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रामदेव श्राप+केजरीवाल हाय या नीति अपराध कारणे कांग्रेस को उपचुनावों में झटके

इसे बाबा राम देव का श्राप कहा जाय या अरविन्द केजरीवाल के दुखी मन की हाय या फिर कांग्रेस की आर्थिक नीतिओं के अपराध का दंड कि
लोकसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस को करारा झटका लगा है। उत्तराखंड और वेस्ट बंगाल में क्रमश विजय बहुगुणा और प्रणव मुख़र्जी द्वारा सीटें खाली की गई थी कांग्रेस की सुरक्षित सीटों पर बहुगुणा और मुख़र्जी के पुत्रों को चुनाव में उतारा गया| उत्तराखंड में टिहरी लोकसभा सीट के लिए हुए चुनाव में जहां मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे को जनता ने नकार दिया है, वहीं पश्चिम बंगाल की जांगीपुर सीट से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी हारते हारते बचे|
लोकसभा उपचुनाव में अभिजीत ने जहां अपने निकटतम सी पी एम् उम्मीदवार को महज 2500 वोट से हराया तो दूसरी तरफ उत्तराखंड के टिहरी में मुख्यमंत्री बहुगुणा की फजीहत हो गई। टिहरी की जनता ने बहुगुणा के बेटे साकेत को 25 हजार से भी ज्यादा वोटों से हरा दिया और मुख्य मंत्री के पद पर विजय बहुगुणा की ताजपोशी पर फिर एक बार सवालिया निशान लगा दिया है|
गौरतलब है कि सूबे के विधानसभा चुनाव के दौरान विजय बहुगुणा को भी जनता ने हरा दिया था लेकिन बाद में मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके लिए एक सीट खाली कराई गई। इसके बाद उन्होंने चुनाव जीतकर विधानसभा में अपनी जगह बनाई।

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दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की जांगीपुर सीट प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बन जाने के बाद खाली हुई। इस सीट पर उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया। अभिजीत सीपीएम के मुजफ्फर हुसैन से महज 2500 वोटों से जीत पाए। अभिजीत को ये जीत तब नसीब हुई जब प्रदेश की सत्ताधारी और कुछ समय पहले तक कांग्रेस की सहयोगी टीएमसी ने उनके लिए मैदान खाली छोड़ दिया था। इस सीट पर टीएमसी के हट जाने से कांग्रेस और सीपीएम में सीधी टक्कर थी लेकिन अंत में विजय कांग्रेस की ही हुई।
कांग्रेस ने इन चुनावों में भ्रष्टाचार +वढेरा विवाद या महंगाई को कारण मानने से इनकार कर दिया है| मनीष तिवारी ने तो इस धरना को ही मज़ाक में उड़ा दिया है|एक कांग्रेसी नेता ने यह स्वीकार किया है कि कांग्रेस कि उदार वादी नीतिओं के विषय में आम जनता तक मैसेज नहीं पहुँच पा रहा है| पराजित साकेत ने कहा है कि उनकी हार के पीछे वढेरा+महंगी+भ्रष्टाचार मुद्दा नहीं था | अब सवाल यह उठता है कि क्या आपसी गुटबाजी के चलते उनकी हार हुई |बताते चलें कि प्रदेश में हरीश रावत और विजय बहुगुणा में सब कुछ ठीक नहीं है|
इन दोनों सुरक्षित सीटों पर मिले झटके से यह तो स्पष्ट है कि कांग्रेस की ५०% लोक प्रियता घटी है| कांग्रेस को वेस्ट बंगाल में अभी भी लेफ्टिस्ट के मुकाबिले ममता बेनर्जी की टी एम् सी की बैसाखी चाहिए और उत्तराखंड में आपसी गुट बाज़ी को दूर करना ही होगा|

Comments

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