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राज्यसभा में वाक युद्ध के बाद आज द्वन्द युद्ध हुआ

राज्‍यसभा में 12 बजे कार्यवाही शुरू होते ही समाजवादी पार्टी के [हरदोई ] सांसद नरेश अग्रवाल बिल का विरोध करने के लिए खड़े हो गए । वह अपनी पार्टी के सांसदों के साथ वेल[चेयर ]की ओर बढ़ने लगे। बसपा सांसदों ने उनका रास्‍ता रोका। इसी दौरान बसपा सांसद [पंजाब] अवतार सिंह करीमपुरी और अग्रवाल आमने-सामने हो गए। दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर जम कर धक्‍कामुक्‍की की। दोनों में हाथापाई हुई । वरिष्‍ठ सांसदों ने हस्‍तक्षेप कर मामला शांत किया। लेकिन हंगामा जारी रहा। इस हंगामे के बीच ही आसन से बिल पेश करने का आदेश आया और नारायण [पी एम् ओ]सामी ने बिल पेश कर दिया। बिल पेश करते ही कार्यवाही स्‍थगित कर दी गई।
राज्य सभा के पहले चेयर मेन डाक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्म दिन पर भी सदन की मर्यादा को तार तार कर दिया गया| माननीय अब वाक युद्ध से द्वंद्ध युद्ध [हाथा पाई] पर उतर आये हैंदुर्भाग्य तो यह रहा कि नारायण सामी [पी एम् ओ ]+सुशील कुमार शिंदे[ नेता लोक सभा और गृह मंत्री]ऐ के अंटोनी[रक्षा मंत्री]सरीखे वरिष्ठ नेता अपनी सेटों पर ही चिपके रहे|
इससे पूर्व सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने प्रमोशन में कोटा तय करने के फैसले को असंवैधानिक बताया। उधर, बिल के विरोध में उत्तर प्रदेश के 18 लाख कर्मचारी बुधवार को हड़ताल पर हैं। वे सड़क पर उतर कर विरोध करेंगे तो सपा ने संसद में विरोध के लिए कमर कस ली है। बसपा बिल के समर्थन में है।( राज्यसभा ने आज प्रात ११ बजे अपने पहले चेयरमेन डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनके जन्म दिन पर याद किया लेकिन इस क्षणिक ओपचारिकता के तत्काल पश्चात रोज़ाना की तरह हंगामा शुरू हो गया और प्रश्न काल को भी स्थगित करते हुए सदन को १२ बजे तक के लिए एडजर्न कर दिया गया||
गौरतलब है की ५-०९-१८८८ को जन्मे सर्वपल्ली डाक्टर राधा कृष्णन एक चिन्तक+एजुकेश्निस्टऔर महान दार्शनिक भी थे|इनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है| अनेकों सरकारी गैर सरकारी संस्थान शिक्षकों का सम्मान करते हैं |बड़े बड़े विज्ञापन मीडिया में छपवाए जाते है|लेकिन शिक्षा के प्रति उनके चिन्तन+ दर्शन को केवल उनके जन्मोत्सव तक ही सिमित कर दिया गया है| सबसे बड़े लोक तंत्र के मंदिर में आज राज्यसभा और लोक सभा के स्थगन से तो यही दिखाई देता है |शायद शिक्षा के छेत्र में नीति निर्माण+ कुशल प्रबंधन और गवर्नेंस की शिक्षा देने में अनदेखी किये जाने से यह नकारात्मक परिणाम आ रहे हैं|
देश के शिक्षण संस्थाओं और शिक्षकों की स्थिति आज भी दयनीय ही है |निरक्षरता के अभिशाप को पूरे तरह से मिटाया नहीं जा सका है| आज भी एक बड़े तबके के लिए आरक्षण की बैसाखियों की जरुरत है|जाहिर है ऐसे में शिक्षा के छेत्र में बहुत कुछ किया जाना है|घरेलू सकल उत्पाद का लगभग १३% शिक्षा पर खर्चा बुक किया जा रहा है लेकिन वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए सबसे पहले संसद को चलाने की शिक्षा दी जानी जरुरी है|इसके बाद रोज़गार परक शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए|