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कुदरत एक है , सभी बन्दे भी उसी के हैं , इसीलिए कोई बुरा या अच्छा कैसे हो सकता है?

वर्तमान राजनीति में आ रहे रोजाना के आपत्तिजनक बयानों के परिपेक्ष्य में सेकड़ों साल पहले प्रतिष्ठित श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की वाणी आज प्रासंगिक और अनुकरणीय है
अवलि अलह नूर उपाइआ कुदरति के सभ बन्दे ।
एक नूर ते सभु जगु उपजिआ कउन भले को मंदे

rakesh khurana कुदरत एक है , सभी बन्दे भी उसी के हैं ,

भाव : परमात्मा सबसे पहले अकेला था । नूर पहले उत्पन्न हुआ । जितने भी बन्दे हैं , सभी उसी नूर से बने हैं यह सारा जग उसी नूर का बना है ,हम सब को एक ही परम पिता परमेश्वर ने बनाया है, तो यहाँ पर कौन अच्छा कौन बुरा हो सकता है ?हर एक जीव उस नूर के जरिये यहाँ आया है । जिसमे प्रभु का नूर बस्ता है , वह बुरा कैसे हो सकता है ? यही तो हमारे लिए समझने की बात है यही सच्ची समझ “विवेक ” है ।
वाणी : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुती राकेश खुराना

Comments

  1. Stacey says:

    Excellent read, I just passed this onto a friend who was doing some research on that. And he just bought me lunch as I found it for him smile Thus let me rephrase that: Thanks for lunch! “Any man would be forsworn to gain a kingdom.”