सचिन को रिटायरमेंट के साथ ही भारत रत्न मिलेगा
ये तो किसी ने भी सोचा नहीं होगा
इसके साथ ही प्रो राव को भी यही राष्ट्रीय रत्न मिलेगा
ये तो उन्होंने भी सोचा नहीं होगा
सचिन का यह सम्मान विपक्षी भाजपा को अखरेगा
कांग्रेस ने ये जरुर सोचा होगा
भाजपा अपने वयोवृद्ध वाजपई के लिए अपील करेगी
कांग्रेस ने ये भी जरुर सोचा होगा
नीतीश,फारुख अब्दुल्लाह,पल्लम राजू भी हां करेंगे
ये कांग्रेस ने भी सोचा नहीं होगा
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद ,दक्षिण से एनटीआर
पिछड़ों के कर्पूर्री ठाकुर,के लिए भी पुरजोर मांग उठेगी
इसे किसी ने क्यूँ नहीं सोचा था
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भारत रत्न के लिए वाजपई , मेजर ध्यानचंद,एनटीआर,कर्पूर्री ठाकुर,की मांग भी उठेगी इसे क्यूँ नहीं सोचा था
विज्ञानं की उपेक्षा से व्यथित ,सफल साइंटिस्ट, राव, उदासीन, पॉलिटिशंस के लिए इडियट से सभ्य और दूसरा शब्द नहीं ला सकते
झल्ले दी झल्लियां गल्लां
कांग्रेसी चीयर लीडर
ओये झल्लेया बरसों से नेग्लेक्टेड ये प्रोफेसर चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव के नखरे तो देख ,हसाडे सोणे ते मन मोहने पी एम् ने इन्हें सर्वोच्च पुरुस्कार भारत रत्न से नवाजने की घोषणा क्या कर दी कि इन्होने पूरी राजनीती की जमात को ही इडियट बता डाला
झल्ला
अरे मेरे चतुर सुजाण जी भारत रत्न के आंकड़े देखो अब तक ४३ लोगों को भारत रत्न दिया गया है|सी वी रमन और ऐ पी जे अबुल कलाम के बाद पांच दशकों के करियर में 1400 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित करा चुके + 60 विश्वविद्यालयों से डाक्टरेट की मानद उपाधि लेकर +शोध कार्य के क्षेत्र में सौ के एच-इंडेक्स में पहुंचने वाले राव को ही इस सम्मानके लायक समझा गया है जबकि खिलाड़ियों के लिए २०११ में भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई थी |और अब सचिन को रिटायर होते ही भारत रत्न बना दिया गया |भई क्रिकेट में पैसा है +ग्लैमर है+सत्ता हैउसकी तरफ लुढकना तो समझ में आता है मगर विज्ञानं के लिए तो सरकार ही सहारा है और सरकार भी हाथ भींच कर पैसे दे रही है |अब अपनी जमात की उपेक्षा से व्यथित +क्षुब्ध +मेहनती +सफल वैज्ञानिक अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए इडियट से सभ्य और कोई प्रायवाची का प्रयोग नही कर सकता |
उपराष्ट्रपति मो. हामिद अंसारी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को विश्व के सबसे बड़े लोक तंत्र की पहचान बताया
उपराष्ट्रपति मो. हामिद अंसारी ने आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस का उद्घाटन किया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को विश्व के सबसे बड़े लोक तंत्र की पहचान बताया उपराष्ट्रपति ने कहा कि कानून के चारों कोनों में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारी लोकतांत्रिक पहचान को परिभाषित करती है
भारत के उपराष्ट्रपति ने कहा है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अपनी कमजोरियों के बावजूद यह कार्यप्रणाली+ शक्ति+ संवैधानिक और लोकतांत्रिक राज्य संरचना की दृष्टि से एक शानदार मिसाल है। अन्य उदार लोकतांत्रिक देशों की भांति हमारी कार्यप्रणाली भी कार्यपालिका+ विधायिका और न्यायपालिका के बीच अधिकारों के विभाजन और प्रेस एवं मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर आधारित है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर भारतीय प्रेस परिषद द्वारा आयोजित समारोह में ‘प्रेस की स्वतंत्रता और उसकी जिम्मेदारियां’ विषय पर उद्घाटन व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि कानून के चारों कोनों के भीतर अंतर्निहित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सिद्धांत हमारी लोकतांत्रिक पहचान को परिभाषित करता है। इन दोनों की गारंटी हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों के रूप में दी गई है।
उन्होंने कहा कि मेरे विचार में प्रेस के लिए दो बातें महत्वपूर्ण हैं। प्रथम, प्रेस की आजादी के साथ युक्ति संगत विश्वास के साथ नीतिपरक आचरण और हमारे संस्थानों को सुदृढ़ करने वाले मूल्यों और प्राथमिकताओं का प्रकाशन जुड़ा हुआ है। दूसरे, माता-पिता और शिक्षकों के अलावा प्रेस का भी यह दायित्व है कि वह युवाओं को उनके अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के प्रति भी सूचित और शिक्षित करे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें भारतीय मीडिया की शक्ति और विविधता पर गर्व है। इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि भारतीय मीडिया का निरंतर विकास होगा और वह नई डिजिटल संचार प्रौद्योगिकी का ध्यान पूर्वक इस्तेमाल करेगा और उसे अनुकूल बनाएगा।
photo caption
The Vice President, Shri Mohd. Hamid Ansari with the Minister of State (Independent Charge) for Information & Broadcasting, Shri Manish Tewari releasing the souvenir, at the National Press Day celebrations, in New Delhi on November 16, 2013.
The Chairman, Press Council of India, Shri Justice Markandey Katju is also seen.
उप राष्ट्रपति सचिवालय के सौजन्य से
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ध्यानाभ्यास में पारंगत होने पर दर्द और तकलीफ़ों से बचा जा सकता है, अंतर में सुख और शांति मिल सकती है:संत राजिंदर सिंह जी
साइंस आफ स्पिरिच्युएलिटी’ + सावन कृपाल रूहानी मिशन के संत राजिंदर सिंह जी महाराज ने जीवन में तनाव को दूर करने के लिए नियमित ध्यानाभ्यास का उपदेश दिया |
संत महाराज ने अपने नवीनतम न्यूज लैटर में फ़रमाया है कि डाक्टर और वैज्ञानिक शरीर और मन के पारस्परिक संबंध और स्वास्थ्य पर प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं,|
चिकित्सकों ने यह पता लगाया है कि कुछ रोगों का हमारी मानसिक और भावनात्मक अवस्था के साथ सीधा संबंध होता है। उन्होंने पाया है कि जब भी हम मानसिक तनाव या भावनात्मक पीड़ा या बेहद निराशा के दौर
से गुज़रते हैं, तो विभिन्न रोगों के लिए हमारी प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ जाती है। हमें रोग होने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि उस समय हमारा रोग-प्रतिरोधी तंत्र बेहतरीन स्थिति में नहीं रह जाता।
विज्ञान के अनुसार कुछ रोग, जैसे कि पाचन संबंधी विकार, साँस की बीमारियाँ, हृदयरोग, माइग्रेन सिरदर्द आदि, अक्सर तनाव के कारण ही उत्पन्न होती हैं। ध्यानाभ्यास कई तरीक़ों से हमारी मदद करता है। पहला, ये हमारे तनाव को कम करता है, और इस तरह हमें तनाव-संबंधी रोग होने की संभावना कम हो जाती है। आज के इस भागदौड़ वाले माहौल में, हमारा मन अक्सर कई तरह के तनावों और दबावों से जूझता रहता है। जीवन इतना अधिक जटिल हो चुका है कि लोगों के पास करने को तो बहुत कुछ है लेकिन उसे करने के लिए समय कम है। कुछ लोगों का काम ऐसा होता है जिसमें बहुत अधिक घंटे देने पड़ते हैं और जि़म्मेदारी बहुत होती है।
महाराज ने भौतिक वादी युग कि मृग तृष्णा के साइड इफेक्ट्स का वर्णन करते हुए बताया कि कुछ लोग दो-दो नौकरियाँ करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। दबाव ज़्यादा हो जाने से कई बार लोग गुस्से में रहने लगते हैं + वे चिड़चिड़े हो जाते हैं+ असंतुलित हो जाते हैं,+ हमेशा तनाव में रहते हैं।
वो ऐसा व्यवहार करने लगते हैं जोकि वो सामान्य परिस्थितियों में नहीं करते। कई बार वो अपनी निराशा या कुंठा अपने प्रियजनों पर ही निकालने लगते हैं और उन्हीं को तकलीफ़ पहुँचाने लगते हैं जिन्हें उन्हें सबसे अधिक प्यार देना चाहिए।
इन साइड इफेक्ट्स को दूर करने के लिए महाराज ने बताया कि ध्यानाभ्यास द्वारा हम मानसिक तनावों से उत्पन्न असंतुलन को ठीक कर सकते हैं। ध्यानाभ्यास में समय देने से हम अपने भीतर ही अपने लिए एक शांतिपूर्ण स्थान बनाते हैं, जहाँ हम अपनी मानसिक हालत को दोबारा ठीक और संतुलित कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि ध्यानाभ्यास कर रहे लोगों के मस्तिष्क की तरंगें गहन शांति और आराम की अवस्था दर्शाती हैं। उनका मन शांत हो जाता है। ध्यान टिकाने से शरीर भी शांत होता है। यदि हम प्रतिदिन कुछ समय ध्यानाभ्यास में दें, तो हम देखेंगे कि हमारे तनाव में काफ़ी कमी आ गई है तथा हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर हो गया है।ध्यानाभ्यास के समय तनाव कम होने के अलावा इसका प्रभाव बाद में भी रहता है। हम दिन भर की बाक़ी गतिविधियाँ करते हुए भी पहले से अधिक शांत रहते हैं। जैसे-जैसे हम ध्यान में अधिक अभ्यस्त होते जाते हैं, हम तनाव और संघर्षों के बीच भी शांत बने रहते हैं। हम अपनी प्रतिक्रियाओं पर अधिक नियंत्रण रख पाते हैं और दूसरों के झगड़ों के बीच भी संतुलित बने रहते हैं। दिन भर में जब हमारे अंदर तनाव कम रहता है, तो हमारी तनाव-संबंधी रोगों से ग्रसित होने की संभावना भी कम हो जाती है। दूसरा, ध्यानाभ्यास से हमारी चेतनता भी उच्चतर अवस्था में पहँुच जाती है और यदि हमें कोई रोग हो भी जाए तो हम अंदर से बहुत अधिक व्यथित नहीं होते। ध्यानाभ्यास से हम अंतर में ख़ुशियों और परमानंद की अनंत धारा के साथ जुड़ जाते हैं जो हमारा ध्यान बाहरी दुनिया के दुख-तकलीफ़ों से हटा देती है। ध्यानाभ्यास में पारंगत होने से हम अंतर में सुख और शांति के स्थान पर जा सकते हैं तथा शारीरिक कष्ट के पीड़ादायक प्रभावों से दूर रह सकते हैं।
हो सकता है कि हम प्रकृति के नियमों के विरुद्ध जाने पर हम बीमार पड़ जाएँ, लेकिन ध्यानाभ्यास के द्वारा हम शारीरिक दर्द के अनुभव से दूर हो सकते हैं तथा अंतर में शांति और आराम पा सकते हैं। मृत्यु-सम अनुभवों को देखें तो हम पाएँगे कि कई बार बेहद दर्द भरी दुर्घटनाओं में आ जाने वाले लोगों ने शरीर छोड़ दिया और उस दर्द से ऊपर उठ गए। वो अपने घायल शरीर को देख पा रहे थे, लेकिन वो किसी भी तरह के दर्द का अनुभव नहीं कर रहे थे जब तक कि वो शरीर में वापस नहीं आ गए। इस परिस्थिति से हमें थोड़ा सा अनुमान हो सकता है कि अगर हम ध्यानाभ्यास में पारंगत हो जाएँ तो हम दर्द और तकलीफ़ों से कितना बच सकते हैं।
हाल ही में चिकित्सा के क्षेत्र में यह पता लगाया जा रहा है कि जो रोगी आपरेशन से पहले और बाद में प्रार्थना व ध्यानाभ्यास करते हैं, वो उनसे किस प्रकार भिन्न होते हैं जो ऐसा नहीं करते। शुरुआती अध्ययन दर्शा रहे हैं कि आपरेशन से पहले और बाद में प्रार्थना व ध्यानाभ्यास करने वाले रोगी जल्द ही ठीक हो जाते हैं।
ध्यानाभ्यास में नियमित रूप से समय देने वाले लोगों में तनाव कम हो जाता है। कई अस्पताल और चिकित्सा केंद्र अब ध्यानाभ्यास की कक्षाएँ लगाते हैं ताकि तनाव को कम किया जा सके और कई रोगों को ठीक करने में सहायता हो सके। कई लोग विश्व भर में हमारे ‘साइंस आफ़ स्पिरिच्युएलिटी’ केंद्रों में सिखाए जाने वाली प्रारंभिक ज्योति ध्यानाभ्यास की विधि सीखने आते हैं ताकि अपने तनाव में कमी ला सकें।जैसे-जैसे आप ध्यानाभ्यास में पारंगत होते जाएँगे, आपको अंतर में बेहद शांति और ख़ुशी का अनुभव होगा। ऐसा होने से आपके तनाव में भी कमी आएगी। ध्यानाभ्यास तनाव को कम करने का और भीतर से शांत होने का अति प्रभावशाली उपाय है, जिससे हम अपने शरीर को भी आरोग्य बना सकते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की 175वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा स्मृति डाक टिकट जारी किया गया
टाइम्स ऑफ इंडिया की 175वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा स्मृति डाक टिकट जारी किया गया
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने टाइम्स ऑफ इंडिया की 175वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में स्मृति डाक टिकट जारी किया।इस
इस अवसर पर बोलते हुए टाइम्स समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर के बयान के संदर्भ में राष्ट्रपति ने कहा कि इसके पीछे कोई राजनीतिक गुरु नहीं है और इसके पीछे कोई छिपा हुआ एजेंडा भी नहीं है, बल्कि यह इस महान संस्थान का एक अपना उद्देश्य है।
उन्होंने इस अवसर पर याद किया कि किस प्रकार टाइम्स ऑफ इंडिया ने भारत के इतिहास के हर मोड़ को दस्तावेज़ के रूप में संग्रहित किया है।
[१]इसने महारानी विक्टोरिया के भारत की सम्राज्ञी के रूप में राज्याभिषेक के समाचार को भी हम तक पहुंचाया और इसने
[२] यह कहते हुए 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन का समाचार दिया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत की भूमि पर इतनी महत्वपूर्ण और व्यापक जनसभा पहले कभी नहीं हुई।
[३]भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव के 1931 के साहसपूर्ण संघर्ष के समाचार भी विस्तार से प्रकाशित किये गये।
[४] टाइम्स ऑफ इंडिया में यह भी समाचार दिया गया था कि किस प्रकार भगत सिंह ने कभी भी क्षमादान के लिए अपील नहीं की। भगत सिंह ने जज के सामने केवल एक ही अपील की थी कि उन्हें फांसी देने की जगह गोली मारी जाए।
[५]राष्ट्रपति ने इस ओर ध्यान दिलाया कि भारतीय संविधान को स्वरूप देने वाले राजनैतिक सुधारों के हर कदम की टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा खबर दी जाती रही। भारत के संविधान के बनने व स्वीकार किये जाने के समय भी यह सक्रिय था। इसने टेलीग्राम सेवा शुरू होने और आखिरी टेलीग्राम भेजे जाने को भी कवर किया। राष्ट्रपति ने 175वीं जयंती व डाक टिकट के विषय के रूप में आर.के.लक्ष्मण के कॉमन मैन को चुनने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया और डाक विभाग को बधाई देते हुए अपना संबोधन समाप्त किया।
उन्होंने इस अवसर पर इस समाचार पत्र को स्वरूप देने वाले और भविष्य के लिए इसका मार्ग प्रशस्त करने वाले सभी संपादकों और पत्रकारों को भी याद किया। इस अवसर पर संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री कपिल सिब्बल भी उपस्थित थे।
कांग्रेस ने लता मंगेशकर को दिए गए सम्मान वापिस लेने की मांग की
कांग्रेस ने स्वर कोकिला के विरुद्ध मोर्चा खोल ही दिया| अब मुम्बई के अध्यक्ष जनार्दन चान्दूरकर ने लता मंगेशकर को दिए गए सम्मान वापिस ले लेने की मांग कर दी है जनार्दन ने यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया है कि उन लोगों से देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान वापस ले लिया जाना चाहिए जो ‘‘सांप्रदायिक ताकतों’’ की तारीफ करते हैं। लता मंगेशकर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित की जा चुकी हैं।
चान्दूरकर ने हालांकि सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का नाम नहीं लिया लेकिन साफ तौर पर जाहिर होता है कि उन्होंने यह बात लता को लक्ष्य कर कही है।
अभी हाल ही में लता ने अपने अस्पताल के उद्घाटन समारोह में नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए कहा था कि वह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहती हैं।
मोदी ने लता के दिवंगत पिता दीनानाथ मंगेशकर के नाम पर एक नए अस्पताल परिसर का उद्घाटन किया था, जिसके बाद लता ने कहा, नरेंद्र भाई मेरे भाई की तरह हैं। हम सभी उन्हें प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं। दीपावली के शुभ अवसर पर मैं आशा करती हूं कि हमारी इच्छाएं पूरी होंगी।
शिवसेना और भाजपा नेताओं ने कांग्रेस की इस मांग पर कड़ी आपत्ति जताई है। शिवसेना ने कांग्रेस अध्यक्ष पर तीखा वार करते हुए कहा कि उन्हें किसी से भी ये सम्मान वापस मांगने का हक नहीं है।
अडवाणी ने अब चर्चिल के माध्यम से इंडियन बिस्मार्क पटेल की क्षमता की प्रशंसा की
भारतीय जनता पार्टी[भाजपा]के वयोवृद्ध नेता और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृष्ण अडवाणी ने एक बार फिर किताबों की खोदाई करके लोह पुरुष सरदार वल्ल्भ भाई पटेल की राष्ट्र भक्ति और न्रेतत्व क्षमता को तत्कालीन नेताओं से सर्व्श्रेस्थ बताया | अपने नए ब्लॉग के टेल पीस [TAILPIECE ]में अडवाणी ने बलराज कृष्णा की पुस्तक के माध्यम से बताया कि सरदार पटेल ने वर्ल्ड वार २ के विजेता अदम्य विंसेंट चर्चिल को दृढ़ता से जवाब देने के बावजूद उसकी प्रशंसा प्राप्त की|
सेकंड वर्ल्ड वार में विजय प्राप्त करने के उपरांत भी इंग्लैंड के शाही टाइटल से सम्राट शब्द हट गयाइससे क्षुब्ध हो कर चर्चिल ने जून १९४८ में भारत और भारतीयों पर जहर उड़ेलना शुरू कर दिया| चर्चिल ने कहा की भारत में अब रासकल्स [rascals, ]दुर्जन[ Rogues ] पिंडारी [फ्री बूटर्स]के हाथों में पॉवर आ जायेगी
जो भूसे के तरह कुछ ही सालों में उड़ जायेगी|जब ये जहर उगला गया उस समय सरदार पटेल देहरादून में बीमार पड़े हुए थे लेकिन उन्होंने चर्चिल को तुरंत कटु आलोचनापूर्ण उत्तर भेज दिया | सरदार पटेल ने वर्ल्ड वार २ के विजेता चर्चिल को निर्लज्ज राजशाही के अंतिम लोकप्रसिद्द बुद्धिमत्ता से दूर डिचेर [ditcher ] बताया|इस पर कुपित होने के स्थान पर चर्चिल ने इसे गुड स्प्रिट में लिया और भारत आ रहे अपने फॉरेन सेक्रेटरी अन्थोनी ईडन[Anthony Eden ] की मार्फ़त प्रशंसा पत्र भी भेजा जिसमे लिखा था कि सरदार पटेल केवल भारतीय सीमाओं तक सीमित नहीं रहें विश्व को उनके ज्ञान +क्षमता की आवश्यकता है |
High Courts Of Karnataka & Jharkhand Will Have New Judges And Chief Justice
[1] Appointment of Judges in the High Court of Karnataka
(i) Shri Justice Bijoor Manohar,
(ii) Shri Justice Hosahalli Sheshadri Kempanna, and
(iii) Smt. Justice Bangalore Shamachar Indrakala, Additional Judges of the High Court of Karnataka, to be Judges of that High Court with effect from the date they assume charge of their office
[ 2 ] Smt. Justice R. Banumathi Appointed as the Chief Justice of the Jharkhand High Court
In exercise of the powers conferred by clause (1) of Article 217 of the Constitution of India, the President has appointed Smt. Justice R. Banumathi, Judge of the Madras High Court, as the Chief Justice of the Jharkhand High Court with effect from the date she assumes charge of her office.
[3] Aprt Form the above Tenure for Additional Judges of the High Court of Chahattisgarhhas also been extended
In the High Court of Chhattisgarh, the tenure of Additional Judges Shri Prashant Kumar Mishra and Shri Manindra Mohan Shrivastava has been extended from 10th December 2013 for a period of 2 more years.
The President has issued a Notification to this effect in exercise of the powers conferred by clause (1) of Article 2224 of the Constitution of India.
दुःख के बादल पिघलाने वाली वोह सुबह आयेगी और उसे भाजपा ही लाएगी :एल के अडवाणी
भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृष्ण अडवाणी ने अपने नवीनतम ब्लॉग के टेल पीस[ TAILPIECE ] में संकेत दिया है कि यदि देश में परिवर्तन लाना है तो भाजपा से अच्छा कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता |
ब्लॉगर अडवाणी ने आर्गेनाइसर[दीपाली] में छपी खबर को याद करते हुए बताया कि १९५८ में दिल्ली कारपोरेशन के चुनाव में मिली हार के गम को भुलाने के लिए उन्होंने अटल बिहारी वाजपई के साथ दोस्तोएव्स्की की क्राइम एंड पनिशमेंट [ Dostoevsky’s Crime and Punishment. ]स्टोरी पर आधारित राज कपूर स्टारर फ़िल्म “वोह सुबह कभी तो आयेगी” देखी|फ़िल्म देखने के बाद साहिर लुधियानवी के मुकेश द्वारा गए गए आशावादी गीत गाते हुए बाहर आये | गीत के बोल थे
“वोह सुबह कभी तो आयेगी,
जब दुःख के बादल पिघलेंगे
जब सुख का सागर छलकेगा
जब अम्बर झूमके नाचेगा
जब धरती नगमे गायेगी
वोह सुबह कभी तो आयेगी”
और ३० सालों के बाद १९९८ में वोह सुबह आई अटल बिहारी वाजपई प्रधान मंत्री बने |तब मैंने [अडवाणी]कहा था कि वोह सुबह आ गई है और उसे हम[बीजेपी]ही लाये हैं
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