनाने के लिए मुझे इस मौके पर ये ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि मरकज़ की जानिब से रियासत जम्मू-कश्मीर को मज़ीद 150 मेगावाट बिजली की Supply की जाएगी। मुझे इस बात की भी खुशी है कि National Hydroelectric Power Corporation के दो हालिया तक़मीलशुदा Hydroelectric प्रोजेक्टों यानी नीमूबाज़गो और चुटक से मुकम्मल 89 मेगावाट बिजली जम्मू-कश्मीर के अवाम को दस्तयाब अब हो रही है। मैं यह भी उम्मीद करता हूं कि मुस्तकबिल करीब में बारामूला का उड़ी-2 प्रोजेक्ट भी चालू होने के लिए तैयार हो जाएगा।
जम्मू-कश्मीर की मजमूई तरक्की के एक हिस्से के तौर पर एनएचपीसी ने रियासत के 5 आईटीआई इदारों की हालत बेहतर बनाने के लिए उनको अपनी निगरानी में लिया है और 2 मज़ीद आईटीआई इदारों को वह आइंदा अपनी निगरानी में ले लेंगे। इसके अलावा एनएचपीसी गांदरबल के नज़दीक कंगन में एक हाइड्रो ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी कायम करेगी। इसके लिए एक Memorandum of Understanding पर हाल ही में एनएचपीसी और जम्मू-कश्मीर State Power Corporation के माबेन दस्तख़त किए गए हैं। पॉवर ग्रिड कार्पेारेशन ऑफ इंडिया भी रियासत में एक आईटीआई इदारा कायम करेगी। हम एक हज़ार 629 करोड़ रुपए की लागत से श्रीनगर-लेह Transmission लाइन बिछाने का मंसूबा बना रहे हैं ताकि यहां से बिजली निकासी और तरसील का रास्ता हमवार हो सके। इसके ज़रिए लद्दाख के इलाके को पूरे साल बिजली की दस्तयाबी हो सकेगी। तरक्की के लिए सलामती एक पेशगी शर्त है। हमारा मुशाहदा है कि जम्मू व कश्मीर में सलामती सूरत-ए-हाल में बेहतरी नज़र आई है। साल 2012 में रियासत में दहशतग़र्दी के नतीजे में रुनुमा होने वाला तशद्दुद पिछली दो दहाईयों में सबसे कम रहा है। हालांकि हमें अभी कल जैसे वाक़यों को पूरी तरह से रोकने की ज़रूरत है। इसके साथ हमें अवाम में ऐतेमाद पैदा करने और इन्तेज़ामी उमूर में उनकी शिरकत को बढ़ावा देने की कोशिशों को जारी रखना चाहिए।
2004 में रियासत के अपने एक दौरे के दौरान मैंने जम्मू-कश्मीर के लिए अस्सर-ए-नो तामीर के एक मंसूबे का ऐलान किया था। इसमें 37,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा के Projects और स्कीमें शामिल थीं जिनका मक़सद इकतेसादी बुनियादी ढांचे की तामीर, बुनियादी ख़िदमात की फराहमी, रोज़गार और आमदनी पैदा करने वाली सरगर्मियों को फरोग़ देना और देहशतगर्दी से मुतास्सिर ग्रुपों की Rehabilitation & Resettlement था। मुझे ये भी इत्तला देते हुए खुशी हो रही है कि मज़कूरा तामीर-ए-नो के मंसूबे के तहत शामिल 67 प्रोजेक्टों और स्कीमों में से, 34 के सिलसिले में, काम मुकम्मल हो चुका है। बाकी कामों को लागू करने में अच्छी पेशरफ्त हो रही है। इसके अलावा करीब 1000 करोड़ रुपए की लागत के प्रोजेक्टों को लागू किया जा रहा है ताकि जम्मू और लद्दाख के खित्तों की खुसूसी तरक्कियाती ज़रूरतों की तकमील हो सके।
जम्मू-कश्मीर के नौज़वानों को हुनरमंदी की तरबियत देने और मुफीद रोज़गार फराहम कराने के लिए लागू की जा रही ‘हिमायत’ और ‘उड़ान’ नाम की स्कीमों के हौसलाअफज़ा नतीजे सामने आए हैं। जम्मू व कश्मीर के लिए खुसूसी वज़ीफे की स्कीम ने रियासत के नौज़वानों की हौसलाअफज़ाई की है और उन्हें इस काबिल बनाया है कि वो मुल्क के दीग़र हिस्सों में दस्तयाब बेहतरीन तालीमी सहूलतों से मुस्तफीद हो सकें।
जम्मू व कश्मीर के अवाम के लिए एक बेहतर मुस्तक़बिल की फराहमी से वाबिस्ता हमारी पालिसियां पूरी तरह से उसी वक़्त कामयाब हो सकती हैं जब रियासत में जारी तमाम सियासी और इक़तेसादी अमल में जम्हूरियत और शिराकत का माहौल कायम रहे। इस अमल में हर सतह पर होने वाले Elections भी शामिल हैं। ये Elections सही मायनों में अवामी ख्वाहिशात और उम्मीदों का इज़हार करते हैं। लिहाज़ा मैं तमाम लोगों से गुजारिश करूंगा कि वो इस तरह के अमल में बाकायदगी से शामील हों, शरीक़ हों ताकि हम सब मिलकर जम्मू और कश्मीर की नौज़वान नस्लों के लिए एक बेहतर मुस्तक़बिल की तामीर कर सकें।”

डॉ. मनमोहन सिंह ने उत्‍तराखंड में एक हेलिकॉप्‍टर की दुर्घटना में लोगों की मृत्‍यु पर दुःख व्‍यक्‍त किया

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने उत्‍तराखंड में भारतीय वायुसेना के एक हेलिकॉप्‍टर की दुर्घटना में लोगों की मृत्‍यु पर दुःख व्‍यक्‍त किया है। अपने संदेश में उन्‍होंने कहा कि हमारी सेना के जवान और अधिकारी उत्‍तराखंड में बहुत ही बहादुरी से बचाव और राहत कार्य कर रहे हैं। इस दुर्घटना से मुझे बहुत दुःख हुआ है। जिनकी जाने गई हैं, मैं उनके परिवारों के प्रति संवेदना व्‍यक्‍त करता हूं। पूरा देश भी मेरे साथ इस क्षति पर दुःखी है। उनके निस्‍वार्थ कार्य से हजारों लोगों की जानें बची हैं। उनके कार्य को जारी रखना ही उनके प्रति सबसे अच्‍छी श्रद्धांजलि होगी।
उत्तराखंड में जारी त्रासदी में फंसे लोगों को बचाने में लगा वायु सेना का एक चापर एमआई-17 क्रैश हो गया है। यह हादसा गौरीकुंड के समीप हुआ। प्राप्त जानकारी के अनुसार हेलीकॉप्टर केदारनाथ से लौट रहा था।इस हादसे में 12 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संसथान [ एनडीएमए ]ने इस हादसे में मृतकों की संख्या 19 होने की बात कही है।
बताया जा रहा है कि नौ एनडीआरएफ + छह आईटीबीपी +चार वायुसेना के लोग इस हेलीकॉप्टर में मौजूद थे।

प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में आमद के मुकाबिले पांच वर्षों में २८४.२०८ करोड़ रुपयों का वितरण कम हुआ

भारत के प्रधान मंत्री के राहत कोष में २००७ -८ से लगातार खर्चे से ज्यादा आमदनी दिखाई जा रही है |ऐसे में यह प्रश्न यक्ष रूप ले रहा है कि क्या पीड़ितों को पर्याप्त सहायता दी जा रही है? पी एम् ओ के अनुसार मात्र बीते पांच वर्षों में इस फण्ड में दानी लोगों ने १०४४.५१८ करोड़ रुपये दान किये लेकिन इसमें से पीड़ितों को केवल केवल ७६०.३१० करोड़ ही वितरित किये जा सके|इसी के चलते इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय फण्ड में २०११-१२ तक १६९८ करोड़ रुपये हो गए हैं अब इन पर बैंकों से ब्याज भी आ रहा है |वितरण के मामले में २०१०-२०११ एक अपवाद है|
तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा एक अपील के अनुसरण में जनवरी, 1948 में, सार्वजनिक योगदान के साथ पाकिस्तान से विस्थापित व्यक्तियों की सहायता करने के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) स्थापित किया गया था। बेशक इस आपदा के अनेकों पीड़ित अभी भी राहत से वंचित हैं |चंडीगढ़ में फायले भरी पडी हैं| लाभार्थियों तक पहुंचाने की कार्यवाही लगभग बंद हो चुकी है|
पी एम् ओ के अनुसार अब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के संसाधनों का मुख्य रूप से उपयोग बाढ़,+ चक्रवात+, और भूकंप आदि और प्रमुख दुर्घटनाओं और दंगों के पीड़ितों को प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए लोगों के परिवारों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए किया जाता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दिल की सर्जरी, गुर्दा प्रत्यारोपण, कैंसर उपचार, आदि में भी उपयोग किए जाते हैं और चिकित्सा उपचार के लिए सहायता की यह निधि पूरी तरह से सार्वजनिक योगदान की होती है और इसमें किसी भी बजटीय सहायता नहीं प्रदान की जाती है।इस में दान कि जाने वाली राशी पर आयकर में छूट भी मिलती रही है| कोष की राशि बैंकों के साथ फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश की जाती है। प्रधानमंत्री के अनुमोदन के साथ इसका संवितरण किया जाता है।

डा. श्यामा प्रसाद के बलिदान को सच्ची श्रधांजलि देने के लिए जम्मू कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति जरुरी है :सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

भाजपाके पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार एल के अडवाणी ने अपने ब्लॉग में अपने नेता स्वर्गीय डॉ श्यामा प्रसाद मुखेर्जी को श्रधांजली देते हुए जम्मू कश्मीर में धारा ३७० को समाप्त किये जाने पर बल दिया है प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से :
ठीक साठ वर्ष पूर्व 23 जून १९५३ में इसी दिन देश को जम्मू एवं कश्मीर राज्य से ह्दय विदारक समाचार मिला कि डा. श्यामा प्रसाद मुकर्जी अब हमारे बीच नहीं रहे।मुझे अच्छी तरह से स्मरण है कि रात्रि के लगभग 2 बजे या उसके आसपास मैं जयपुर के जनसंघ कार्यालय के बाहर किसी के खटखटाने और रोने की आवाज सुनकर नींद से जागा; और मैंने सुना कि ”आडवाणीजी, उन्होंने हमारे डा. मुकर्जी को मार दिया है!” वह एक स्थानीय पत्रकार था, जिसको टिकर पर यह समाचार मिला और वह अपने को रोक नहीं पाया तथा हमारे कार्यालय आकर इस दु:ख में मेरे साथ शामिल हुआ।
यह समाचार लाखों लोगों के लिए एक गहरा धक्का था। इस वर्ष की शुरुआत में डा. श्यामा प्रसाद की नवगठित पार्टी भारतीय जनसंघ का कानपुर में अखिल भारतीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ था। इस सम्मलेन में राजस्थान से एक प्रतिनिधि के रुप में भाग लेने का सौभाग्य मुझे मिला था। यहीं पर फूलबाग में इकठ्ठे हुए हजारों प्रतिनिधियों को डा. मुकर्जी ने यह राष्ट्रभक्तिपूर्ण प्रेरक आह्वान किया था-”एक देश में दो प्रधान, दो निशान, दो विधान, नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे।”
कानपुर में ही पार्टी ने जम्मू एवं कश्मीर के भारत में पूर्ण एकीकरण को लेकर पहला राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने का संकल्प लिया। डा. मुकर्जी ने तय किया कि वह इस आंदोलन का नेतृत्व आगे रहकर करेंगे-व्यक्तिगत रुप से शेख अब्दुल्ला के द्वारा लागू किए गए परमिट सिस्टम की अवज्ञा कर। उन्होंने यह भी निर्णय किया कि वह इस आन्दोलन के लिए समर्थन जुटाने हेतु देश के विभिन्न हिस्सों में जाएंगे। अपने इस पूर्व-अभियान जोकि रेलगाड़ी के माध्यम से हुआ, में उन्होंने श्री वाजपेयी को अपने साथ रहने को कहा।
उन दिनों मैं राजस्थान के कोटा में था। जब मुझे ज्ञात हुआ कि डा. मुकर्जी और अटलजी कोटा जंक्शन से गुजरेंगे तो मैं उनसे स्टेशन पर मिला। तब मुझे इसका तनिक भी आभास नहीं था कि मैं हमारी पार्टी के महान संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद को अंतिम बार देख रहा हूं।
8 मई, 1953 को डा. मुकर्जी दिल्ली से जम्मू जाने के लिए पंजाब रवाना हुए। अमृतसर पर 20,000 से ज्यादा के समूह ने उनका शानदार स्वागत किया। अमृतसर से पठानकोट और वहां से माधोपुर की उनकी यात्रा एक विजयी जुलूस की तरह थी। माधोपुर एक छोटा सा कस्बा है जो पठानकोट सैनिक कैण्ट से करीब बारह किलोमीटर की दूरी पर है। माधोपुर रावी नदी के किनारे पर स्थित है और यही रावी नदी पंजाब को जम्मू एवं कश्मीर से अलग करती है। डा. मुकर्जी, अटलजी के साथ एक जीप पर बैठकर जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने हेतु रावी के पुल की ओर बढे। पुल के बीच में जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के एक जत्थे ने जीप को रोका और डा. मुकर्जी से पूछा कि क्या उनके पास परमिट है। डा. मुकर्जी ने नहीं में उत्तर दिया और कहा भारतीय संविधान के तहत प्रत्येक भारतीय नागरिक को देश की किसी भी भाग में जाने की आजादी है। जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो उन्होंने वाजपेयीजी से कहा ”कृपया आप वापस जाओ और लोगों को बताओ कि मैंने बगैर परमिट के जम्मू एवं कश्मीर राज्य में प्रवेश किया है, भले ही एक कैदी के रुप में।”
यह उल्लेखनीय है कि पठानकोट में पंजाब के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने डा. श्यामा प्रसाद को मिलकर बताया कि उन्हें पंजाब सरकार से निर्देश हैं कि यदि डा. मुकर्जी के पास परमिट नहीं भी हो तो भी उन्हें पुल पर स्थित माधोपुर पोस्ट जाने दिया जाए।
साफ है कि यह केन्द्र सरकार और जम्मू एवं कश्मीर राज्य सरकार का संयुक्त ऑपरेशन था कि डा. मुकर्जी को जम्मू एवं कश्मीर राज्य में बंदी बनाकर रखा जाए न कि पंजाब में।इस सुनियोजित अभियान का परिणाम देश के लिए सदमा पहुंचाने वाली विपदा के रुप में सामने आया। 23 जून, 1953 को राष्ट्र को यह समाचार पाकर सदमा पहुंचा कि डा. मुकर्जी जिन्हें बंदी बनाकर श्रीनगर के एक घर में रखा गया था, अचानक बीमार हुए, और थोड़ी बीमारी के बाद चल बसे!
पश्चिम बंगाल के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री डा. विधान चन्द्र राय, डा. मुकर्जी की पूजनीय माताजी श्रीमती जोगोमाया देवी और देश के सभी भागों से अनेकानेक प्रबुध्द नागरिकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को टेलीग्राम और पत्र इत्यादि भेजकर न केवल अपना दु:ख और आक्रोश प्रकट किया अपितु तुरंत जांच कराने की भी मांग की कि यह त्रासदी कैसे घटी। इस राष्ट्रीय आक्रोश का कोई नतीजा नहीं निकला। इस असाधारण व्यक्ति की मृत्यु आज भी रहस्य बनी हुई है। ऐसी किसी अन्य घटना के संदर्भ में, एक औपचारिक जांच सर्वदा गठित की जाती रही हैं। लेकिन इस मामले में नहीं। कोई नहीं कह सकता कि क्या यह मात्र अपराधिक असंवेदनशीलता का मामला है या वास्तव में अपराध बोध का भाव!
****हालांकि, रहस्यमय परिस्थितियों में डा. मुकर्जी की मृत्यु को लेकर उमड़े व्यापक जनाक्रोश के चलते अगले कुछ महीनों में घटनाक्रम तेजी से बदला जिससे राष्ट्रीय एकीकरण की प्रक्रिया महत्वपूर्ण रुप से आगे बढ़ी।
सर्वप्रथम और सर्वाधिक महत्वपूर्ण रहा परमिट सिस्टम की समाप्ति।
उस समय तक न तो सर्वोच्च न्यायालय, न ही निर्वाचन आयोग और न ही नियंत्रक एवं महालेखाकार के क्षेत्राधिकार में जम्मू एवं कश्मीर राज्य नहीं था। इन तीनों संवैधानिक संस्थाओं का क्षेत्राधिकार जम्मू एवं कश्माीर पर भी लागू किया गया। उस समय तक राज्य के मुख्यमंत्री को वजीरे-आजम और राज्य के प्रमुख को सदरे-रियासत कहा जाता था। सैध्दान्तिक रुप से, न तो भारत के राष्ट्रपति और न ही प्रधानमंत्री का इस राज्य पर कोई अधिकार था।
डा. मुकर्जी के बलिदान ने इस स्थिति में भी बदलाव लाया। राज्य में प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री बन गये, सदरे-रियासत राज्यपाल बन गये और राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के औपचारिक अधिकार जम्मू एवं कश्मीर राज्य पर भी लागू हुए।
एक प्रकार से, इस प्रेरक नारे की तीन मांगों में से एक, दो प्रधान एक हो गए, और यद्यपि दो निशान अभी भी हैं मगर राष्ट्रीय तिरंगा राज्य में ऊपर लहराता है।इसके अलावा, दो प्रधानमंत्री एक बने, दो सर्वोच्च न्यायालय एक हुए, दो निर्वाचन प्राधिकरण एक हुए – यह सब डा. श्यामा प्रसाद के बलिदान के कारण हुआ।
देश व्यग्रता से उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा है जब धारा 370 समाप्त होगी और दो विधान भी एक हो जाएंगे!