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दिल्ली हाई कोर्ट ने शीला दीक्षित सरकार को झटका देते हुए ऑटो रिक्शा पर विज्ञापन प्रतिबन्ध पर ही रोक लगाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली की सरकार को झटका देते हुए ,औटो रिक्शा पर विज्ञापन सम्बन्धी ,सरकार के तानाशाही भरे आदेश पर रोक लगा दी है|आम आदमी पार्टी [आप]की यह दिल्ली सरकार पर पहली जीत मानी जा रही है|
दिल्ली सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए आटो के पीछे पोस्टर लगाने को अवैध करार दिया था और कहा था कि इसका उल्लंघन करने वाले चालकों का चालान कटेगा. आज दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार के इस तानाशाही भरे आदेश पर रोक लगा दी है.
आप पार्टी के प्रमुख कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए सरकार के इस आदेश को ही अवैध करार दिया. उन्होंने कहा कि सरकार के पास वाहनों पर लगे पोस्टरों या विज्ञापनों को रोकने का अधिकार ही नहीं है. साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि अगर रेडियो टैक्सी या आरटीवी बसों पर कमर्शियल विज्ञापन लगाना वैध है तो फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनितिक पोस्टर कैसे अवैध हो सकता है. प्रशांत भूषण ने अपनी याचिका में सरकार के इस आदेश को आटोचालकों की अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला करार दिया है|
आप ने सवाल किया है कि जब दिल्ली में रेडियो टैक्सियां विज्ञापनों से रंगी पडी हैं+ आरटीवी पर विज्ञापन लगे हैं,+ आटो पर पोस्टर लगाना अपराध कैसे हो सकता है? क्या सिर्फ इसलिए क्योंकि दिल्ली के आटोचालक आम आदमी पार्टी का साथ दे रहे हैं? सरकार की परेशानी आटो पर लगने वाले विज्ञापन नहीं हैं, बल्कि वह आम आदमी पार्टी से परेशान है. इसीलिए आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पोस्टर लगाने पर अगर किसी आटो का चालान कटेगा तो उसे पार्टी भरेगी और आटोचालक को मुफ्त वकील भी उपलब्ध करवाएगी.|सरकार के इस आदेश के बाद से पार्टी लगातार आटोचालकों के साथ खडी है, उनका जुर्माना भी भर रही है और उनके लिए कोर्ट में वकील भी भेज रही है. हालांकि आज हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब सरकार किसी आटोचालक का चालान इसलिए नहीं काट पायेगी कि उसके पीछे पोस्टर लगा है.
पार्टी ने आरोप लगाया है कि पोस्टर लगाने पर पुलिस ने तो एक दो ही चालान काटे हैं लेकिन नेताओं के लोग आटो को रोककर उनके पोस्टर फाडने का काम कर रहे हैं. आज सुबह भी संसद का स्टीकर लगी एक गाडी में बैठे कुछ लोग आटो के पीछे लगे पोस्टर फाडते घूम रहे थे. उनकी गाडी में आम आदमी पार्टी के फटे हुए पोस्टर भी पडे थे. तो सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस के नेताओं को आम आदमी पार्टी के पोस्टरों पर लिखा सच हजम नहीं हो रहा और अब वे सरकारी गाडियों में अपने गुंडे भेजकर ये पोस्टर उतरवा रहे हैं.