[नई दिल्ली] ‘ईश्वरीय भूमिका’ के निर्वहन के लिए न्यायपालिका को‘सशक्त’बनाने के साथ ही ‘समर्थ’भी बनाना होगा:पीएम
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि न्याय दिलाने की ‘ईश्वरीय भूमिका’ के निर्वहन के लिए न्यायपालिका को ‘सशक्त’ बनाने के साथ ही ‘समर्थ’ भी बनाना होगा:
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों को न्यायपालिका से काफी उम्मीद है और न्यायपालिका को ‘ईश्वरीय भूमिका’ का निर्वहन करना है
प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून का शासन सुनिश्चित करने और आम आदमी को न्याय दिलाने की ‘ईश्वरीय भूमिका’ के निर्वहन के लिए न्यायपालिका को ‘सशक्त’ और ‘समर्थ’ बनाना होगा।
राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां कार्यपालिका सार्वजनिक जीवन में विभिन्न संस्थानों के माध्यम से निरंतर आकलन और जांच के दायरे में रहती है, वहीं न्यायपालिका को सामान्यत: ऐसी स्क्रूटिनी का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने भारत की जनता के बीच बहुत विश्वास और प्रतिष्ठा बनायी है और उसे आत्म–मूल्यांकन के लिए अपनी आंतरिक प्रणालियां विकसित करनी चाहिये, ताकि वह जनता की उच्च आकांक्षाओं को पूरा कर सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि न्यायपालिका के लिए अच्छा बुनियादी ढांचा सरकार की प्राथमिकता है और 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत न्यायपालिका को सशक्त बनाने के लिए 9749 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में व्यापक बदलाव लाने के लिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत यहां टैक्नॉलोजी लायी जानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायपालिका में उत्तम लोगों की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ मानव संसाधन के बारे में भी उतने ही चिंतित हैं।
Tag: कानून एवं न्याय मंत्रालय
ईश्वरीय भूमिका के निर्वहन के लिए न्यायपालिका को‘सशक्त’बनाने के साथ ही ‘समर्थ’भी बनाना होगा:पीएम
जनक राज कोतवाल जम्मू एवं कश्मीर हाई कोर्ट में नए जज
जनक राज कोतवाल जम्मू एवं कश्मीर हाई कोर्ट में नए जज|
जम्मू एवं कश्मीर हाई कोर्ट के ऐडिशनल जज न्यायमूर्ति श्री जनक राज कोतवाल को जम्मू एवं कश्मीर हाई कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया ।
जम्मू एवं कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 95 के तहत प्राप्त अधिकारों का उपयोग करते हुए भारत के राष्ट्रपति द्वारा की गई यह नियुक्ति पदभार ग्रहण करने की तिथि से मानी जाएगी।
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