अंडा सेवन को बढ़ावा देने के लिए देश भर में नवरात्रों में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा
अंतराष्ट्रीय अंडा योग ने विश्व अण्डा दिवस 11 अक्टूबर, 2013 को मनाये जाने की घोषणा की है । अण्डों के सेवन से होने वाले पोषण लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस आयोग ने अक्टूबर के दूसरे शुक्रवार को विश्व अण्डा दिवस के तौर पर घोषित किया है।
अण्डों के उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है,लेकिन सेवन के छेत्र में बेहद पिछड़ा है | राष्ट्रीय पोषण संस्थान की प्रतिवर्ष 180 अण्डों की सिफारिश की तुलना में भारत में इसकी उपलब्धता प्रति व्यक्ति करीब 55 अण्डे प्रतिवर्ष ही है।
अण्डों के सेवन के मामले में यह एक बेहद पोषक खाद्य सामग्री है। इसमें प्रतिदिन 12 % प्रोटीन के साथ-साथ अन्य आवश्यक पोषक तत्वों जैसे विटामीन+अमीनो एसिड + खनिज बहुतायत मात्रा में होते हैं। अण्डे के अन्दर ल्यूटेन और जियाजेनथिन नामक दो पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिसके कारण अण्डे को काफी स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि इन दोनों तत्वों के उपभोग से आयु से संबन्धित रोगों जिसमें खासतौर पर 65 वर्ष की उम्र से ज्यादा के लोगों में आंखों की रोशनी में कमी आने जैसे रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है जिसके अलावा अण्डे के सेवन से मोतियाबिन्द जैसी बीमारियों में भी कमी आती है।
खाद्य और कृषि संगठन के द्वारा हाल ही में प्रकाशित आकंड़ों के अनुसार दुनिया भर में एक अरब लोग कुपोषण के शिकार हैं और यह संख्या 2050 तक 9.1 अरब तक पहुंच सकती हैं। दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह मानना है कि कुपोषण की समस्या से अण्डों में मौजूद उच्च स्तर के प्रोटीन के माध्यम से निपटा जा सकता है।
कृषि मंत्रालय का पशुधन, डेयरी और मत्स्य विभाग अण्डों की पोषक क्षमता के बारे में जानकारी और ज्ञान फैलाने के लिए राष्ट्रीय अण्डा समन्वय समिति और भारतीय पोल्ट्री संघों जैसे हितधारकों के साथ मिलकर विश्व अण्डा दिवस का आयोजन कर रहा है। ये दिवस देश के हर क्षेत्र में मनाया जा रहा है। उत्तर में नई दिल्ली, पश्चिम में पुणे, पूर्व में रायपुर और दक्षिण में बैंगलौर में इसका आयोजन किया जा रहा है।
लेकिन यह सप्ताह भारत में पवित्र नवरात्रों को समर्पित होता है और तामसिक[नान वेज]खाने वाले भी सात्विक [ वेज]भोजन अपनाते हैं | बेशक आज कल अंडे पोषक क्षमता वाली सब्जी के रूप में प्रचारित किया जाने लगा है मगर अभी भी अधिकतर लोग इसे तामसिक भोजन के रूप में ही देखते हैं | नवरात्रों को मनाने वाले तो लहसून +प्याज तक का सेवन नहीं करते ऐसे में नवरात्र के पूर्णता की प्रतीक्षा किये बगैर ही सातवें [काल रात्रि]नवरात्र में अंडे का प्रचार कहीं न कहीं उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है इसीलिए कई लोगों का मानना है कि विकसित देशों की अँधा धुंध नक़ल करने के स्थान पर अपने देश कि भावनाओं को ध्यान में रख कर ही ऐसे आयोजन किये जाने चाहिए