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राष्ट्रीय किसान मजदूर के धरने ने बाबा टिकैत के सबसे लम्बे चले २५ दिन के धरने की बराबरी की

राष्ट्रीय किसान मजदूर के धरने ने बाबा टिकैत के सबसे लम्बे चले २५ दिन के धरने की बराबरी की

राष्ट्रीय किसान मजदूर के धरने ने बाबा टिकैत के सबसे लम्बे चले २५ दिन के धरने की बराबरी की

किसान आन्दोलनो के इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ गया है| गन्ने को लेकर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन का कमिश्नरी पार्क में चल रहा अनिश्चितकालीन धरना शुक्रवार को 25वें दिन भी जारी रहा। इस धरने ने बाबा महेंद्र सिंह टिकैत [अब स्वर्गीय]के

सबसे लम्बे चले २५ दिन के धरने की बराबरी कर ली है|

और चौ. अजित सिंह की राजनीतिक चुनौती दी गई है|अब तक सबसे लम्बे धरने का रिकार्ड बाबा टिकैत के ही नाम है| यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है|
इस अवसर पर संगठन के अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने किसानों की एकजुटता को जरुरी बताते हुए कहा कि क्रांति की बात करना बहुत ठीक है, मगर क्रांति व्यवस्था परिवर्तन में आनी चाहिए। गांव में दूध व फसल उत्पादन आदि में क्रांति की जरूरत है इसके लिए आवश्यकता पड़ी तो गावों में जाकर किसानों के आपसी झगडे़ निपटाकर उन्हे एकजुट करने का भागीरथी प्रयास किया जाएगा|२४ मार्च को महा पंचायत का एलान किया गया है|
उन्होंने अपने इस

आन्दोलन की उपलब्धियों

को बताते हुए कहा कि मलकपुर और मोदीनगर मिल किसानों को ब्याज देने लगी हैं, जो मिलें देरी से भुगतान करेंगी उन्हे 15 प्रतिशत ब्याज देना ही होगा। हालांकि अभी सरकार ने न्यायालय का आदेश आधा ही माना है। जून 2012 से ब्याज भुगतान दिया जा रहा है, जबकि आदेश पहली पर्ची से ही देने का है। कहा कि किसान अब जागरूक हो चुका है वह किसी के बहकावे में नहीं आएगा। बताया कि 24 मार्च को होनी वाली महापंचायत के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार कई हजार किसान धरनास्थल पर पहुंचेंगे और विचार-विमर्श किया जाएगा।

शहादत दिवस पर

हवन और कवि सम्मेलन
मेजर डा.हिमांशु ने बताया कि शहीदों के शहादत दिवस पर 23 मार्च की सुबह 10 बजे कमिश्नरी पार्क में ही हवन यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। दोपहर से कवि सम्मेलन होगा। धरने की अध्यक्षता 102 वर्षीय चौधरी रुमाल सिंह ने की।
इस धरने की उपलब्धियों के रूप में कहा जा सकता है कि
[१]पीली भीत से आकर एक सिख किसान ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने को लेकर सबसे लम्बा आन्दोलन किया
[२]इस शुगर बाउल को अभी तक चो.अजित सिंह की राजनीतिक रीड कहा जाता रहा है अब उसे चुनौती मिली है|
[३]यह एक सफल आन्दोलन कि श्रेणी में रखा जा सकता है क्योंकि मलकपुर और मोदीनगर मिल किसानों को ब्याज मिलने लगा है|
[४]इस आन्दोलनके दौरान अभी तक शांति बनी हुई है और पुर्व के एतिहासिक धरने की तरह इसमें कोई मृत्यु नहीं हुई है |