[पणजी/दिल्ली ]मनोज [भारत ]कुमार ने 44वें आईएफएफआई में भारतीय पेनोरमा खंड का उद्घाटन और मनीष तिवारी ने ‘भारतीय सिनेमा का सफरनामा’ पुस्तक का विमोचन किया |
वयोवृद्ध फिल्म अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार ने सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी, सूचना प्रसारण मंत्रालय में सचिव बिमल जुल्का और प्रेम चोपड़ा, सुभाष घई और मनोज बाजपेयी जैसी फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी में आज 44वें भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह(आईएफएफआई) के भारतीय पेनोरमा खंड का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में मनोज कुमार ने बीते दिनों की फिल्मों और फिल्म-निर्माण को याद किया।
उन्होंने सुझाव दिया कि मंत्रालय को एक ऐसे पुरस्कार की स्थापना करनी चाहिए जिससे हॉलीवुड तक बराबरी करना चाहे।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी ने कहा किउनका मंत्रालय अगले वर्ष से राजनीतिक सिनेमा पर एक विशेष खंड शुरू करना चाहता है। श्री तिवारी ने कहा कि भारत में फिल्म उद्योग ने स्वयं को फायदेमंद स्थिति तक पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि आज सिर्फ भारतीय सिनेमा की यात्रा के ऐतिहासिक दस्तावेज की ही जरूरत नहीं है बल्कि ऐसी गाथा की जरूरत है जो राजस्व कमाने का अपने किस्म का ही मॉडल हो। भारतीय सिनेमा ने सिने प्रेमियों के दिलोदिमाग पर बहुत महत्वपूर्ण छाप छोड़ी है।
इस खंड में 26फीचर फिल्में और 16 गैर-फीचर फिल्में हैं। प्रख्यात फिल्म-निर्माता और संपादक बी लेनिन की अध्यक्षता वाली फीचर फिल्मों की ज्यूरी ने के आर मनोज की ‘कन्याका टॉकीज़’ को पेनोरमा की आरंभिक फिल्म के रूप में चुना हैं। अन्य फिल्मों में सिद्धार्थ शिवा की ‘101 चोडीएंगल’, अंजन दास की ‘अजाना बतास’ और नागराज मंजुल की ‘फैनड्राई’ शामिल हैं। गैर-फीचर फिल्मों की ज्यूरी की अध्यक्षता प्रतिष्ठित निर्देशक राजा सेन ने की। इस श्रेणी में प्रांतिक नारायण बासु की ‘मकारा’, बाबू कामब्राथ की ‘बिहाइंड द मिस्ट’ और राजा शबीर खान की ‘शेफर्डस ऑफ पैराडाइज’ शामिल हैं। इस खंड की आरंभिक फिल्म कमल स्वरूप की ‘रंगभूमि’ होगी।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने आज ‘भारतीय सिनेमा का सफरनामा’ पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर फिल्म निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा, अभिनेत्री दिव्या दत्ता और अभिनेता पवन मल्होत्रा भी मौजूद थे। यह पुस्तक भारतीय सिनेमा की यात्रा के बारे में भारतीय फिल्म- हस्तियों द्वारा लिखे गए लेखों का संकलन है। इस पुस्तक का प्रकाशन सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन प्रभाग द्वारा किया गया है।
इस पुस्तक में 9 साक्षात्कार और 22 लेख है।
महेश भट्ट ने सिनेमा की प्रवृत्तियों पर अपने विचार लिखे हैं, तो गुलजार ने राजनीतिक सिनेमा पर अपनी टिप्पणियों से योगदान दिया है। जाने-माने फिल्म निर्माता मुज्जफ़र अली, एन. चंद्रा, रमेश सिप्पी, दीप्ति नवल, ख़य्याम और रेमी डिसूजा़ ने इस पुस्तक के लिए अपने साक्षात्कार दिए हैं। डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी, ए. के. बीर, तिगमांशु धुलिया, प्रसून जोशी, कैलाश खेर और पंकज शुक्ल ने पौराणिक सिनेमा, सिनेमैटोग्राफी, नया सिनेमा, संगीत और गीत तथा सिनेमा के तकनीकी पहलू जैसे विभिन्न विषयों पर लेख लिखे हैं।
क्षेत्रीय सिनेमा भाग में 8 लेख और साक्षात्कार हैं। इस भाग के प्रारंभ में प्रसिद्ध असमिया फिल्म निर्माता जाह्नू बरूआ, पंजाबी फिल्म निर्माता गुरवीर ग्रेवाल, भोजपुरी अभिनेता दिनेशलाल यादव ‘निरहुवा’, बंगाली निर्देशक कौशिक गांगुली और प्रोफेसर अभिजीत कुंडु ने भी इस भाग के लिए अपना योगदान दिया है। प्रसिद्ध पत्रकार के. वी. कुरमानाथ, एन. विद्याशंकर और मनमोहन चड्डा ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में क्षेत्रीय सिनेमा के महत्वपूर्ण मुद्दों पर लेख लिखे हैं। पुस्तक के अंतिम भाग में जाने-माने पत्रकारों और लेखकों के महत्वपूर्ण विषयों पर लेख हैं। अजय ब्रह्मात्मज, प्रदीप सरदाना, मीनाक्षी शर्मा, अजय कुमार, अविनाश वाचस्पति, इकबाल रिज़वी, देब प्रकाश चौधरी और कई अन्य ने भारतीय सिनेमा की यात्रा से संबंधित विभिन्न विषयों पर लेख लिखे हैं। इन विषयों में- 21वीं शताब्दी का सिनेमा, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्म प्रचार, पोस्टर, स्टूडियो, महिला फिल्म निर्माता, थियेटर और सिनेमा तथा भारतीय सिनेमा में हास्य जैसे अनेक विषय शामिल हैं।
फ़ोटो कैप्शन
The Minister of State (Independent Charge) for Information & Broadcasting, Shri Manish Tewari, the veteran film actor cum film maker Shri Manoj Kumar, the film director and producer, Shri Subhash Ghai and the actor Manoj Bajpayee, during the 44th International Film Festival of India (IFFI-2013), in Panaji, Goa on November 21, 2013.