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फ़िल्मी गीतों के सुनहरे दौर के अंतिम ध्वज वाहक मन्ना डे[प्रबोध चन्द्र डे] भी नहीं रहे

हिंदी और बंगला भाषाओँ में पार्श्व गायन के लिए भारतियों के दिलों पर राज करके पद्मश्री +पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के एवार्ड्स जीतने वाले मन्ना डे[ प्रबोध चन्द्र डे ] का ९४ वर्ष की आयु में बैंगलोर के एक अस्पताल में निधन हो गया है|
छाती में संक्रमण के कारण उनका इलाज बंगलौर के नारायण हृदयालय अस्पताल में कराया जा रहा था |
मन्ना डे ने अपने जीवन में ३५०० से भी अधिक गीत गाये विशेष कर ५+६ और ७वे दशक में उनका सितारा बुलंदी पर रहा | मन्ना डे को भारतीय संगीत की जानी मानी आवाजों में से एक माना जाता है राज कपूर और देवानंद जैसे तत्कालीन सुपर स्टार ने भी इनकी आवाज को अपनाया हास्य अभिनेता महमूद ने भी मन्ना दे की आवाज से ही अनेकों यादगार गाने दिए | पचास और साठ के दशक में हिंदी फ़िल्मों में राग पर आधारित गाने के लिए संगीतकारों की पहली पसंद मन्ना डे ही होते थे|
. २००७ में इन्हें प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया इससे पूर्व कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योग दान के लिए २००५ में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है| ५० साल मुंबई में बिताने के पश्चात बंगलोर के कल्यानपुर में निवास कर रहे थे|फ़िल्मी जगत में मो. रफ़ी+मुकेश +किशोर के साथ ही मन्ना डे का नाम आदर से लिया जाता है इन्हें फ़िल्मी गानों के सुनहरे दौर का विशेष प्रतिनिधित्व प्राप्त था | मन्ना डे की मृत्यु के साथ ये सुनहरा दौर समाप्त हो गया शेष तीनो कलाकारों का पहले ही निधन हो चुका है |