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इच्छा के बगैर किसी को सुधारा नहीं जा सकता

इच्छा के बगैर किसी को सुधारा नहीं जा सकता
अनकीन्हीं बातें करै, सोवत जागे जोय,
ताहि सिखाये जगायेबो, रहिमन उचित न होय.

संत कवि रहीम जी कहते हैं कि जो व्यक्ति अकथनीय वार्तालाप करे और जागा हुआ होने
पर भी सोता रहे, ऐसे मनुष्य को जाग्रत होने की शिक्षा देना उचित नहीं है.
भाव: भाव यह है कि जिस व्यक्क्ति ने अपने जीवन में कुछ न करने या न सुधरने
की कसम खाई हुई हो उसे कोई भी सुधार नहीं सकता. अर्थात सही मार्ग पर नहीं ला
सकता. ऐसे व्यक्ति को शिक्षा देना रेत में पानी कि कुछ बूँदें डालना अथवा चिकने घड़े
पर पानी डालने जैसा होता है.
संत कवि रहीम वाणी