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प्रधान न्यायाधीश ने न्यायधीशों को अधिकार छेत्र में रहने की सलाह दी

न्यायपालिका पर अंकुश लगाये जाने के सरकार के प्रयासों को १५ अगस्त को चुनौती देने वाले प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया ने अब न्यायाधीशों को अपने अधिकार छेत्र में रहने की सलाह दे डाली है|
श्री कपाडिया ने शनिवार को कहा कि न्यायाधीशों को देश का शासन नहीं चलाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जजों को ं नीतियां नहीं बनानी चाहिए। सोने का अधिकार+ मौलिक अधिकार जैसे फैसले लागू किए जा सकते हैं या नहीं यह जांच लिया जाना चाहिए|
न्यायपालिका के कामकाज पर आश्चर्य जताते हुए उन्होंने कहा कि तब क्या होगा यदि कार्यपालिका न्यायपालिका के उन निर्देशों को मानने से इन्कार कर दे जो लागू करने लायक नहीं है। हमने कहा ‘जीवन का अधिकार’ तो इसमें पर्यावरण से रक्षा, मर्यादा के साथ रहने का अधिकार शामिल है। अब हमने इसमें सोने का अधिकार शामिल कर दिया है। हम कहां जा रहे हैं?
यह एक आलोचना नहीं है। क्या हम इसे लागू करने में सक्षम हैं? जब आप अधिकारों का विस्तार करते हैं तो न्यायाधीश को हर हाल में यह भी जांच करनी चाहिए उसे किस तरह लागू किया जाएगा? न्यायाधीशों को हर हाल में सवाल पूछना चाहिए कि क्या यह लागू करने के लायक है? आज यदि कोई न्यायाधीश कोई नीतिगत प्रस्ताव देता है तो सरकार कहती है कि हम उसे मानने नहीं जा रहे। आप अवमाननावाद का रास्ता चुनेंगे या उसे लागू करेंगे?
श्री कपाड़िया ‘संवैधानिक ढांचे का विधिशास्त्र’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। हाल में योग गुरु बाबा रामदेव समर्थकों पर रामलीला मैदान पुलिस की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम ने अपने फैसले में सोने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को कड़े नियमों के जरिए आगे बढ़ने की जरूरत है। जब भी आप नियमन देते हैं तो उससे

शासन में हस्तक्षेप नही होना चाहिए। हम लोगों के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को सख्ती के साथ संवैधानिक व्यवस्था का पालन करना चाहिए। संविधान ने स्पष्ट रूप से न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के अधिकार को अलग कर रखा है। कपाड़िया ने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश का हवाला दिया जिसमें कर्नाटक के बेल्लारी में पर्यावरण के खतरे को देखते हुए खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की चिंता और सतत विकास के साथ संतुलन बनना चाहिए। बंद के साथ बेरोजगारी भी बढ़ी है और अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचेगा।