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Tag: अजमल आमिर कसाब

कसाब को फांसी गुड , बेटर लेट देन नेवर बट व्हाट एबाउट अदर्स ?


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झाल्लेया देखा हसाडी सरकार दा कमाल |२६/११ मुम्बई के एक मात्र ज़िंदा पकडे गए आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को आज सुबह आप लोगों के उठने से पहले ही यरवदा जेल में फांसी देकर उसे वहीं दफना भी दिया गया|ओये हम जो कहते हैं वोह करते भी हैं|हमने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अल्पमत में होने के उपरान्त भी फांसी की सज़ा के समर्थन में वोट दिया उसके साथ ही पुणे में उस विचारधारा को कार्यान्वित करते हुए कसाब को उसके कर्मो की सज़ा दे दी|ओये हम कोई सॉफ्ट स्टेट नहीं है | अब अगर आतंकवादियों ने इसके विरोध में कोई अटैक किया तो उसका मुह तोड़ जवाब दिया जाएगा|

कसाब को फांसी गुड , बेटर लेट देन नेवर बट व्हाट एबाउट अदर्स ?

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजाण जी वाकई इस एक फांसी से आपने कई सन्देश दे दिए हैं|[१]विपक्ष के हाथों से यह मुद्दा छीन लिया[२] आतंक वाद के खिलाफ प्रतिबद्दता को दोहरा दिया[३]महाराष्ट्रा में बाल ठाकरे के निधन से शिव सेना के प्रति उत्पन्न सहानुभूति और फेस बुक पर टिपण्णी के लिए शाहीन +रेनू की गिरफ्तारी को फीका करके मुख्य चर्चा में कसाब को डाल दिया दिया|[४] इस प्रकार के भाड़े के आतंकवादियों के लिए यह सन्देश भी गया है कि आतंकवादियों को मरने के बाद कूए यार में दफन होने के लिए दो गज जमीन भी नसीब नहीं होती लेकिन यह तो अभी अनुत्तरित ही रह गई कि कसाब के पाक में शरणागत आकाओं +अफजाल गुरु और आपके अपने राजीव गांधी के हत्यारों से सम्बंधित फायलों से अभी भी धूल साफ़ नहीं की जा सकी है| फिर भी कहा जा सकता है कि बेटर लेट देन नेवर |

कसाब को फांसी देकर भारत ने २६/११ के शहीदों को श्रधान्जली दी और आतंकवाद के विरुद्ध जंग की वचनबद्धता दोहराई

पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को फांसी दे दी गई है। कसाब 26/11 मुंबई अटैक के एक मात्र पकडे गया जीवित गुनहगार था| कसाब को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल से पुणे की यरवदा जेल में शिफ्ट कर बुधवार सुबह 7.30 बजे फांसी पर लटकाया गया। फांसी के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।यह 26/11 के हमले में मारे गए निर्दोष लोगों और शहीद ऑफिसर्स के लिए श्रद्धांजलि है और आतंक वाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई के प्रति प्रतिबद्धता का प्रदर्शन भी है|
केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के अनुसार गृह मंत्रालय ने 23 अक्टूबर को ही राष्ट्रपति से सिफारिश की थी कि कसाब की दया याचिका को खारिज कर दिया जाए। इसके बाद 5 नवंबर को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कसाब की दया याचिका को खारिज कर दिया। शिंदे ने बताया कि 8 नवंबर को ही यह तय हो गया था कि कसाब को 12 तारीख को फांसी दे दी जाए। इस बारे में महाराष्ट्र सरकार को उसी दिन जानकारी दे दी गई थी।

कसाब को फांसी देकर भारत ने २६/११ के शहीदों को श्रधान्जली दी और आतंकवाद के विरुद्ध जंग की वचनबद्धता दोहराई


इसी उद्देश्य की पूर्ती के लिए मंगलवार को कसाब को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल से पुणे की यरवदा जेल में गुपचुप तरीके से शिफ्ट कर दिया गया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि यरवदा जेल में फांसी देने का इंतजाम है। उसकी फांसी बुधवार सुबह साढ़े सात बजे तय की गई थी, जिसे तय समय पर अंजाम दे दिया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री शिंदे ने कहा कि पूरी प्रक्रिया के बाद सुबह 7.30 मिनट पर यरवदा जेल में कसाब को फांसी दे दी गई। उन्होंने कहा, ‘पूरी दुनिया के सामने कसाब का अपराध साबित हुआ और आखिरकार उसे फांसी दे दी गई। ।’
कसाब की डेड बॉडी का क्या किया जाएगा? केंद्रीय गृह मंत्री के मुताबिक इस बारे में पहले ही पाकिस्तान को लेटर भेजा गया था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। कसाब को फांसी देने के बाद पाकिस्तान को दोबारा एक फैक्स भेजकर कसाब को फांसी दिए जाने की जानकारी दी गई है। शिंदे के मुताबिक अगर पाकिस्तान सरकार की तरफ से कसाब का शरीर लिए जाने का अनुरोध आता है, तब इस पर विचार किया जाएगा।
गौरतलब है कि कसाब उन 10 पाकिस्तानी आतंकियों में से एक था, जिन्होंने समंदर के रास्ते मुंबई में दाखिल होकर 26/11 हमले को अंजाम दिया था। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हो गए थे। हमला करने से पहले इन आतंकियों ने गुजरात कोस्ट से एक भारतीय बोट को हाइजैक करके उसके कैप्टन को भी मार दिया था।
कसाब ने सितंबर में राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी। इससे पहले 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले को बेहद ‘रेयर’ बताकर कसाब की फांसी की सजा पर मुहर लगा दी थी। जस्टिस आफताब आलम और सी. के. प्रसाद ने मुंबई हमले में पकड़े गए एक मात्र जिंदा आतंकी कसाब के बारे में कहा था कि जेल में उसने पश्चाताप या सुधार के कोई संकेत नहीं दिखाए। वह खुद को हीरो और देशभक्त पाकिस्तानी बताता था। ऐसे में कोर्ट ने माना था कि कसाब के लिए फांसी ही एकमात्र सजा है।
इससे पूर्व संयुक्त राष्ट्र महा सभा में भारत ने फांसी की सज़ा के पक्ष में मतदान करके यह साबित कर दिया था कि भारत देश में क़ानून व्यवस्था को तय करने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखना चाहता है| इस मतदान के तत्काल पश्चात कसाब को को फांसी देकर यह भी सन्देश दे दिया गया है कि भारत कानून का पालक है और एक सॉफ्ट स्टेट कतई नहीं है|