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Category: Economy

छावनी के टोल बेरियर भी बने यात्रियों की जान के जंजाल

छावनी के टोल बेरियर बने यात्रियों की जान के जंजाल

भारतीय किसान यूनियन बेशक पिछले ३५ दिन से एक के बाद एक आउटर टोल प्लाजा कब्ज़ा कर टोल फ्री यातायात चलवाने में कामयाब हो रहे हैं मगर छावनी छेत्र विशेष कर मेरठ के लालकुर्ती में बने टोल नाके पर ठेकेदार के बाउंसरों और पोलिस की मिली भगत से यात्रियों को ना केवल धन की हानि हो रहे है वरन अपमान के घूँट भी पीने को विवश होना पड़ रहा है|मंगलवार दोपहर एक दरोगा की दरोगाई देख राहगीर भी सहम गए। बाउंड्री रोड टोल बैरियर पर कार आगे बढ़ने पर टोलकर्मियों ने चालक को धुन दिया। चालक कुछ दूर बैठे लालकुर्ती थाने के एक दरोगा के पास पहुंचा तो उसने भी बुरी तरह पीटा और हवालात में ठूस दिया। शाम तक कार में सवार अन्य लोग थाने में जमा थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हरिद्वार के ज्वालापुर निवासी सुभाष टैक्सी लेकर मेरठ आया था। वह दोपहर के समय लालकुर्ती बाउंड्री रोड टोल बैरियर से गुजर रहा था। टोल देते समय उसकी कार कुछ आगे निकल गई। इस पर एक टोल कर्मी ने कार पर हाथ मार कर कार का शीशा तोड़ दिया जब सुभाष ने इसका विरोध किया तो टोल कर्मियों ने उसे पीटना शुरू कर दिया। बीच-बचाव के बाद वह कुछ दूरी पर बैठे दरोगा मनोज शर्मा के पास पहुंचा तो उल्टा दरोगा आपा खो बैठा। उसे जमीन पर गिरा-गिराकर पीटा और हवालात में ठूस दिया। कार सवार अन्य लोगों ने काफी मन्नत की, लेकिन पुलिस छोड़ने को तैयार नहीं थी। शांति भंग में उसका चालान कर दिया गया।जबकि दूसरे पक्ष [टोल कर्मी]को छोड़ दिया गया | छेत्र में बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने में नाकाम यह पोलिस मलाई दार पार्टियों के हितों को सुरक्षित रहके ने कोई कसर नहीं छोड़ रही|गौर तलब है कि मेरठ छावनी देश की प्रतिष्ठित छावनियों में है मगर यहाँ के विकास के नाम पर आये दिन पार्षदों और परिषद् के अधिकारियों के बीच संघर्ष की ही खबरें आती है|केंद्र ने पैसा देना बंद कर दिया है|एन सी आर कि किसी भी यौजना में मेरठ कैंट को शामिल नहीं किया जाता बस ध्यान अतिक्रमण या अनाधिकृत निर्माण के लिए ही खीच तान जारी है|कर्मियों के वेतन तक के लिए यही टोल बेरियर ही कामधेनू बने हुए हैं|

मैकडानल्ड्स ने सुषमा स्वाराज के आरोप को नकारते हुए स्थानीय सामान की खरीद का दावा किया मगर आंकड़े नहीं दिए

फास्ट फूड श्रृंखला मैकडानल्ड्स ने विपक्ष की नेता श्रीमति सुषमा स्वराज के संसद में दिए गए ब्यान को खारिज करते हुए यह दावा किया है कि उसके उत्पादों में जिन भी सामग्रियों का इस्तेमाल होता है उनकी खरीद देश[भारत] में ही की जाती है।मैकडॉनल्ड्स इंडिया नॉर्थ ऐंड ईस्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम बक्शी ने एक बयान में कहा, ‘भारत में अपना कारोबार शुरू करने से पहले मैकडॉनल्ड्स ने सरकार से यह वादा किया था कि वह पूरा कच्चा माला स्थानीय लेवल पर ही खरीदेगी। हम विश्वास और गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमारे उत्पादों में जिन भी चीज़ों का इस्तेमाल होता है, उनकी खरीद देश में की जाती है। इनमें फ्रेंच फ्राइज भी शामिल हैं लें इसके साथ ही यह भी जोड़ा गया है कि जब स्थानीय लेवल पर चीज़ें नहीं मिल पातीं, तभी उन्हें बाहर से मंगवाया जाता है| यह ब्यान श्रीमति सुषमा स्वराज द्वारा संसद में लगाए गए आरोप के तत्काल पश्चात आया है लेकिन कम्पनी ने इस विषय में कोई आंकडे नहीं जारी किये हैं|

मैकडानल्ड्स


इसके अलावा कल मंगलवार को टी वी चैनल आई बी एन ७ द्वारा आयोजित डिबेट में वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने यह आरोप भी लगाया था कि कंपनी ना केवल स्थानीय सामान की उपेक्षा कर रही है मगर बीते सालों में करोड़ों डालर्स कमा कर बिना आयकर दिए विदेश ले गई है|संभवत इसीलिए ऍफ़ डी आई का खुदरा व्यापार में निवेश का विरोध किया जा रहा है|
गौरतलब है कि श्रीमति सुषमा स्वराज ने संसद में ऍफ़ डी आई के लिए खुदरा व्यापर के दरवाजे खोले जाने का विरोध स्वरुप कहा था कि मैकडॉनल्ड्स आलू तक की खरीद विदेशों से कर रहा है।

अरविन्द केजरीवाल ने गुजरात गैस कूओं के घोटाले में कांग्रेस और भाजपा दोनों को हिस्से दार बताया

Arvind Kejriwal Aam Aadmi party [AAP]


संसद में आज मंगलवार को ऍफ़ डी आई पर भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे को निशाना बना रहेथे तब संसद के बाहर एक प्रेस कांफ्रेंस में अरविन्द केजरीवाल ने गुजरात गैस कूओं के घोटाले में कांग्रेस और भाजपा दोनों को हिस्से दार बताया |
आम आदमी पार्टी [आप] के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के मामले का आज मंगलवार को रहस्योद्घाटन किया है। श्री केजरीवाल के मुताबिक मोदी ने कांग्रेस की एक सांसद शोभना भरतिया के पति श्याम सुन्दर भरतिया की कंपनी को भी दस हजार करोड़ रुपये मूल्य वाला गैस का कुआं मुफ्त में दिया है। साथ ही राज्य में विपक्षियों को और भी फायदे पहुंचाए गए हैं। इसलिए वे मोदी के भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी तरह चुप हैं।
केजरीवाल ने दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि गुजरात की सरकारी कंपनी ‘गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम’ [जीसपीसी] ने केजी बेसिन में अपने गैस ब्लॉक की दस-दस फीसद हिस्सेदारी दो कंपनियों ‘जियो [१]ग्लोबल’ और ‘जुबिलेंट एनप्रो’ को मुफ्त में दे दी। इसके लिए बोली तक नहीं लगाई गई। सरकार ने दावा किया कि कंपनियां उन्हें तकनीकी सहयोग देंगी। उसी केजी बेसिन में मुकेश अंबानी की कंपनी भी तेल निकाल रही है। उसने भी ब्रिटिश पेट्रोलियम से इसी तरह का समझौता कर उसे 30 फीसद हिस्सा दिया है। बदले में उसने 35 हजार करोड़ रुपये भी लिए हैं, जबकि राज्य सरकार ने यह सब मुफ्त में दे दिया।
जुबिलेंट कंपनी कांग्रेस सांसद के पति श्याम सुंदर भरतिया की है। प्रशांत भूषण ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा मिलकर गुजरात को लूट रही हैं। जब कैग [नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक] ने इस मामले की जांच शुरू की तो मोदी ने वर्ष 2010 में केंद्र को पत्र लिखकर समझौते को रद करने की इजाजत मांगी, लेकिन तब से केंद्र ने इसकी इजाजत नहीं दी है।
[२]गुजरात की मोदी सरकार ने अडानी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए 2.35 और 2.89 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदी, जबकि सरकारी कंपनी 2.25 रुपये प्रति इकाई बिजली मुहैया कराने को तैयार थी। [३]वायु सेना ने जगह मांगी तो मोदी सरकार ने 8,800 रुपये वर्ग मीटर की दर से कीमत मांगी, लेकिन अदानी को एक रुपये से 32 रुपये की दर से 14,306 एकड़ दे दी। केजरीवाल ने बताया कि संबंधित कागजात उन्हें निलंबित आइपीएस संजीव भंट्ट ने दिए हैं। भट्ट की पत्नी मोदी के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर लड़ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब जियो ग्लोबल का मामला हाई कोर्ट में उठा, तो जजों को फायदा पहुंचाकर मामला दबा दिया गया।
गौरतलब है कि बेटे दिन ही केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने गुजरात की मोदी सरकार पर इन्ही कूओं के एलोटमेंट में घोटाले का आरोप लगाते हुए प्रश्न उठाये थे|इसके लिए उन्होंने तहलका पत्रिका में प्रकाशित एक समाचार को आधार बनाया गया था|

संसद में ऍफ़ डी आई पर नियम १८४ के अंतर्गत चर्चा जारी

भारतीय संसद में आज मंगलवार को ऍफ़ डी आई पर नियम १८४ के अंतर्गत चर्चा जारी है|इस पर वोटिंग कल होगी | विपक्ष की नेत्री सुषमा स्वराज ने अपनी बहस के दौरान तीन बार पानी पीकर , जहाँ तीखे तेवरों में, अनेकों आंकड़ों के साथ ,सरकार की ऍफ़ डी आई नीति को विकास की सीढ़ी नहीं बल्कि विनाश का गड्ढा बताया तो कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने उसी तेवर में विपक्ष के दावों का खंडन करने के लिए अनेको आकडे प्रस्तुत करके अपनी नेत्री श्रीमती सोनिया गांधी और प्रधान मंत्री के चेहरे पर मुस्कान ला दी मगर सपा के मुलायम सिंह यादव ने अपने संक्षिप्त संबोधन में ऍफ़ डी आई का विरोध करके सत्ता पक्ष की इस मुस्कान को गायब कर दिया|

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज

संसद में ऍफ़ डी आई पर नियम १८४ के अंतर्गत चर्चा जारी


ने कहा कि विदेशी किराना का फैसला सरकार वापस ले। उन्होंने कहा कि” मैं आपको वोट के जरिए हराकर नहीं बल्कि मना करके जीतना चाहती हूं क्योंकि यही देशहित में है”.| उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री अमीरों और विदेशी कंपनियों की लड़ाई लड़ रहे हैं. हर चौराहे पर जब विदेशी कंपनियों के किराना स्‍टोर खुलेंगे तब जाकर 40 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा|उन्होंने कहा ” मैं प्रधानमंत्री से गुजारिश करती हूं कि जब दुनिया में इसके विरोध में आवाज़ें उठ रहीं हैं तो फिर भारत में इसे लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं है.” 2011 में भी इस फैसले का विरोध हुआ था। अमेरिका अपने यहां छोटे उद्योग को बढ़ावा दे रहा है. राष्ट्रपति ओबामा खुद ही शनिवार को छोटे दुकानों में शॉपिंग करने जाते हैं.|९०% फीसदी माल चीन से आएगा। एकाधिकारी बाजार उपभोक्ता के हित में नहीं है। प्रतियोगी बाजार उपभोक्ता के हित में होता है। यह विकास की सीढ़ी नहीं, विनाश का गड्ढा है।

उधर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल

ने एफडीआई के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि इससे देश में निवेश आएगा. ”कोई भी अगर एफडीआई में आना चाहता है तो उसको 100 मिलियन ड़ालर (10 करोड़ डॉलर) का निवेश करना पड़ेगा.”जिसमे से ५० करोड़ डालर्स स्थानीय विकास में लगाया जाएगा|
उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि बड़ी कंपनियों को इससे बहुत फायदा पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि चीन में जब 1992 को एफडीआई को इजाज़त दी गई तो व़ॉलमार्ट भी आया. ”लेकिन 2008 में वो पहली बार मुनाफे में आया तब तक वो घाटे में था.” इसके अलावा उन्होंने आंकड़े प्रस्तुतु करते हुए केवल १८ शहरों में ही वाल मार्ट के आने की संभावना जताई|और दिल्ली का उदहारण देते हुए बताया कि उनके चुनाव छेत्र चांदनी चौक में न तो जगह है और नाही खरीददार |ऐसे में यह कहना कि वाल मार्ट देश पर कब्जा कर लेगा, बेबुनियाद है|

मुलायम सिंह यादव

ने ऍफ़ डी आई का विरोध करते हुए कोका कोला और पेप्सी का उदहारण दिया और इसे किसान और छोटे व्यापारियों के विरोध में बताया |उन्होंने पार्टी लाईन से ऊपर उठ कर देश हित में ऍफ़ डी आई को वापिस ले लिए जाने की मांग की
इससे पहले बीजेपी के नेता यशवंत सिन्हा ने मांग की थी कि फेमा के लिए संसद में अलग से चर्चा और वोटिंग की जाए.लेकिन समान विषय होने के कारण अध्यक्षा महोदया ने इसकी इजाजत नहीं दी

मॉल दीव ने ऍफ़ डी आई के विरोधस्वरूप जी एम् आर के साथ 50 करोड़ डॉलर के अनुबंध को समाप्त किया

ऍफ़ डी आई पर बेशक भारत में एक आम राय बनाने के लिए आये दिन तमाम राजनीतिक दाव पेंच लड़ाए जा रहे हों मगर विदेशों में ऍफ़ डी आई का विरोध थमता नज़र नहीं आ रहा |अमेरिका के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा के बाद अब छोटे से देश मालदीव में भी ऍफ़ डी आई के विरुद्ध बयार बहाई जाने लगी है| मालदीव की नई सरकार के निर्देशों के आधार पर एमएसीएल ने 27 नवंबर को माले हवाई अड्डा बनाने के लिए जीएमआर को दिया गया अनुबंध खत्म कर दिया। यह अनुबंध जीएमआर के साथ साल 2010 के दौरान राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के कार्यकाल में किया गया था। लेकिन सिंगापुर हाई कोर्ट के स्टे के आधार पर जीएमआर हवाई अड्डे पर अपना काम जारी रखने को अमादा है| ।माले एयरपोर्ट के जीएमआर अनुबंध खत्म करने पर सिंगापुर हाई कोर्ट के स्टे के बावजूद मालदीव ने कहा कि वह अपना फैसला नहीं बदलेगा। मालदीव ने कहा कि उसका फैसला न ही वापस लिया जा सकता है और न ही इस पर कोई मोल भाव किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले माले सरकार ने मालदीव हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण और परिचालन का भारतीय कंपनी जीएमआर समूह के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम का ठेका रद्द कर दिया था। सिंगापुर की अदालत ने उसके खिलाफ स्थगन आदेश जारी किया।लेकिन इस स्थगनादेश को मानने से इंकार करते हुए मॉल दीव ने न्यायाधीश के आदेश को ही अनुचित करार दे दिया है|

मॉल दीव ने ऍफ़ डी आई के विरोधस्वरूप जी एम् आर के साथ 50 करोड़ डॉलर के अनुबंध को समाप्त किया


मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद के प्रेस सचिव मसूद इमाद के अनुसार सरकार का फैसला बिलकुल साफ है और इसे वापस नहीं लिया जाएगा।
गौरतलब है कि सिंगापुर हाई कोर्ट ने जीएमआर को दिए गए 50 करोड़ डॉलर के अनुबंध को खत्म करने पर स्टे लगा दिया है इसके बावजूद मालदीव के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। यह अनुबंध माले हवाईअड्डे के आधुनिकीकरण के लिए किया गया था।सिंगापुर हाई कोर्ट के फैसले पर इमाद के अनुसार इस मामले में न्यायधीश सही नहीं था और उन्होंने कानून की सही तरीके से व्याख्या नहीं की। जहां मुआवजा पर्याप्त होता है वहां इस तरह के आदेश जारी नहीं किये जा सकते है।

मनीष तिवारी ने नरेन्द्र मोदी पर २० हज़ार करोड़ के घोटाले का आरोप लगा कर भाजपा को आरोपों का सिक्का लौटाया

घोटालों के आरोपों में घिरी यूं पी ऐ ने आज भाजपा के चर्चित चेहरे नरेन्द्र मोदी की सरकार पर 20 हजार करोड़ का घोटाला करने का आरोप लगा कर भाजपा के सिक्के को लौटाने का प्रयास किया | सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने चुनावी मौसम में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार पर तहलका अखबार की एक रिपोर्ट के हवाले से आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने कृष्णा गोदावरी बेसिन में गैस ब्लॉक की दस फीसदी हिस्सेदारी २००३ में एक ऐसी कंपनी को दे दी जो डील से कुछ दिन पहले ही महज चौंसठ डॉलर की पूंजी के साथ बनी थी.उधर, बीजेपी ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा है कि कांग्रेस बिना सबूत, मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।

I&B minister मनीष तिवारी


सीएजी ने भी सरकारी कंपनियों पर संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के दिए इस ठेके पर सवाल उठाए थे। अब भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही कांग्रेस को पहली बार मोदी सरकार पर निशाना साधने का मौका मिला है।
तहलका की रिपोर्ट के मुताबिक इस जियो ग्लोबल पर गुजरात सरकार अब तक 20 हजार करोड़ लुटा चुकी है. सीएजी रिपोर्ट के हवाले से छपी खबर के मुताबिक बारबाडोस में बनी कंपनी ने इस सौदे के बदले एक रुपया नहीं चुकाया और उसे बीस हजार करोड़ रुपये दिए गए और तो और गैस खोजने का खर्च भी गुजरात सरकार की सार्वजनिक कंपनी गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कार्पोरेशन ने उठाया.
गुजरात सरकार के साथ सौदा करने के तुरत बाद जियोग्लबोल ने अपनी हिस्सेदारी का 50 फीसदी हिस्सा मॉरीशस की कंपनी को बेच दिया. अब इस डील को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार से सवाल पूछ रही है. |
केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने मोदी सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर इस डील के पीछे क्या मंशा थी? आरोप गंभीर हैं लेकिन अपने पर बात आई तो बीजेपी को सवाल का सीधा जवाब नहीं सूझा और कहा कि आरोप लगाने की तो कांग्रेस की आदत है
उधर .बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस बिना सबूत, मोदी सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मुझे तो कांग्रेस पर दया आती है। जो खुद माइनिंग स्कैम में आकंठ डूबा है वो तहलका के मध्यम से लांछन लगा रहा है जिसमें कोई घोटाला नहीं है। हम इनके आरोपों को ख़ारिज करते हैं। गुजरात को बदनाम करने की कोशिश है।
वैसे, सीएजी ने भी सरकारी कंपनियों पर संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के दिए इस ठेके पर सवाल उठाए थे। अब भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही कांग्रेस को पहली बार भाजपा और नरेन्द्र मोदी सरकार पर निशाना साधने का मौका मिला है।

चौधरी अजित सिंह के राजनीतिक रडार पर अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच भी आ गई है

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह के राजनीतिक रडार पर अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की मेरठ के लिए खंडपीठ (बेंच) भी आ गई है| केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद मेरठ में एयरपोर्ट के लिए प्रयासरत चौधरी अजित सिंह अब अपने राजनीतिक प्रभावी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ (बेंच) के लिए सक्रिय हो गए हैं। जाहिर है कि मेरठ में हाई कोर्ट की बेंच के मुद्दे को स्पोर्ट करके रालोद प्रमुख ने प्रदेश सरकार के लिए सरदर्दी बड़ा दी है|
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकीलों व वादकारियों की लगभग तीन दशक पुरानी मांग को पूरा कराने के लिए उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार का दरवाजा खटखटाया है। कानून मंत्री से मुलाकात के बाद चौधरी अजित सिंह इस मामले में सकारात्मक नतीजे की उम्मीद लगाए हुए हैं।
हाईकोर्ट बेंच केन्द्रीय संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल के साथ शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार से मुलाकात कर अजित सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की मेरठ में बेंच स्थापित करने की कई वजह गिनाईं। [१]इलाहाबाद हाई कोर्ट में जितने मुकदमे चल रहे हैं, उनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के काफी ज्यादा मामले हैं। [२], 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट (लखनऊ बेंच समेत) में 99 लाख से अधिक मुकदमे लंबित हैं। [३]लखनऊ बेंच समेत इस हाई कोर्ट में 160 जजों के स्वीकृत पदों में से लगभग आधे खाली पड़े हैं।

चौधरी अजित सिंह


गौरतलब है कि मेरठ में इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ की मांग तीन दशक पुरानी है। कई बार लंबे आंदोलन हो चुके हैं। एक बार तो दाताराम शिंगल [अब स्वर्गीय] आदि के संचालन में जेल भरो आन्दोलन भी चलाया जा चुका है| एक कमीशन भी इसकी संस्तुति काफी पहले कर चुका है। खंडपीठ की स्थापना में सिर्फ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है और उम्मीद है कि सरकार लगभग 30 साल पुरानी इस मांग को पूरा कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों की भावनाओं का सम्मान करेगी।
अजित सिंह की इस सक्रियता को रालोद की तरफ से लोकसभा की चुनावी तैयारियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। प्रतिनिधि मंडल में संघर्ष समिति के चेयरमैन अशोक शर्मा +संयोजक सुधीर पवार+ एम पी शर्मा+गजेन्द्र सिंह धामा, जितेन्द्र मोहन शर्मा आदि शामिल रहे।
बताते चलें कि पिछले दिनों छेत्र में राजनीतिक पकड़ के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव की सरकार और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह के बीच एक अघोषित जंग जारी है| केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय मेरठ के अलावा प्रदेश में एयर पोर्ट विकसित करने में इच्छुक है मगर मंत्रालय को प्रदेश सरकार द्वारा जमीन उपलब्ध नहीं कराई जा रही|उलटे इस पहल का मज़ाक उड़ाया जा रहा है|काबिना मंत्री श्री आज़म खान राम पुर में एयर पोर्ट की जरुरत बताते हैं तो अखिलेश यादव भी मेरठ के बजाय इस्टर्न यूं पी को प्राथमिकता दिए जाने की वकालत करते नजर आते हैं|
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर ब्रेक लगाने पर अब मेरठ में हाई कोर्ट की बेंच की दशकों पुराणी मांग को पुनः उठा कर प्रदेश सरकार के लिए सरदर्दी बड़ा दी है|

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल की निजी वेबसाइट भी हैक हो गई

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल की निजी वेबसाइट को हैक करके अस्थाई रूप से उसका स्वरूप बिगाड़ दिया गया ।
श्री सिब्बल की गलत छवि पेश करने के लिए कल वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट कपिलसिब्बलएमपी डॉट कॉम को निशाना बनाया गया और उसमे प्रकाशित सामग्री में छेड़छाड़ की गयी। संसद में चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सिब्बल इस पोर्टल का इस्तेमाल अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ संवाद करने के लिए करते हैं।

Kapil Sibal

बताया जा रहा है कि दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल पर कुछ समूहों ने इंटरनेट सेंसरशिप और अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध का आरोप लगाते हुए उनकी निजी वेबसाइट को हैक कर लिया तथा उसका स्वरूप बिगाड़ दिया। इस वेबसाइट की अधिकतर चीजें दुरूस्त कर लिए जाने का दावा किया जा रहा है| लेकिन ब्लॉग, गैलरी, भाषण और बातचीत जैसे कई खंड अब भी काम नहीं कर रहे।
इसी बीच सरकार ने कहा कि जनवरी-अक्तूबर, 2012 के दौरान विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों की 294 वेबसाइट हैक हुई है
सामाजिक दूरियों को दूर करने की नियत से डेवेलप किये गए सोशल साईट्स का नफरत फैलाने के लिए या अपने स्कोर सेटल करने के लिए किया जा रहा दुरूपयोग एक चिंता का विषय बनता जा रहा है| जहां इसके विषय में पर्याप्त जानकारी का न होना+प्रभावी कानून की अनुपस्थिति+ पोलिस गिरी+और इसके प्रभाव को सिमित करने की जद्दोजहद में इसका दुरूपयोग बदता जा रहा है यहाँ तक कि सरकारी मंत्री का एकाउंट भी हैक कर लिया गया है|इस विषय में एक प्रभावी कानून और उसका पालन करने वाले प्रशिक्षित स्टाफ कि जरुरत है|

पहले में पहले में की तकरार में स्पाईस जेट के २०० यात्रियों की जान जोखिम में डाली

दो पायलेटों की पहले मैं पहले की तकरार में स्पाईस जेट के दो प्लेन हवा में ही आपस में टकराने से बाल बाल बचे| दोनों प्लेन में सवार लगभग २०० यात्रियों की जान से यह खिलवाड़ इंदौर के एयरपोर्ट पर हुआ| आरोप है कि दोनों पायलट हवा में ही एक दूसरे सिर्फ इसलिए भिड़ गए क्योंकि वो पहले लैंडिंग करना चाहते थे। इस झगड़े के दौरान विमान आपस में टकराने से बच गए। ये दोनों विमान एक ही कम्पनी स्पाईस जेट के बताये गए हैं| बताया जा रहा है की दोनों को एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) ने एक साथ लैंडिंग की अनुमति दे दी थी। ऐसे में दोनों विमान पांच मिनट के अंतराल पर वहां उतरे। पहले लैंड कराने वाले विमान के पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल इंदौर को उसी समय आपत्ति दर्ज करवा दी कि एटीसी अधिकारे हमेशा की तरह इसे भी सामान्य घटना बता रहे हैं।
बुधवार रात साढ़े आठ बजे भोपाल से आने वाला स्पाइस जेट का विमान एटीसी से लैंडिंग की अनुमति मिलने पर लैंडिंग की तैयारी में था। उसी समय इसी कंपनी का एक और विमान आसमान में दिखाई दिया जो दिल्ली से आया। यह पांच हजार फीट की ऊंचाई पर था। उसे भी उतरने की अनुमति दे दी गई। इस पर उक्त विमान ने भी सर्कल लेना (गोल घेरा) शुरू कर दिया। यह देख पहले विमान का पायलट घबरा गया। गुरुवार को पायलट ने दिल्ली में शिकायत दर्ज करवाई।
इंदौर एयरपोर्ट पर पहले लैंडिंग को लेकर जब दोनों पायलट झगड़ रहे थे तब उनके विमान करीब 3700 फीट की दूरी पर थे। इस दौरान उनके विमान टकराने वाले ही थे कि दोनों ने अपने अपने विमान को उलटी दिशा में मोड़ लिया।

File Photos

एसोचैम ने डूबती किंग फिशर एयर लाईन्स के लिए राहत पॅकेज का चारा माँगा

एयर इंडिया की तर्ज़ पर डूबती जा रही किंग फिशर एयर लाईन्स को भी बेल आउट पैकेज दिया जाना चाहिए| यह उद्योग संगठन एसोचैम का मानना है | एसोचैम के अनुसार वित्तीय संकट से जुझ रही एयर इंडियातथा किंगफिशर एयरलाइंस में कोई अंतर नहीं है।एसोचैम के महासचिव डी एस रावतका कहना है कि दोनों कंपनियाँ ही माँग में कमी, ईंधन की बढ़ती लागत और अन्य खर्च के बढ़ने की समस्या से पीड़ित हैं। उनका कहना है कि “सरकार ने एयर इंडिया को राहत देने का फैसला किया और एयर इंडिया के 7400 करोड़ रुपये के बांड निर्गम को एलआईसी तथा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने खरीद लिया। अगर एयर इंडिया को राहत पैकेज दिया जा सकता है, तो इसकी कोई वजह नहीं है कि बैंक तथा सरकारी संगठन किंगफिशर से अलग तरह से व्यवहार करें।” यह सुझाव ऐसे समय में आया है, जबकि रपटों के अनुसार एयर इंडिया के 7400 करोड़ रुपये के नान कनवर्टिबल बांड को एलआईसी तथा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने खरीद लिया है।

एसोचैम ने डूबती किंग फिशर एयर लाईन्स के लिए राहत पॅकेज का चारा माँगा

है|
एसोचैम ने एक बयान में कहा है कि अगर एयर इंडिया को राहत पैकेज दिया जा सकता है तो इसकी कोई वजह नहीं है कि बैंक तथा सरकारी संगठन किंगफिशर से अलग तरह से व्यवहार करें। बैंकों ने किंगफिशर एयरलाइंस के प्रवर्तकों को नयी पूँजी लगाने तथा विस्तृत पुनरोद्धार योजना पेश करने के लिए 30 नवंबर 2012 तक का समय दिया है।
गौरतलब है कि एयर इंडिया और किंग फिशर एयर लाईन्स दोनों ही वित्तीय संकट से जूझ रही है दोनों के कर्मियों को पूरा वेतन नहीं दिया जा सका है और कर्ज़ भी चड़ता जा रहा है| किंग फिशर तो अपनी नीतियों के कारण डूबने के कगार पर आ पहुँची है| इसीलिए इसके मालिक विजय माल्या इस डूबते जहाज़ में अपना पैसा लगाना नहीं चाह रहे|और विदेशी निवेशक के इंतज़ार में हैं|अब एसोचैम द्वारा बीच का रास्ता निकाल कर सरकार पर बेल आउट पॅकेज के लिए दबाब बनाया जा रहा