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कुरीतियों के दाग साफ़ करने वाला कोई धोबी अर्थार्त गुरु नहीं मिला

चुनर मोरी मैली भई अब का पे जाऊं धुलान ।
घाट घाट मैं खोजत हारी कोई धुबिया मिला न सुजान ।

भाव : रूह रुपी स्त्री की पुकार है कि मेरी जिस्म रुपी चुनर बड़ी मैली हो गई है अर्थात इस पर काम , क्रोध , मोह आदि के दाग लग गए हैं । जहाँ मुझे पता मिला कि कोई महात्मा है , मैं वहां गई , यह आशा लेकर कि वो मेरी चुनर पर लगे दागों को साफ़ कर देगा , पर मैंने देखा कि सब पेट का धंधा कर रहे हैं ,परमार्थ के नाम पर व्यापार कर रहे हैं । मुझे कोई ऐसा धोबी अर्थात गुरु (स्वामी जी महाराज धुबिया या धोबी यहां गुरु के लिए प्रयोग करते हैं ) न मिला जो इस चुनर को साफ़ कर सके ।

कुरीतियों के दाग साफ़ करने वाला कोई धोबी अर्थार्त गुरु नहीं मिला


प्रस्तुति राकेश खुराना