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केंद्र सरकार ने लोक सभा में बताया,महंगाई+काला बाजारी पर काबू पाने के लिए हाथ पावँ मारे जा रहे है

महंगाई और काला बाजारी पर काबू पाने में किये जा रहे केंद्र सरकार के उपायों के बेशक अभी तक संतोषजनक परिणाम आने शेष हैं इस पर भी मोदी सरकार काम करती हुई दिखनी चाह रही है इसी दिशा में केंद्र सरकार उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय+ खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा आवश्‍यक वस्‍तुओं की मूल्‍य वृद्धि रोकने के लिए किये गए |उपभोक्‍ता मामले खाद एवं जनवितरण राज्‍य मंत्री राव साहब पाटिल दानवे ने लोकसभा में एक लिखित उत्‍तर में निम्‍नलि‍खित उपायों का ब्यौरा जारी किया है:
[अ][१]गेहूं, प्‍याज, दालों के लिए आयात शुल्‍क घटाकर शून्‍य किया गया।
[२]खाद्य तेल (नारियल का तेल, वनोपज आधारित तेल 1500 डॉलर प्रति टन के न्‍यूनतम निर्यात मूल्‍य वाले 5 किलो के मिश्रित उपभोक्‍ता पैक को छोड़कर ) तथा दालों (काबूली चना, ऑर्गेनिक दालों एवं लेंटिल- 10 हजार टन प्रतिवर्ष अधिकतम को छोड़कर ) के निर्यात पर प्रतिबंध।
[३]दालों, खाद्य तेलों तथा खाद्य तिलहन जैसी च‍यनित आवश्‍यक वस्तुओं के मामले में समय-समय पर 30-9-2014 तक की अवधि के लिए स्‍टॉक रखने की सीमाएं लागू की हैं।
[४]चावल, उड़द और अरहर में भावी कारोबार को निलंबित रखना।
[5]तिलहन और खाद्य तेलों के उत्‍पादन बढ़ाने के लिए 12वीं पंचवषर्यी योजना के दौरान ऑयलसीड और पाम ऑयल पर राष्‍ट्रीय मिश्‍न लागू किया जा रहा है। इससे तिलहनों के उत्‍पादन और उसकी खपत के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी।
[आ]श्री दानवे ने लोकसभा में राज्‍य सरकारों को आवश्‍यक वस्‍तुओं की जमाखोरी रोकने के निर्देश के विषय में बताया कि सरकार आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम 1955 तथा कालाबाजारी की रोकथाम एवं आवश्‍यक वस्‍तुओं की आपूर्ति अधिनियम 1980 के अंतर्गत सट्टेबाजी के लिए जमाखोरी रोकने हेतु राज्‍य सरकारों को नियमित रूप से एडवाइजरी जारी करती रही है। वर्ष 2014 में 2-5-2014 तथा 4-6-2014 को ये एडवाइजरियां जारी की गई थी।
इस मामले में अपनी असमर्थता जाहिर करते हुए उन्‍होंने बताया कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले राज्‍यों के विरुद्ध कार्रवाई करने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन सरकार को अधिकार प्रदान करने के प्रावधान आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम 1955 की धारा तीन के अंतर्गत पहले से ही मौजूद हैं।
[ई]ऑन लाइन कारोबारी लेन-देन
मंत्री ने बताया कि उपभोक्‍ताओं द्वारा ऑन लाइन अन्‍यथा किए जाने वाले सभी व्‍यावसायिक लेन-देन उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम,1986 के अंतर्गत आते हैं और शिकायतकर्ता अपनी शिकायतों के निवारण के लिए विभिन्न उपभोक्‍ता निकायों अर्थात जिला उपभोक्‍ता फोरम, राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग तथा राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण आयोग के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। तथापि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम,1986 के अंतर्गत ऑन लाइन कारोबार के संबंध में शिकायतों के निवारण के लिए अलग से कोई तंत्र नहीं है।