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हे राम ! अपनी प्रीती दो. आपकी प्रीती सच्ची है अतुल्य है.

एक जिज्ञासु की परमात्मा से प्रार्थना
हे राम मुझे दीजिये अपनी लगन अपार
अपना निश्चय अटल दे अपना अतुल्य प्यार
भावार्थ: एक जिज्ञासु परम पिता परमात्मा से प्रार्थना करते हुए कहता है, हे परमेश्वर
मुझे अपने चरणों की भक्ति एवं लगन बक्शो, मुझे अपने नाम की प्रीती बक्शो.
मेरा आपकी भक्ति करने तथा आपके पावन नाम को जपने का अटल निश्चय हो ,
हे राम ! मुझे अपनी प्रीती दो. आपकी प्रीती सच्ची है तथा जिसकी तुलना किसी से
नहीं की जा सकती जो अतुल्य है.
स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश
श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ