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मानव जीवन का उद्देश्य समझने के लिए प्रत्येक इंसान के जीवन में एक क्षण अवश्य आता है और जब यह क्षण आता है तब जीवन की पूरी शैली ही बदल जाती है :संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

मानव जीवन का उच्चतर उद्देश्य समझने के लिए प्रत्येक ईन्सान के जीवन में कभी न कभी एक क्षण अवश्य आता है और जब यह क्षण आता है तब जीवन की पूरी शैली ही बदल जाती है| यह उपदेश स्प्रिचुअल साईंस और सावन कृपाल रूहानी मिशन के संत राजेंदर सिंह जी महाराज ने दिया| संत राजेंदर सिंह जी महाराज ने फरमाया कि प्रत्येक इंसान के जीवन में ऐसा क्षण आता है जबकि उसे कोई ऐसा अनुभव होता है जो उसे एहसास करवा देता है कि इस संसार में आने का उसका कोई उच्चतर मक़सद है। अचानक, रोज़ाना के सामान्य कार्यों, जागना, तैयार होना, काम पर जाना, खाना, सोना आदि, के बीच ही उसे ऐसा महसूस होता है कि जीवन में इससे बढ़कर भी कुछ है। वो पल तब आ सकता है जब हम छोटे बच्चे हों, या जब हम किशोरावस्था से गुज़र रहे हों, या बाद में हमारे वयस्क जीवन के दौरान। कुछ लोगों के जीवन में यह क्षण तब आता है जब वो युवा वयस्क हों, तो कुछ के जीवन में वृद्धावस्था के दौरान। यह पल जब भी आता है, हमें परिवर्तित कर देता है। अचानक हम सोचने लगते हैं कि हम कौन हैं, हम यहाँ क्यों आए हैं, मृत्यु के बाद हम कहाँ जाते हैं, तथा इस जीवन का उद्देश्य क्या है।
किसी भी संत-महापुरुष की जीवनी पढि़ए और आप देखेंगे कि उनके साथ कोई जिन्दगी को बदल देने वाली घटना हुई, जिससे कि उनकी आध्यात्मिक तलाश की शुरुआत हुई। एक बार जब हमारे भीतर ये ज्वलंत प्रश्न जाग उठते हैं, फिर हम इनसे ध्यान नहीं हटा पाते। हम तब तक बेचैन रहते हैं जब तक हमें इन सवालों के जवाब न मिल जायें।
इस जागृति से पूर्व हमारी ऐसी अवस्था होती है मानो हम सो रहे हों। हमारी आत्मा युगों-युगों से गहरी नींद में सोई हुई है। हमारी शुरुआत प्रभु की गोद में हुई थी, पर हम इस भौतिक संसार के आकर्षणों में फँसकर सब कुछ भुला बैठे हैं। हम अपने सच्चे घर को भूल चुके हैं। हम गहरी नींद की या भ्रम की अवस्था में जी रहे हैं, तथा भूल चुके हैं कि हम आत्मा हैं, प्रभु का अंश हैं। और इस बात से अनजान हैं कि हमारा सच्चा स्वरूप आत्मिक है और हम सृष्टिकर्ता का ही एक अंश हैं |
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