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शिक्षा की रणनीति में बदलाव की जरुरत है = डा.मनमोहन सिंह

शिक्षक दिवस पर देश के प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने छात्रों के अध्ययन के निम्न स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए शिक्षा से होने वाले फायदों का निरंतर आंकलन को जरुरी बताया है|
पी एम् ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर कहा है कि कक्षा में उपस्थिति पर जोर देने की बजाय शिक्षा से छात्रों को होने वाले फायदे का निरंतर आकलन होना चाहिए। शायद आज के मौजूदा जीवन शैली के लिए यह बेहद जरुरी भी है|
प्रधानमंत्री ने कहा कि हालांकि छात्रों के अध्ययन का निम्न स्तर अभी भी बड़ी चिंता की बात है। हमें आगे अपनी रणनीति में साफ तौर पर बदलाव की जरूरत है। हमें नामांकन और सुलभता की जगह स्कूलों और क्लासरूमों में क्या चल रहा है, पर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि छात्रों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक पारदर्शी और विश्वसनीय प्रणाली तैयार करने की जरूरत है। सिंह ने कहा कि शिक्षा से हमारे बच्चों को हो रहे फायदे का निरंतर आकलन करने की जरूरत है। इस प्रक्रिया में समुदाय और अभिभावकों की हिस्सेदारी जरूरी है ताकि वे शैक्षिक गुणवत्ता से संतुष्ट हो सके।
प्रधानमंत्री स्वीकार किया कि सामाजिक और आर्थिक असमानता की वजह से शिक्षा तक पहुंच में महत्वपूर्ण कमी आई है। उन्होंने कहा कि सरकार 2004-05 से शिक्षा के क्षेत्र में खर्च को लगातार बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि 2004-05 में शिक्षा में खर्च जहां जीडीपी का 3.3 फीसद था वहीं 2011-12 में यह बढ़कर चार गुना हो गया। सिंह ने कहा कि नीति निर्माण, गवर्नेंस और प्रबंधन में शिक्षक अभिन्न अंग हैं।
अगर इस कहे गए का १३% भी एक साल में प्राप्त [एचीव] कर लिया जाता है तो डाक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन की आत्मा को शांति मिल ही जायेगी|