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किंगफिशर एयरलाइंस का एयरपोर्ट पर प्राइम स्लॉट खतरे में

किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों और मैनेजमेंट के बीच आज बुधवार को हुई वेतन संबंधी बातचीत का कोई सकारात्मक नतीज़ा नहीं निकला|इधर, सरकार ने भी एयरलाइंस में आंशिक तालाबंदी के बाद एविएशन मानकों की निगरानी तेज कर दी है। पूरी स्थिति पर नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने इस मामले पर अपनी अंतरिम रिपोर्ट केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री को दे दी है। इसमें इजीनियरों की हड़ताल की वजह से सुरक्षा मानकों को लेकर चिंता जताई गई है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एयर लाईन्स द्वारा केवल एक महीने का वेतन देकर हड़ताल खुलवाने का प्रयास किया जा रहा है जबकि उन्हें सात महीनों से वेतन नहीं मिला है। सिविल एविएशन के नियामक डीजीसीए ने कर्मचारियों के बकाया भुगतान की ठोस योजना और ऑपरेशनल सेफ्टी प्लान पेश करने तक एअरलाइंस को अपनी उड़ानें स्थगित रखने को कहा है। जाहिर है कि अब किंगफिशर एयरलाइंस को दोबारा उड़ान भरने की अनुमति तभी मिलेगी जब भुगतान की योजना और सुरक्षा इंतजाम संतोषजनक होंगे लिहाजा हड़ताल के अभी जारी रहने की संभावना है|
इससे पहले मंगलवार को डीजीसीए के सामने उपस्थित हुए किंगफिशर के सीईओ संजय अग्रवाल ने उम्मीद जताई थी कि आयकर विभाग कंपनी के फ्रिज अकाउंट खोलने की इजाजत दे सकता है। यूं बी बैंक पैसा देने को तैयार है| उड़ानें फिर से शुरू करने के बारे में कंपनी 4 अक्तूबर को फैसला कर लेगी लेकिन अब इनके सामने हड़ताली कर्मचारियों के अलावा डीजीसीए का सामना करने की भी चुनौती है|
फिलहाल 10 में से केवल सात विमानों के जरिए 50 से ज्यादा उड़ानें संचालित कर रही

किंगफिशर एयरलाइंस के सामने एअरपोर्ट पर प्राइम स्लॉट गंवा देने का खतरा पैदा हो गया है।


किंगफिशर की स्थगित इन उड़ानों का फायदा उठाने के लिए बाकी एअरलाइंस की नज़रें किंग फिशर एयर लाईन्स के टाइम स्लॉट पर टिक गई हैं ।

किंग फिशर एयर लाईन्स में हड़ताल और तालाबंदी का असर विदेशी निवेश पर पड़ सकता है

अस्थाई संचालन स्थगित कर चुकी भारी कर्ज संकट में फंसी विमानन कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस ने मंगलवार को उड्डयन नियामक से कहा कि वह अगले कुछ दिनों में कर्मचारियों के बकाए का भुगतान कर देगी और उसके बाद संचालन दोबारा शुरू किया जा सकता है।
।डीजीसीए ने किंगफिशर एयरलाइन को गुरुवार[४ अक्टूबर] तक का अल्टीमेटम दिया है। डीजीसीए ने किंगफिशर एयरलाइंस के सीईओ संजय अग्रवाल को कल तलब किया था। एविएशन रेगुलेटर ने कहा है कि किंगफिशर एयरलाइंस गुरुवार तक सेफ्टी प्लान सौंपे और दोबारा ऑपरेशन शुरू करने से पहले उसे डीजीसीए की मंजूरी लेनी होगी। हालांकि संजय अग्रवाल ने भरोसा जताया है कि शुक्रवार तक उसके ऑपरेशन चालू हो सकते हैं। और कुछ हफ्तों में कर्मचारियों को बकाया सैलरी का भुगतान शुरू कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि सोमवार को कंपनी के अभियंताओं का एक गुट सात माह से बकाए वेतन को पांच अक्टूबर तक जारी करने की मांग के साथ अचानक हड़ताल पर चला गया| जिसके कारण कंपनी को अपने सात यानों की सभी 50 उड़ानों का संचालन बंद करना पड़ा। अभियंताओं की मंजूरी

किंग फिशर एयर लाईन्स में हड़ताल और तालाबंदी का असर विदेशी निवेश पर पड़ सकता है

किसी भी विमान के उड़ान पर जाने के लिए आवश्यक होती है।
कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह ने घोषणा की थी कि वो मान्यता प्राप्त इंजीनियर से कंपनी की जांच कर पता लगाएंगे कि वह महानिदेशालय की सुरक्षा मानकों का पालन करती है या नहीं। विमानन मंत्री ने कहा है कि अगर किंगफिशर ने यात्रियों की सुरक्षा के साथ समझौता किया तो उसे बंद कर दिया जाएगा।
किंगफिशर एयरलाइन ने कहा कि उसने सभी 2000 कर्मचारियों को मार्च तक की सैलरी दे दी है।जबकि मार्च से ओनवर्ड पीरियड के लिए वेतन के लिए यह हड़ताल है|
डीजीसीए के मुताबिक किंगफिशर एयरलाइन के हालात चिंताजनक हैं। दोबारा उड़ान शुरू करने के लिए किंगफिशर एयरलाइन को डीजीसीए के पास आना होगा| किंगफिशर को उड़ानें जारी रखने पर रोजाना 8 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। वहीं उड़ानें नहीं भरने पर कंपनी को रोजाना 4 करोड़ रुपये का घाटा है |
किंगफिशर के पास इस वक्त 10 विमान [लेकिन परिचालन में ७] हैं । किंगफिशर एयरलाइंस के मुताबिक यूबी ग्रुप लगातार पैसा दे रहा है। गौर तलब है की कम्पनी पर मार्केट वेल्यु से सात गुना अधिक कर्ज़ है|
किंग फिशर के मालिक विजया माल्या २००६-२००७ से ही विदेशे निवेश कि मांग कर रहे हैं और अपनी कम्पनी को उसी आस में नुक्सान उठा कर भी होल्ड किये हुए हैं अब चूंकि विदेशी निवेश को मंजूरी मिल गई है तो इनसे आये दिन की हड़तालें संभाले नहीं संभल रही उलटे डी जी सी ऐ भी नाराज़ बैठा है| इस प्रकार की हड़तालों से किंगफिशर का भविष्य अंधेरे में दिखाई दे रहा है| इस ताला बंदी का असर निवेश पर भी स्वाभाविक रूप से पडेगा| एविएशन सेक्टर में एफडीआई खुलने का फायदा भी शायद ही मिले क्योंकि कंपनी का कर्ज उसके मार्केट कैप से सात गुना है।