Ad

भारतीय रेलवे नए डीजल के १२ इंजनों में इंधन बचाने के उपकरण लगाएगा

डीजल की बचत के लिए भारतीय रेल नए डीजल के १२ इंजनों में नए उपकरण लगाएगा| |इससे प्रति वर्ष ६० करोड़ रुपयों की बचत होगी और पर्यावरण के लिए हानि कारक प्रदूषकों का उत्‍सर्जन भी कम होगा।
रेल मंत्रालय के अनुसार रेल के डीजल इंजनों में इंधन की बचत के उद्देश्‍य से ऑक्‍ज़ीलरी पावर यूनियन (एपीयू) नामक एक उपकरण लगाया जायेगा। इससे प्रतिवर्ष प्रत्‍येक इंजन में 20 लाख रूपये से अधिक की बचत होगी। इस उपकरण को अभी बारह डीज़ल इंजनों में लगाया गया है। भविष्‍य में ऑक्‍ज़ीलर पॉवर यूनिट सभी नए डीजल इंजनों में लगाए जाऐंगे। ऐसा करने से अनुमान है कि प्रति वर्ष साठ करोड़ रूपये की बचत होगी। इस उपकरण के प्रयोग से कार्बन डाईआक्‍साइड, कार्बन मोनो ऑक्‍साइड तथा हाइड्रो कार्बन जैसे प्रदूषकों का उत्‍सर्जन भी कम होगा।
रेलगाडि़यों की संख्‍या अधिक और पटरियों की संख्‍या कम होने से गाडि़यों को काफी समय तक रूक कर एक-दूसरे को आगे जाने का मौका देना पड़ता है। ऐसे समय इ्ंधन की बचत करने में इस एपीयू उपकरण की भूमिका महत्‍वपूर्ण है।
दस मिनट से अधिक अगर डीजल इंजन रूकता है तो एपीयू उपकरण का मुख्‍य इंजन बंद हो जाता है और 25 हॉर्स पावर के इंजन काम शुरू कर देते हैं तथा बैटरियों और एयर ब्रेक फाइट को चार्ज करना शुरू करते हैं। मुख्‍य इंजन की तुलना में प्रति घंटे एपीयू में केवल तीन लीटर डीजल की खपत होती है जबकि मुख्‍य इंजन में एक घंटे में 25 लीटर डीजल की खपत होती है। केवल इंधन की बचत की बात की जाए तो डीजल इंजन में एपीयू के लगे होने से प्रति इंजन/प्रति वर्ष 20 लाख रूपये तक की बचत होने की संभावना है।
ऑक्‍ज़ीलरी पावर यूनिट में एक छोटा डीजल इंजन है जो कि एक कॉम्‍प्रेसर तथा ऑल्‍टरनेटर के साथ जुड़ा हुआ है ताकि बैटरी चार्ज हो सके। इसमें नियंत्रण तथा अन्‍य आवश्‍यकताओं के लिए विशेष व्‍यवस्‍था है और यह इंजन के नियंत्रण के लिए लगे हुए माइक्रोप्रोसेसर का अभिन्‍न अंग है।