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पतनाला तो वहीं गिरेगा जहां उसे गिरना है|


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

अन्ना +बाबा समर्थक

ओये झल्लेया ये केंद्र की सरकार को क्या हो गया है ?
पहले १४ अगस्त को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्र के नाम सन्देश में यह स्वीकार किया है कि जन आंदोलनो से अराजकता फैलती है इसीलिए लोक तांत्रिक संस्थाओं पर लगातार हमले उचित नहीं हैं | संसद की मर्यादा की सर्वोच्चता को बनाये रखा जाना चाहिए| आज १५ अगस्त के भाषण में प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह ने भी लाल किले की प्राचीर से [१] महंगाई के लिए मौसम पर +[२]लोक पाल बिल पास नहीं करने के लिए राज्यसभा में विपक्ष के सर पर ही ठीकरा फोड़ दिया है|[३] गरीबी दूर करने के लिए ऍफ़ डी आई का रौना ही रोया है|हर घर को बिजली देन का वायदा करते समय बिजली के आगमन का स्रोत का सीक्रेट खोला
तक नहीं |बस हर हाथ को काम हर पेट को रोटी हर खेत को पानी जैसे पुराने कांग्रेसी नारे ही दिए हैं | एक बार भी संसद की मर्यादा बढाने के लिए जन आन्दोलनकारियों +विपक्ष को सहयोग का आह्वाहन तक नहीं किया हैं |इतनी गालियाँ खा कर भी ये लोग बेमजा नहीं हो रहे |लोक तंत्र को लगी बीमारियाँ तो एक एक करके सारी गिनवा रहे हैं मगर ना तो उन बीमारियों से बचाव के लिए खुद ही कोई परहेज कर रहे हैं और न कोई दवा दारू ही कर रहे हैं | ऐसे चलता है लोक तंत्र कभी ???
झल्ला
बुजुर्गो दरअसल बात ये है की हसाड़े सोणे ते मन मोहने पी एम् ने लाल किले से नौवीं बार तिरंगा फहरा कर जवाहर लाल नेहरू+इंदिरा गांधी के बाद तीसरे नंबर पर नाम लिखा लिया है|इसी लिए अब तो यही कहना है कि ले माये साम कुंजियाँ हम तो चले परदेश |अभी भी नहीं समझे ओ बुजुर्गो आप जी कि सारी गल्लां ठीक है सर मत्थे हैं मगर पतनाला तो वहीं गिरेगा जहां उसे गिरना है|