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प्रभु की रज़ा को अपनी रज़ा बनालो;गुरु नानक

Rakesh Khurana [/कैप्शन
किव सचिआरा होइए किव कूड़े तुटै पालि ।
हुकमि रजाई चलणा नानक लिखिआ नालि ।
प्रार्थना और पाप
प्रार्थना में अपने पापों और कमजोरियों को स्वीकार करना , और यह समझना कि इस तरह से वे सब धुल जाते हैं या दूर हो जाते हैं और आगे करने के लिए हम स्वतन्त्र हो गए हैं , तो यह हमारी भूल है । ऐसा विचार हमारा सहायक होने के बजाय हमें लगातार पापों में ही गिराए रखता है । प्रायश्चित द्वारा पाप से मुक्ति का वरदान केवल परमात्मा या प्रभु रूप हस्ती जो पापियों के उद्धार के लिए विशेष रूप से आती हैं, द्वारा मिल सकता है ।हमारा काम सिर्फ यह है कि हम उसके आदेशों को ग्रहण कर उस पर अक्षरशः अमल करें तथा बाकी सब कुछ उस पर छोड़ दें ।
किस प्रकार कोई उस सच्चाई को जान सकता है और किस प्रकार वह झूठ के ढेर को खंडित कर सकता है ? गुरु नानक जी कहते हैं कि एक रास्ता वह है कि वह की प्रभु की रजा अपना ले , जिसकी रज़ा से ही हम सब इस संसार में भेजे गए हैं ।
(जपुजी साहिब )
प्रस्तुति राकेश खुराना

Comments

  1. ???? ?????? says:

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