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व्हिसल ब्लोअर खेमका ने राबर्ट वढेरा के खिलाफ फिर सीटी[व्हिसल]बजाई : अब राबर्ट के चेकों की वैधता पर प्रश्न

हरियाणा के चर्चित व्हिसल ब्लोअर आईएएस अफसर अशोक खेमका ने एक बार फिर राबर्ट वढेरा के खिलाफ सीटी[व्हिसल]बजा दी है|इस बार खेमका ने राबर्ट द्वारा जारी चेकों की वैधता पर प्रश्न उठाया है और रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 82 के तहत ऐक्शन की मांग की है| यूं पी ऐ की चेयरपर्सन श्री मति सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वढेरा के गुड़गांव जमीन घोटाले को लेकर अब नया मामला सामने लाया गया है | इस ज़मीन को वाड्रा ने डीएलएफ को 58 करोड़ में बेची थी. ज़मीन घोटाले की जांच के लिये चर्चित हुए आईएएस अशोक खेमका ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर इन चेकों की स्थिति को लेकर पत्र लिखा है. आईएएस अफसर अशोक खेमका ने गुड़गांव के शिकोहपुर गांव में रॉबर्ट द्वारा खरीदी गई 3.53 एकड़ जमीन के लिए दिए गए चेक की वैधता को लेकर राज्य सरकार से सवाल किये हैं| खेमका ने पूछा है कि उस जमीन की खरीद के लिए रॉबर्ट की तरफ से दिया गया 7.5

Robert Wadhera V/S Ashok Khemka

करोड़ का चेक क्या डमी था?
रॉबर्ट ने यह जमीन साल 2008 में खरीदी थी। खेमका ने सवाल उठाया है कि स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी की तरफ से जमीन बेचने वाले को साढ़े 7 करोड़ की पेमेंट कब हुई थी, जैसा की रजिस्टर्ड सेल डीड में पेमेंट किए जाने की बात 12 फरवरी 2008 बताई गई है।
इसी जमीन को बाद में रीयल एस्टेट की नामचीन कंपनी डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया गया था। हालांकि पिछले साल अक्टूबर में लैंड कंसोलिडेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर जनरल पद पर रहते हुए राबर्ट और डीएलएफ के बीच हुई डील पर असिस्टेंट कंसोलिडेशन ऑफिसर की ओर से किए गए इंतकाल को अधूरा मानते हुए खारिज कर दिया गया था।खेमका ने मामले की जांच के लिए बैठी कमिटी के तथ्यों पर लिखे अपने ताजा पत्र में सरकार से कई और सवाल पूछे हैं। खेमका ने राबर्ट की कंपनी को जमीन का कॉमर्शियल लाइसेंस दिए जाने के लिए हरियाणा टाऊन ऐंड कंट्री प्लैनिंग डिपार्टमेंट को दी गई ऐप्लिकेशन की कॉपी और डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड के बीच सेल एग्रीमेंट संबंधी डिपार्टमेंट को दिए गए पेपर्स की कॉपी भी मांगी है।
गौरतलब है कि ज़मीन घोटाले की जांच का आदेश देने वाले आईएएस अशोक खेमका का अक्टूबर 2012 में तबादला कर दिया गया था. वे उस समय आईजी रजिस्ट्रेशन के पद पर कार्यरत थे. खेमका ने कहा था कि उनका तबादला बिल्डरों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के कारण किया गया है. इसको लेकर उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था.इसके अलावा खेमका के राबर्ट की जमीन की डील सम्बन्धी निर्णय को भी कटघरे में खड़ा करने के प्रयास किये गए |
आरोपों के अनुसार रॉबर्ट और उनकी मां ने पांच कंपनियों का गठन 1 नवंबर 2007 के बाद किया. उन कंपनियों के बही-खातों और ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि इन कंपनियों की कुल शेयर पूंजी मात्र 50 लाख रुपए थी. इन कंपनियों के पास आय का एकमात्र वैध स्रोत था डीएलएफ द्वारा मिला ब्याज मुक्त कर्ज. इसके अलावा इन कंपनियों की आय का कोई वैध स्रोत नहीं है.फिर भी 2007 से 2010 के दौरान इन कंपनियों ने 300 करोड़ से अधिक की संपत्ति अर्जित की जिसकी कीमत आज 500 करोड़ से ऊपर पहुंच चुकी है.

Comments

  1. Adilbekova says:

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