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आज दिन और रात बराबर होंगे:बच्चे नापेंगे पृथ्वी की परिधि

[मेरठ,यूपी] आज दिन और रात बराबर होंगे:बच्चे नापेंगे पृथ्वी की परिधि
जी हाँ प्रत्येक वर्ष की २१ मार्च को यह भूगौलिक चमत्कार होता है
प्रगिति विज्ञान संस्थान के सौजन्य से मेपलेस स्कूल में पृथ्वी की परिधी नापी जाएगी
मेपलेस स्कूल में 450 बाल वैज्ञानिकों के 90 समूहों में सुरज की परछाई की मदद से पृथ्वी की परिधी नापने का प्रयोग किया जायेगा।
मेपलेस एकेडेमी की प्रधानाचार्या डा0 ममता दत शर्मा के अनुसार
यह प्रयोग 11 से 1 बजे के बीच किया जायेगा।
शिक्षाविद दीपक शर्मा के अनुसार यह प्रयोग दुनिया के कई देशो में एक साथ किया जायेगा।
फाइल फोटो

सूरज के भूमध्य रेखा पर आने से आज दिन और रात बराबर देख कर बाल वैज्ञानिकों ने जश्न मनाया

[मेरठ]सूरज के भूमध्य रेखा पर आने से आज दिन और रात बराबर देख कर बाल वैज्ञानिकों ने जश्न मनाया
आज पृथ्वी पर जहां दिन रात बराबर है वहीँ सूरज भूमध्य रेखा पर है |प्रगति विज्ञानं संस्थान ने बाल वैज्ञानिकों को इससे अवगत कराया |
इस प्राकृतिक चमत्कार को प्रगति विज्ञानं संस्थान में एक उत्त्सव के रूप में मनाया गया |जिला विज्ञानं क्लब के प्रभारी दीपक शर्मा ने दिन रात बनने की प्रक्रिया को समझया। इस अवसर पर नीरू+अर्चना+नीली+गुंजन+अनिल +सत्यपाल आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन रजनी अग्रवाल ने किया।
इसके अतिरिक्त दिल्ली रोड स्थित मानसरोवर में नन्हें मुन्ने वैज्ञानिकों ने घर की बेकार बोतलों से रॉकेट बनाये और फिर उन्हें रोहित कुमार के निर्देशन में लांच किया।सूरज की परछाई की सहायता से पृथ्वी की परिधि नापी गयी।
पंखुरी काम्या+साँची+पियूष+अक्षत+रुद्राक्ष+संयम+कृष्णा+देबू+गौरव+विशाल+जय+अनुष्का+गणिका+हर्ष आदि ने अनेको प्रयोग किये

दुनिया में बेशक दिन और रात आज बराबर हुए हैं लेकिन मेरठ में यह प्रयोग १५ मार्च को ही हो गया था

आज सूरज भूमध्य रेखा पर है आज सूरज ठीक पूरब से निकलता है और पश्चिम में अस्त होता है इस अवसर पर पूरी दुनिया में सूरज की परछाई की मदद से पृथ्वी की गोलाई को नापा जा सकता है| मेरठ +गाजियाबाद +लुधियाना +नागपुर +दिल्ली + झारखण्ड (रांची) में ये प्रयोग किये गए
2200 वर्ष पहले इजिप्ट के वैज्ञानिक इरैटोस्थनिज़ ने पृथ्वी की गोलाई का यह फार्मूला निकाला था
आज जहाँ दुनिया में फ़्रांस +मलेशिए +ताईवान और भारत जैसे देशो में यह प्रयोग किया जा रहा है वही भारत में मेरठ ,ग़ज़िआबाद ,लुधिआना ,नागपुर ,डेल्ही और झारखण्ड (रांची) में ये प्रयोग किया गया| ,
इस प्रयोग के दवारा पृथ्वी के दो देशो से सबसे छोटी परछाई का कोण निकाला जाता है और फिर वेडोकोन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सारा डेटा इकट्ठा कर गोलाई को नापा जाता है |
राष्ट्रीय समन्वयक दीपक शर्मा के अनुसार मेरठ में मतीन अंसारी ,मनोज कुमार,सीमा सिंह ,ग़ज़िआबाद से रोहिणी ,लुधियाना से अंजू सोनी,दिल्ली से अनुप्रिया ,नागपुर से नीतू बिस्ट और रांची से डॉ, नगर की देखरेख में यह प्रयोग किया गया.
जबकि फ़्रांस में एरिक,ताइवान में सिंडिआ ,मलेशिए में गोटन व् सुबोध दुबे ने समन्वयन किया
कहा जाता है और भले ही पूरी दुनिआ आज दिन रात को बराबर मान रही हो परन्तु मेरठ में ये दिन रात 15 -16 मार्च को बराबर हो गये जब सूरज निकला भी ६ बजकर २८ मिनट पर था और छिपा भी इसी वक्त था पूरा कार्यक्रम प्रगति विज्ञानं संस्था द्वारा आयोजित किया गया|