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प्रभु का प्रेम पाने के लिए मोह -माया को त्याग कर दिव्य प्रेम को चखना होगा

हम प्रभु को इसलिए नहीं देख पाते क्योंकि हमारे दिलों पर मैल चढ़ी हुई है । तुलसी साहिब हमें समझाते हैं :-
दिल का हुजरा साफ़ कर जानाँ के आने के लिए ।
ध्यान गैरों का हटा उसके बिठाने के लिए ।

Rakesh Khurana


अर्थात अगर हम चाहते हैं कि प्रभु हमारे अंतर में प्रकट हों , तो हमें अवश्य ही दुनियावी ख्वाहिशों और मोह -माया से बाहर निकलना होगा , ताकि हमारे अंतर में प्रभु का प्रेम समां सके। दूसरे शब्दों में हमें अवश्य ही अंतर में जाना होगा ,देहाभास से ऊपर आना होगा और इसके सामने सारे सांसारिक सुख और आनंद फीके पड़ जाएंगे ।
संत तुलसी दास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना