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सरकारी नीतियों के कारण जेट एयरवेज़ का शुद्ध घाटा ८ गुना अधिक दर्ज हुआ

भारत की अग्रणी निजी एयर लाइन्स जेट एयरवेज ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही [जुलाई-सितंबर] में शुद्ध घाटा आठ गुना 891 करोड़ रुपये दर्ज़ कराया है
नरेश गोयल के नेतृत्व वाली जेट एयरवेज को हुए इस भारी-भरकम घाटे के लिएसी ई ओ गैरे टोमे[GaryToomey ने अनेक कारण बताये हैं |
[१] अमेरिकन डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का अवमूल्यन
[२] बाजारप्रतिकूल
[३] जेट एयरवेज के कुछ विमानों का हैंगर से बाहर नही आना
, [४]घरेलू एयरपोर्टों पर विभिन्न शुल्कों में बढोत्तरी
[५]सुस्त सीजन
[६] जेट एयरवेज ने अप्रैल माह में अपनी 24 % हिस्सेदारी यूं ऐ ई की एयरलाइन एतिहाद को बेचने की घोषणा की थी।२००० करोड़ रुपयों के विदेशी निवेश के इस सौदे को अभी तक मंजूरी नहीं मिली हैं|
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी भारत में तमाम एयरलाइंस महंगे ईंधन[ATF ]और ऊंची टैक्स दरों से काफी परेशानी महसूस कर रही हैं।