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गलती पर शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता = दिल्ली हाई कोर्ट

शिक्षा के अधिकार को दो साल पूरे होने पर इसे और ज्यादा कारगर बनाने के लिए अब दिल्ली हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि वास्तविक गलती के लिए छात्रों को उसके शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। ऐसे मामलों में छात्रों को दाखिला रद्द किए जाने जैसा दंड भी नहीं दिया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा है कि संस्थान में प्रवेश के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने में होने वाली वास्तविक गलती को नजरअंदाज किया जा सकता है। ऐसी गलती को खासकर तब नजरअंदाज किया जा सकता है, जब[१] छात्र वैसी जगह से संबंध रखता हो जहां कंप्यूटर और इंटरनेट की उपयुक्त व्यवस्था नहीं है। [२]प्रवेश परीक्षा में सीट सुनिश्चित कर लेने पर तो इसे और अधिक नजरअंदाज किया जाना चाहिए। जस्टिस जीएस सिस्तानी ने रोहित यादव नाम के छात्र की याचिका पर यह व्यवस्था दी है। उसने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ऑल इंडिया इंजीनियरिंग इंट्रेंस एग्जाम (एआइईईई) के लिए ऑनलाइन आवेदन करते समय अपनी जन्मतिथि गलत अंकित कर दी थी। देश में शिक्षा का अधिकार [आरटीई] कानून को लागू हुए रविवार को दो वर्ष पूरे हो गए।इस कानून के तहत छह से 14 वर्ष उम्र वर्ग के बच्चों को अनिवार्य व मुफ्त शिक्षा हासिल करने का अधिकार है।
शिक्षा का अधिकार कानून के प्रावधानों के तहत सभी बच्चों को मुफ्त पाठ्य-पुस्तकें, स्कूल की वर्दी और बस्ते भी मुहैया कराए जाते हैं।

Comments

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