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मोदीभापे !”गम में रहे जब तक कि पीड़ित दम में रहे

मोदीभापे
दिलकेफफोले !
खुदाय सुखन तकी #मीर तकी मीर की शायरी के सामने तो ये #झल्ला जर्रा भी नही
इसीलिए उनके जन्म महीने में उनकी रूह से इज़ाज़त की दरख्वास्त के साथ उनकी एक ग़ज़ल की दो लाइनों की ऐसी की तैसी करने की जुर्रत कर रहा हूँ “ग़म रहा जब तक कि दम में दम रहा
दिल के जाने का निहायत ग़म रहा ”
“गम में रहे जब तक कि पीड़ित दम में रहे
बुजुर्गों के यूं जाने का अभी तक गम रहा “