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किसानो के कई हितैषी हैं फिर भी गन्ना जल रहा है किसान आत्म हत्या कर रहा है क्यूँ ?कयूं? क्यूँ?

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

पीड़ित गन्ना किसान

ओये झल्लेया ये मुल्क में क्या अंधेर मचा हुआ है ओये एक तरफ सरकार कह रही है कि खाने वाले ज्यादा हो गए इसीलिए महंगाई बढ़ रही है लेकिन इसके साथ ही किसानो को बर्बाद किया जा रहा है |हमने गेंहूं बोना है लेकिन अभी तक खून पसीने से उगाया हुआ गन्ने को उठाया नहीं जा रहा| गन्ने की कीमत नहीं दिलाई जा रही |शुगर मिल मालिकों से हसाडा पैसा तो दिलाया नहीं जा रहा उलटे हसाडे से वसूली कराई जा रही हैं|समाजवादी सरकार बड़े बड़े वायदे कर रही हैं |भाजपा के अध्यक्ष भाषण दे रहे हैं रालोद चक्का जाम कर रहा है |केंद्र सरकार दूरबीन में टकटकी लगाये हुए हैं |किसान युनियने हैं|सरदार वी एन सिंह+टिकैत बाबा के दो दो पुत्र हैं इसके बावजूद भी प.उ प्र.में हमें गन्ना जलाना पड़ रहा हैहसाडे किसान भाइय़ों को आत्म हत्या करनी पड़ रही हैं |

झल्ला

अरे मेरे भोले राजा एक लोक कथा सुनो
|लोगों का भला करने वाला एक सच्चा संत सातवीं मंजिल से नीचे गिरा |जमीन तक पहुँचते पहंचते उसने अनेकों देवी देवताओं से मदद की गुहार लगाईंलेकिन उसके बावजूद भी कोई मदद को नहीं आया और जमीन से टकरा कर उसके शरीर के चीथड़े उड़ गए |बाद में पता चला कि संत ने अनेकों देवताओं से गुहार लगाई इसीलिए देवता भी पीछे हटते चले गए |अरे बाबा जिसका कोई नहीं होता उसका तो खुदा होता है लेकिन जिसके कई होते हैं उसका एक भी नहीं होतायही आपजी के केस में हो रहा है किसी एक को पकड़ो सब ठीक हो जायेगा