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तेल आयात पर भारी भरकम खर्च के बोझ तले बेचारी भारतीय अर्थव्यवस्था पिसती जा रही है ?


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक चीयर लीडर कांग्रेसी

ओये झाल्लेया देखा हसाड़े सोणे ते मन मोहणे प्रधान मंत्री दा कमाल |ओये सोणे मंमोहने ने महंगी का राज घोलते हुए बता दिया है कि पेट्रो पदार्थों के आयात पर जो भारी भरकम खर्च हो रहा है उसी के बोझ तले बेचारी भारतीय अर्थव्यवस्था पिसती जा रही है|इसी कारण सारे प्रयास फ़ैल हो जाते हैं| नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020 के लांच समारोह मेंउन्होंने यह कहकर हैरान कर दिया है कि देश में पेट्रोलियम उत्पाद की कुल जरूरत के 80 फीसदी का आयात किया जाता है.’इसीलिए तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें देश की . महंगाई में बड़ी भूमिका निभाती है

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजाण जी आप जी की पार्टी को शासन में सिक्सटी ईयर्स का एक्सपीरियंस है|इस पर भी अभी तक पेट्रोलियम उत्पादों के इम्पोर्ट को घटाने के बजाये लगातार पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता बढाने वाले नियम ही बनाये जा रहे हैं|न्यूक्लियर,या सोलर की तो छोड़ो आप जी ने तो वाहनों के लिए भी देश को वाहनों के कबाड़ का पेरेडाईज़ बना डाला है|इस मौके पर एक प्रेरणा दायक सत्य दोहराना जरूरी है|विश्व युद्ध के बाद आज अनेकों देशों में चीनी का उत्पादन प्रभावित हुआ चीनी बाहर से मंगवानी महंगी होने लगी तब लोगों ने चीनी खानी छोड़ दी थी आज वोही देश विकसित बने हुए हैं |क्या कहा अपने देश में ऐसा नहीं होता तो भईया जी लाल बहादुर शास्त्री जी ने पकिस्तान के साथ युद्ध के समय अनाज की कमी के मध्य्नज़र हफ्ते में एक दिन खाना छोड़ने का आह्वाहन किया था तो पूरा देश उनके साथ खडा नज़र आया था|लेकिन दुर्भाग्य से आज कल के अर्थ पंडित केवल कागजों में ही गुणा भाग में व्यस्त हैं|अर्थार्त मन में दूने मन में तीने और मन ही होवें आधे |

Comments

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