Ad

दुनिया में बेशक दिन और रात आज बराबर हुए हैं लेकिन मेरठ में यह प्रयोग १५ मार्च को ही हो गया था

आज सूरज भूमध्य रेखा पर है आज सूरज ठीक पूरब से निकलता है और पश्चिम में अस्त होता है इस अवसर पर पूरी दुनिया में सूरज की परछाई की मदद से पृथ्वी की गोलाई को नापा जा सकता है| मेरठ +गाजियाबाद +लुधियाना +नागपुर +दिल्ली + झारखण्ड (रांची) में ये प्रयोग किये गए
2200 वर्ष पहले इजिप्ट के वैज्ञानिक इरैटोस्थनिज़ ने पृथ्वी की गोलाई का यह फार्मूला निकाला था
आज जहाँ दुनिया में फ़्रांस +मलेशिए +ताईवान और भारत जैसे देशो में यह प्रयोग किया जा रहा है वही भारत में मेरठ ,ग़ज़िआबाद ,लुधिआना ,नागपुर ,डेल्ही और झारखण्ड (रांची) में ये प्रयोग किया गया| ,
इस प्रयोग के दवारा पृथ्वी के दो देशो से सबसे छोटी परछाई का कोण निकाला जाता है और फिर वेडोकोन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सारा डेटा इकट्ठा कर गोलाई को नापा जाता है |
राष्ट्रीय समन्वयक दीपक शर्मा के अनुसार मेरठ में मतीन अंसारी ,मनोज कुमार,सीमा सिंह ,ग़ज़िआबाद से रोहिणी ,लुधियाना से अंजू सोनी,दिल्ली से अनुप्रिया ,नागपुर से नीतू बिस्ट और रांची से डॉ, नगर की देखरेख में यह प्रयोग किया गया.
जबकि फ़्रांस में एरिक,ताइवान में सिंडिआ ,मलेशिए में गोटन व् सुबोध दुबे ने समन्वयन किया
कहा जाता है और भले ही पूरी दुनिआ आज दिन रात को बराबर मान रही हो परन्तु मेरठ में ये दिन रात 15 -16 मार्च को बराबर हो गये जब सूरज निकला भी ६ बजकर २८ मिनट पर था और छिपा भी इसी वक्त था पूरा कार्यक्रम प्रगति विज्ञानं संस्था द्वारा आयोजित किया गया|